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Friday 16 July 2021

मुक्ति चाहिए !!!

मुक्ति मांगने से कहाँ मिलती है, हासिल करनी पड़ती है। अपनी तरफ से छोड़ दो तो मुक्ति घटित होती जायेगी। मुक्ति की कामना बताती है कि  बंधन समझ रहे हो, और तुम्हे बंधन मुक्त होना है। तुम घुट रहे हो, और तुम्हे खुली हवा चाहिए। बंधन का कारण तुम्हारे भीतर है, तो मुक्ति का मार्ग भी तुम्हारे भीतर से ही निकलेगा। पर सबसे पहले यह निर्धारित करो कि मुक्त किससे होना है? मुक्ति और कुछ नहीं सिर्फ अनुभूत करना है। आपने महसूस किया और आप मुक्त हो गए। 

किससे मुक्त होना है तुम्हें? परिस्थितियों से? संबंधों से? किसी व्यक्ति से या मन के कार्य व्यापार से? या फिर स्वयं से? जैसे बंधन एक प्रक्रिया है हमेशा चलती रहती है, वैसे ही मुक्ति भी एक प्रक्रिया है। प्रारंभ करो तो मुक्त हो जाओगे। पर याद रखना बंधन की स्मृति भी न रहे तो ही मुक्ति है, वरना कभी भी मुक्त नहीं हो पाओगे। बंधन की अच्छी बुरी सारी अनुभूतियों से मुक्त होना होगा। मुक्त हो जाने की जो अच्छी अनुभूति है उससे भी मुक्त हो जाना पड़ेगा, वरना अदृश्य रूप से बंधे ही रहोगे। जब तक एक भी धागा जुड़ा रहेगा, तब तक बंधन शेष रहेंगे। 

कुछ बंधन पैराशूट की तरह होते हैं जो तुम्हें सिर्फ तभी पसंद आते हैं जब तुम अधर में लटके हुए हो, खुद से मजबूत पकड़ कर रखते हो,पर जब पैर धरती पर लग जाते हैं तो सबसे पहले तुम पैराशूट के बंधन ही खोलते हो, यही प्रक्रिया है। जब सुरक्षित हो जाओ, सुविधा की स्थिति में आ जाओ बंधन से मुक्त हो जाओ। लेकिन पैराशूट को फेंक मत दो, उसे घड़ी करके रख लो। बाद में कभी फिर आसमान से गिरो तो पैराशूट खोल लेना। कुछ बंधन पतंग की डोर की तरह उसे उड़ने में मदद करते हैं, उनके बिना पतंग काऔचित्य नहीं रहता। उड़ना है तो बंधे रहो!! 

और सिर्फ बंधन मुक्त होने भर से काम नहीं चलेगा, तुम्हें आगे बढ़ जाना होगा, दूर जाना होगा,   दूर कि बंधन की कोई झलक बाक़ी न रहे। तुम्हें बंधन के कसाव को शिथिल करने के लिए मेहनत करनी होगी। अपनी देह से, चित्त से, बुद्धि से, अहम से, मन से और आत्मा से बंधन की हर स्मृति का लोप होने तक शांत रहना होगा, जब तक तुम्हारे भीतर और बाहर की प्रतिक्रिया थम नहीं जाती, तुम मुक्त नहीं हो सकते। यह अपने अंदर ज़रूर टटोल लो कि जैसे बंधन तुम्हे खल रहा है वैसे ही मुक्ति भी तो नहीं खलेगी? अगर ऐसा हुआ तो तुम्हें मुक्ति से मुक्ति पाने के लिए कोई नया बंधन पकड़ना पड़ेगा। बंधन और मुक्ति दोनो का लोप कर सको तो आगे बढ़ो। 

@मन्यु आत्रेय

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