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Friday 26 February 2021

जब कोई अपना दुखड़ा सुनाने लगे

अगर आप अच्छे से ध्यान देंगे तो पाएंगे कि हर दिन
कोई न कोई व्यक्ति आपको अपनी तकलीफें, 
अपने दुख, परेशानियाँ, विपदा बताता ही है
आप भी किसी न किसी से ये सब बताते होंगे
जब दो लोग आपस में अपने सुख दुख 
अच्छे बुरे अनुभव साझा करते हैं तो 
उनके आपसी संबंध मजबूत होते हैं
खुशियाँ बांटने से बढ़ती हैं और दुख बांटने से घटता है
क्योंकि किसी की सहानुभूति या समानुभूति से इंसान को राहत मिलती है। 
परंतु लगातार लोगों का दुखड़ा सुनने से आपके भीतर नकारात्मक भाव पैदा हो सकते हैं 
आपके भीतर अमंगल की आशंका आ सकती है
हर एक का दुखड़ा सुनना अनिवार्य नहीं है 
जितनी आपकी क्षमता हो जितना आपका मन मज़बूत हो उतना ही सुनिए
जब लोग बार बार नकारात्मक बात आपको बताते हैं 
तो बहुत सूक्ष्म रूप से आप उसे 
अपने जीवन पर भी लागू करने लगते हैं
आप में अविश्वास आ जाता है, 
आपको लगने लगता है कहीं मेरे साथ तो ऐसा नहीं हो जाएगा
दूसरों के दुख दर्द बांटना ठीक है 
लेकिन उससे अपना मनोबल कम करना ठीक नहीं
आपके सबसे करीबी लोग जिनकी आप मदद करना चाहेंगे उनका दुखड़ा सुना जा सकता है
या कोई ऐसा मुसीबत का मारा है जिसकी मदद आपको नैतिकता के नाते, इंसानियत के नाते करनी ही चाहिए, उनका दुखड़ा सुन के यथासंभव मदद की जा सकती है
कुछ लोग आकस्मिक रूप से आपको दुखड़ा सुना बैठते हैं यानी अचानक बातें और परिस्थितियां कुछ ऐसी बनती हैं कि वे आपको अपनी तकलीफ या दुख बता देते हैं 
यानी वे कोई तय करके नहीं रखते कि आपको बताना ही है, बस बता बैठते हैं, उनको कोई खास आशा या अपेक्षा आपसे नहीं होती,
कुछ लोग अपना दुखड़ा सुनाने के आदी होते हैं जिनके जीवन से न तो समस्याएं कभी खत्म होती हैं और न ही उनका दुखड़ा कभी खत्म होता है। 
जिनको अपना दुखड़ा सुनाए बिना खाना हज़म नहीं होता, आप मिल गए तो आपको सुना दिया, आप नहीं तो कोई और सही। 
जबकि कुछ लोग सोच समझ कर दुखड़ा सुनाने वाले होते हैं, 
वे हर किसी को अपना दुखड़ा इसलिए सुनाते हैं 
ताकि सामने वाले से कुछ प्राप्त कर सकें 
चाहे वो पैसे हों, या कुछ और। 
वो आपके अंदर छुपे मानवता, दया या अपराध बोध जैसे भाव का दोहन करते हैं
ऐसे लोगों को जब आप दुखड़ा सुनने के बाद भी मदद नहीं करते 
तो ये जगह जगह आपकी बुराई करते फिरते हैं, 
और आप पर ऊर्जा बर्बाद करने की बजाए नया शिकार तलाशते हैं। 
दूसरों की मदद करना अच्छा है, ज़रूरी भी है 
और हमें ईश्वर का धन्यवाद करना चाहिए कि उसने हमें इस लायक बनाया कि हम किसी के काम आ पाएं
लेकिन कोई इसका दुरुपयोग करे, हमारा शोषण करे, हमें इस्तेमाल कर डाले 
हमारे मन की शांति को भंग कर डाले यह ठीक नहीं
कभी कभी किसी की मदद करने के चक्कर में आदमी खुद बड़े संकट में पड़ जाता है 
इसमे कोई समझदारी नहीं है
इसलिए किसी का दुखड़ा सोच समझ कर सुनिए और खुद को अनावश्यक लफड़े में पड़ने से बचाइए। 

@मन्यु आत्रेय

Thursday 25 February 2021

जब कोई आप पर संदेह करे!

कई बार लोग हम पर संदेह करने लगते हैं
हमारी बातें, हमारी भाव भंगिमा या क्रियाकलाप
लोगों के मन में संदेह पैदा करते हैं, 
कई बार हमारे बारे में किसी और द्वारा कही गयी बात 
हमारे लिए संदेह पैदा कर देती है
संदेह का कारण अधूरी जानकारी, अधूरी समझ और अधूरा विश्वास होता है
असल मे संदेह एक मानसिक झूला है जो विश्वास और अविश्वास,
निश्चय और अनिश्चय के बीच डोलता रहता है
संदेह सही और गलत के बीच निर्णय नहीं कर पाने की उहापोह है
जो आप पर संदेह करता है वह थोड़ा सतर्क हो जाता है 
आपके साथ अपनी सुरक्षा बाड़ को बड़ी कर लेता है
अपने पत्ते नहीं दिखाता और आपके सारे पत्ते देख लेना चाहता है 
कुछ तो ऐसा होता है जो सामने वाले को संतुष्ट न करके उसमें अविश्वास पैदा कर देता है
आप पर संदेह होने का मतलब है कि आपको कहीं न कहीं अस्वीकार किया जा रहा है 
आपसे असहमति रखी जा रही है 
आपसे किसी प्रकार की हानि या खतरे की आशंका समझी जा रही है, 
आपको नियंत्रित रखने के प्रयास भी पर्दे के पीछे से चालू होते हैं 
अगर आपको लगे कि आपकी किसी बात पर संदेह किया जा रहा है 
तो परेशान मत होइए, अपनी ईमानदारी से और 
अपनी नैसर्गिकता से चलते रहिए
अगर यह स्पष्ट हो जाये कि आपकी किस बात को संदेह की दृष्टि से देखा जा रहा है 
तो सामने वाले के सामने अपना पक्ष खुल कर रख सकते हैं, 
लेकिन जो आप पर संदेह कर रहा हो उसे बार बार खुद पर भरोसा करने की गुहार न लगाएं
क्योंकि जितना आप भरोसा करने को कहेंगे, उतना उसका संदेह बढ़ेगा
अपने शब्दों, क्रियाकलाप को ईमानदार रखिये
अनभिज्ञता में हुई किसी गलती के कारण यदि आप शंका के दायरे में हैं तो यह भी स्पष्ट कर सकते हैं
जिन लोगों का आप पर भरोसा मज़बूत है, उनकी मदद से सामने वाले को समझा सकते हैं
संदेह करने वाला प्रमाण चाहता है ताकि स्थिति साफ हो पाए
परंतु कुछ लोग इतने आग्रही होते हैं कि संदेह को दूर करने नहीं उसे पुष्ट करने के सबूत खोजते हैं
संदेह संबंधों को खराब कर देता है, 
यह ऐसी घुन है जो संदेह करने वाले के मन की शांति को भी चाट जाती है 
जब आपके करीबी लोग आप पर संदेह करते हैं तो आपका मनोबल टूट सकता है, 
आप जब खुद पर संदेह करते हैं तो आप अपने लिए रास्ते बंद कर देते हैं 
कोई लाख आप पर सन्देह करे आप खुद पर कभी संदेह न करें 
और दुनिया को दिखा दें कि उनका संदेह गलत है। 

@मन्यु आत्रेय

Wednesday 24 February 2021

व्यक्तित्व फूल है चरित्र खुशबू!!

व्यक्तित्व और चरित्र दो अलग अलग बातें हैं 
एक आकर्षक व्यक्तित्व का आदमी 
खराब चरित्र वाला भी हो सकता है 
और एक साधारण से व्यक्तित्व का इंसान 
चरित्र से बहुत अच्छा और मज़बूत हो सकता है
व्यक्तित्व एक जटिल चीज़ है जिसमे 
एक व्यक्ति के जन्म से प्राप्त मानसिक गुण, व्यवहार और शारीरिक बातें जैसे कद काठी आदि आते हैं
व्यक्तित्व वो है जो दुनिया के सामने आता है,जैसे आकर्षक, अनाकर्षक, अंतर्मुखी,बहिर्मुखी, निडर-डरपोक आदि 
लेकिन चरित्र इंसान का सीखा हुआ और ग्रहण किया हुआ होता है
चरित्र अंदर की बात है, ये एक लंबी यात्रा है, 
इस यात्रा में जो कुछ आपने अर्जित किया 
वो अपने व्यक्तित्व के अनुसार किया है
व्यक्तित्व फूल है और चरित्र उसमें छुपी हुई खुशबू
आपको धोखा तब होता है जब आप किसी के 
व्यक्तित्व का सही आकलन नहीं कर पाते
क्योंकि आप उसके असली चरित्र का आकलन नहीं कर पाते 
आप सामने वाले के व्यवहार को ही उसका चरित्र मान लेते हैं
जो आपको अपने झांसे में फांसना चाहता है 
अधिकांश रिश्ते इसीलिए दरक जाते हैं 
क्योंकि आदमी होता कुछ है और हम समझते कुछ और हैं 
व्यक्तित्व और चरित्र में बदलाव आता है, अनाकर्षक व्यक्ति आकर्षक बन सकता है
चरित्रवान व्यक्ति दुश्चरित्र बन सकता है 
इसीलिए बात चाहे व्यक्तित्व की हो या चरित्र की
किसी पर भी अत्यधिक निर्भरता नहीं रखना चाहिए
व्यक्तित्व और चरित्र दोनों की थाह ली जा सकती है 
आपको सिर्फ जल्दीबाजी से बचना होगा
हालात ही व्यक्तित्व और चरित्र की सच्ची परीक्षा करते हैं 
आप अलग अलग परिस्थितियों में किसी के व्यक्तित्व 
और उसकी क्रिया प्रतिक्रिया का मूल्यांकन कीजिये
उसका असली चरित्र और असली व्यक्तित्व आपको समझ आ जायेगा
कई लोगों का व्यक्तित्व मायावी और चरित्र दोहरा होता है 
ऐसे नाटकबाज लोगों से सतर्क रहना बेहद ज़रूरी है !!
उम्र के साथ तजुर्बा बढ़ने पर हम इसकी थोड़ी समझ हासिल करते हैं 
पर कम उम्र मे, यदि पर्याप्त सतर्क और समझदार हम नही हैं 
तो गच्चा खा सकते हैं, खाते ही हैं इससे बचना चाहिए
सामने वाले के व्यक्तित्व और चरित्र दोनो को टटोलो तब भरोसा करो।

@मन्यु आत्रेय

Tuesday 23 February 2021

जब कोई आपकी उपेक्षा करे !!

उपेक्षा भला किसे पसंद होगी
जब कोई हम पर ध्यान नहीं देता, 
हमारी पूछ परख नहीं करता, परवाह नहीं करता 
तो हमें उपेक्षित महसूस होता है
हमें एक धक्का लगता है हमारा आत्म सम्मान कम होने लगता है, 
हमारा आत्म विश्वास कमज़ोर पड़ जाता है
हम खुद में खामियां निकालने लगते हैं
यदि हम सामने वाले से सवाल जवाब करने की स्थिति में होते हैं तो उससे झगड़ भी लेते हैं
उस पर ज़ोर देकर पूछते हैं कि वो आखिर क्यों हमारी उपेक्षा कर रहा है
हो सकता है इस समय उसका मन ठीक न हो,
उसकी प्राथमिकता कुछ और हो,
कोई ऐसी समस्या हो जो आपसे साझा नहीं करनी,
किसी बात के सामने आने से झिझक रहा हो,
आपसे उसका स्वार्थ पूरा हो गया हो, 
उसे अभी आपकी ज़रूरत नहीं हो,
या कोई भी कारण नहीं हो उपेक्षा का
या आपको वो उपेक्षित न कर रहा हो
आप ही ज़्यादा परवाह और ध्यान चाहते हों
सामने वाला वाक़ई आपकी उपेक्षा कर रहा है या नहीं
इसे सबसे पहले सुनिश्चित कीजिये
जो आपकी उपेक्षा कर रहा है वो आपका सामना नहीं करता, 
आपसे आंखें नहीं मिलाता, पहले जैसे बात नहीं करता,
आपकी बातों को समझना नहीं चाहता, रुचि नहीं दिखाता, परवाह नहीं दिखाता, 
उसके बर्ताव से आपको कुछ अजीब सा लगता है, 
उसकी देहभाषा, बोलने का लहजा और शब्द पुष्टि करते हैं कि वो उपेक्षा कर रहा है
जो आपकी उपेक्षा कर रहा है उसे थोड़ा समय दीजिए, 
कुछ समय शांति से बिना कोई प्रतिक्रिया दिये उस पर नज़र रखिये
उसकी उन बातों को याद रखिये जिनसे आपको उपेक्षा महसूस हुई, 
उपयुक्त मौका देख कर सीधे बात कीजिये 
स्वयं को बहुत बेचैन और परेशान मत दिखाइए
उसे लेकर ज़रूरत से ज़्यादा प्रतिक्रिया मत दीजिए
यदि आपकी कोई चूक आपको समझ आती है
तो उसे सुधारने का प्रयास कीजिये
या आपने कभी सामने वाले का दिल दुखाया हो 
तो माफी मांग लीजिये, 
बहुत करीबी रिश्तों को तोड़ना मुनासिब नहीं है
परंतु यदि कोई ऐसा है जिसके कई विकल्प आपके जीवन मे आ सकते हैं 
तो उसे बांध कर रखने की कोशिश व्यर्थ है
उपेक्षा करने वाले यदि आपकी तमाम कोशिश के बावजूद 
उपेक्षा दिखाते हैं तो आप भी उनकी उपेक्षा कीजिये
जो भाव खाते हुये उपेक्षा कर रहा है, उसे भाव देना बंद कर दीजिए
उसे महसूस कराइये कि यदि आप महत्व नहीं रखते
तो वो भी कोई महत्व नहीं रखता
कभी कभी उपेक्षा दिखाना, असल में करीब लाने का पैंतरा होता है
कभी कभी परवाह को उपेक्षा का नक़ाब पहनाया जाता है
जो आपसे प्रेम करता होगा सच्ची परवाह करता होगा 
वो कभी ज़्यादा दिन आपकी उपेक्षा नही करेगा
जो आपके साथ हैं उनको समय दीजिये
अपना समय अच्छे से व्यतीत कीजिये, ज़्यादा सोचिए मत। 
उपेक्षा को अपने दमन का कारण मत बनने दीजिए। 


@मन्यु आत्रेय

Monday 22 February 2021

सब सीखना ज़रूरी नहीं है !!

माँ के पेट से कोई भी कुछ सीख कर नहीं पैदा होता,
सब कुछ इसी दुनिया में अर्जित करना पड़ता है
यदि आप कुछ नहीं जानते तो इसमे शर्म की कोई बात नहीं
अगर आप ऐसा कुछ नहीं सीख पाए हैं 
जो आपके लिए बेहद ज़रूरी है 
तो आप उम्र के किसी भी मोड़ पर वो सीखने की कोशिश कर सकते हैं 
कहते हैं सीखने की कोई उम्र नहीं होती, 
बेशक़ किसी के लिए ये सच होगा
पर सभी के लिए और हर एक बात सीखने के लिए 
ये नियम लागू नहीं होगा, इसे स्वीकार कर लें। 
वैसे हम सारी ज़िन्दगी सीखते ही तो रहते हैं
सीखना बेहद रोचक अनुभव हो जाता है जब मन से सीखा जाए
छोटी उम्र में ही बहुत सारी बातें सीख जानी चाहिए, कब क्या काम आ जाये,
लेकिन उम्र हो जाने पर हर चीज़ सीखने में 
समय और ऊर्जा खपाने में कोई फायदा नहीं
आदमी को अपनी उम्र, अपनी शारीरिक और मानसिक अवस्था के अनुसार ही 
कोई चीज़ सीखनी चाहिए। 
और कोई ज़रूरी नहीं कि आप हर चीज़ सीखे हुए हों, 
कभी कभी सीख लेना बचाता है कभी न सीख पाना बचा लेता है। 
दुनिया का कोई भी आदमी हर बात हर हुनर हर कला सीखा हुआ हो ऐसा नहीं होगा
सबकी सीखने की क्षमता और ललक अलग अलग होती है
हर बात को सीखने का एक व्यवस्थित तरीका होता है, उसे उसी क्रम से सीखने से आप 
सही और टिकाऊ तरीके से सीखते हैं
कामचलाऊ बहुत सारी बातें सीखने की बजाय
थोड़ी चीजों को सीखकर उनमें निपुण हो जाना
उनका विशेषज्ञ हो जाना अच्छा है
आप स्वयं जो नहीं जानते उसके लिए दूसरों से मदद लेते ही हैं 
जैसे किसान से अनाज, नाई से कटिंग, टैक्सी की सेवा वग़ैरह। 
इसी से तो समाज का निर्माण होता है
अपनी उम्र अपने समय की प्राथमिकताओं  को जान समझ कर कोई चीज़ सीखिए, 
जिस बात से आपको जीवन सार्थक लगे, रुचिकर लगे, मजेदार लगे
जो कुछ भी आपके लिए ज़रूरी हो वो सीखते संकोच न करें
वो ज़रूर सीखिए, क्योंकि सीखने से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है
जिसका उद्देश्य जितना प्रभावशाली और अहम होगा वो उतनी जल्दी सीखेगा,
मजबूरियाँ और परिस्थितियां आदमी को सब कुछ सिखा ही देती हैं
आप कुछ और सीखें या न सीखें, सीखने की कला ज़रूर सीख जाएं 
खुद भी सीखिए और दूसरों को भी सिखाइये !!
यदि ज़िन्दगी मोहलत और सहूलियत दे तो नई नई बातें सीखिए 
अन्यथा कामचलाऊ नया सीखने की बजाए जो पूर्व से सीखा हुआ है
उसे और निखारिये, व्यावसायिक स्तर तक ले जाइए।

@मन्यु आत्रेय

Sunday 21 February 2021

अपना लहजा संभालो !!

आप क्या बोलते हैं यह अहम है 
लेकिन आप कैसे बोलते हैं यह उससे भी ज़्यादा अहम है
आपके बोलने का लहजा यह तय करता है 
कि आपकी बात को कैसे लिया जाएगा
शब्दों पर तब तक भरोसा नहीं होता 
जब तक वे अनुकूल भाव से नहीं कहे जाते
उनका लहजा सही होना चाहिये
यानी प्रेम का प्रदर्शन कोमलता के साथ और
क्रोध का प्रदर्शन उग्रता के साथ करना पड़ता है
हर बात को कहने का आपका लहजा अलग होता है
आप किससे किस लहजे में बात करते हैं, 
हर किसी से एक ही लहजे में बात नहीं कर सकते 
एक ही समय में आपको अलग अलग लोगों से अलग अलग परिस्थितियों में 
अलग अलग लहजे में बात करनी पड़ती है 
उनसे आपके चल रहे मुद्दे, और संबंधों की स्थिति अलग अलग होती है, 
आपको अपने लहजे को तुरंत स्विच करना पड़ता है 
जब आप ऐसा नहीं कर पाते तो लोगों से आपके संबंध बिगड़ जाते हैं 
एक के प्रति आप जिस लहजे में बात कर रहे हैं 
उसका प्रभाव दूसरे व्यक्ति पर भी पड़ता है
आपका लहजा आपकी शख्सियत का विज्ञापन है
बहुत बार हम अपने लहजे पर नियंत्रण नहीं रख पाते, 
और बात बिगड़ जाती है, क्योंकि हमारे लहजे को देखकर 
सामने वाला भी अपना लहजा बदल सकता है
और इससे एक अनचाहा विवाद छिड़ सकता है
लहजा बिल्कुल मसाले की तरह होना चाहिए
उसकी मात्रा और टाइमिंग एकदम सटीक होनी चाहिए
तब ही हमारी अभिव्यक्ति प्रभावशाली बनेगी
आपका लहजा बताता है कि आप प्यादे हैं या बादशाह! 
आपका लहजा आपके संस्कार बताता है, 
एक कमज़ोर आदमी का लहजा दमदार नहीं होता
और हमेशा दबंगई से बात करने वाला अपना प्रभाव खो देता है
क्योंकि लोग उसके उस लहजे के आदी हो जाते हैं
सामने वाले की मंशा को समझने के लिए
उसके लहजे पर ध्यान देना चाहिए,
इससे काफी संकेत मिल जाते हैं 
सामने वाले के अनुसार अपने लहजे में बदलाव लाने वाला एक अच्छा संप्रेषक बन सकता है
और वांछित कामयाबी पा सकता है 
इसलिए अपने लहजे पर नियंत्रण कीजिये। 

@मन्यु आत्रेय

Saturday 20 February 2021

सलाहों के मकड़जाल से बचो!!

सलाह लेने में बड़ी सावधानी रखनी है,
हर किसी से सलाह नहीं लेनी चाहिए
क्योंकि सलाह लेने से पहले सामने वाले को 
सारी परिस्थितियां और अपने मनोभाव 
खुल कर समझाने पड़ते हैं 
जितने ज्यादा लोगों से सलाह लेने जाओगे
उन सबको सारी बातें बतानी पड़ेगी 
और इससे रायता ही फैलता है,
दूसरी बात, यह भी तो हो सकता है 
कि आप जिससे सलाह लेने जा रहे हैं
वह उस विषय में, उस समस्या को हल करने का उतना एक्सपर्ट न हो,
या वो उतनी गंभीरता से आपकी बातें न ले
हो सकता है आपके रहस्य,आपकी बातें जानकर वो दूसरों को बता कर तमाशा खड़ा कर दे
या आपका, आपकी परिस्थिति का मज़ाक बनाये
या वो आपका हितैषी बनने का नाटक करता हो, 
जबकि आपके सारे लूप होल जान कर वो 
आपकी ऐसी की तैसी करने की स्थिति में आ जाये
लोगों की आदत होती है मुफ़्त की सलाह देने की
सलाह देने वाला अपने अनुभव, कल्पना, तर्क, आपसे संबंधों, अपनी योजना और प्राथमिकता के अनुसार आपको सलाह देगा
वो परिपक्व और भरोसेमंद हो ये ज़रूरी नहीं 
सलाह बांट कर कुछ लोगों को तृप्ति मिलती है 
सलाह से फायदा हो या न हो, वो अपनी ब्रांडिंग कर लेते हैं,
कई बार असल में हमें सिर्फ एक सुनने वाले की ज़रूरत होती है 
जिसके सामने हम अपनी वेदना,समस्या, दुख व्यक्त कर मन को हल्का कर सकें, 
हम अपनी परिस्थिति का समाधान जानते हैं 
बस एक बार आत्म मंथन करके हमें अपने विचारों को पुष्ट करना होता है
पर हम किसी दूसरे की सलाह लेने पहुंच जाते हैं
सलाह लेने में कोई बुराई नहीं है बल्कि
महत्वपूर्ण बातों के लिए अनुभवी और 
तटस्थ की सलाह लेनी ही चाहिए
सभी लेते हैं, ज़रूरी भी है तब ही तो सीखते हैं
लेकिन सलाह रास्ता बनाने वाली हो, 
या लक्ष्य और पथ स्पष्ट दिखाने वाली हो, 
या पथ पर चलने का हौसला पैदा करने वाली हो 
बहुत सारे लोगों से सलाह लेना और भरम पैदा कर सकता है
यह एक जाल बन के अटका लेता है
सलाह सुनो सबकी करो मन की, परंतु
बार बार सलाह लेकर नहीं मानने पर सलाह देने वाले बुरा मान जाते हैं
आप पर दबाव बनाया जा सकता है सलाह मानने
हो सकता है किसी से सलाह लेने से आपके करीबी लोग नाराज़ हो जाएँ
तो किससे सलाह लेना है किससे नहीं लेना है
किस सलाह को मानना है या नहीं मानना है
यह जितनी जल्दी समझ जाओ उतना अच्छा!!!

@मन्यु आत्रेय

Friday 19 February 2021

क्या पहचान है आपकी?

मेरी पहचान क्या है? लोग किस लिए जानते हैं मुझे
क्या मुझे मेरे माता पिता भाई बहन पत्नी बच्चों के संबंध से जाना जाता है? 
फलां का बेटा, फलां का पिता, फलां का पति?
या मुझे मेरे धर्म,जाति,क्षेत्रीयता से जाना जाता है? 
या मुझे मेरी शारीरिक बातों से पहचाना जाता है?
लंबा नाटा, पतला मोटा, गोरा काला, मज़बूत कमज़ोर?
या फिर मुझे मेरे मित्र समूह से, उन संगठनों से जाना जाता है जिनसे मैं जुड़ा हूं?
मुझे मेरी आर्थिक स्थिति और साधनों से जाना जाता है
या मेरे व्यक्तित्व,मेरे व्यवहार, दूसरों से मेरे संबंधों से 
मेरी खासियत से मेरी उपलब्धियों से, मेरे जीवन मे घटी घटनाओं से ?
या मुझे मेरे काम से या कार्यक्षेत्र से पहचाना जाता है? 
मेरे शौक़, मेरी विशेषज्ञता से, मेरे गुण अवगुण से
आखिर किससे मुझे जाना जाता है? 
क्या है मेरी पहचान ? 
पहचान एक आपस में गुथी हुई बात है,
एक ही समय मे इंसान अलग अलग बातों के लिए पहचाना जाता है
अलग अलग लोग अलग अलग तरह से पहचानते हैं
हर आदमी उम्र के अलग अलग दौर में अलग अलग तरीके से पहचाना जाता है
जो स्वाभाविक भी है, इसमे से कुछ पहचान हमें
अपने आप बिना कुछ किये मिल जाती है
और कुछ पहचान हम खुद बनाते हैं
आपको जिस रूप में भी पहचाना जाता है 
आपको उससे जुड़ी भूमिका अपने आप मिलती है
आदमी की दो पहचानें आपस में टकराती हैं
कई बार आप कई भूमिकाएँ निभाते रहते हैं 
परंतु आपको वो पहचान नहीं मिलती
आप अपनी पहचान किसी और रूप में चाहते हैं
और आपकी पहचान बनती किसी और बात से है
कुछ पहचानें ज़िन्दगी भर पीछा नहीं छोड़ती
और कुछ पहचान ज़िन्दगी भर नहीं बन पाती
कोई ज़रूरी नहीं कि जो पहचान आपकी बनी है आप उसके लायक हों ही, 
हो सकता है आप अयोग्य हों या ज़्यादा के हकदार हों
जो भी हो, आप जिस पहचान के लिये संघर्ष करेंगे,
जिसके लिये सर्वस्व झोंक देंगे, जिसके क़ाबिल बनेंगे
जिसके लिए सुनियोजित तरीके से काम करेंगे
वो पहचान आपकी ज़रूर बनेगी
आपकी पहचान ही इस दुनिया में आपके हस्ताक्षर हैं
इस पर होने वाले हमलों की काट ज़रूर करना
अपनी पहचान को लोगों के दिलों पर चस्पा होने लायक प्रभावशाली बनाइये
अपनी एक पहचान को जंजीर मत बनने देना, 
अपनी पहचान को पायदान बनाना ऊपर उठने
क्योंकि हम मिट जाएंगे, फना हो जाएंगे, मिट्टी में मिल जाएंगे
पर हमारी पहचान रह जाएगी,
कहीं किसी नाम, कहीं किसी नंबर, कहीं किसी किस्से में, किसी दास्तान में, किसी इतिहास में 
इसलिए अपनी पहचान को लेकर जागरूक रहिए, संघर्ष कीजिये
गैर जरूरी पहचान को तिलांजलि दीजिए
अपनी पहचान को सही आकार दीजिए ताकि लोग आपको याद रखें। 

@मन्यु आत्रेय

Thursday 18 February 2021

कोई ताना मारे तो क्या करें!!

हम सब कभी न कभी किसी न किसी से 
ताना सुनते हैं, सुनना ही पड़ता है
आज मुझे कोई भी कैसा भी ताना मारे
मुझे ओवर रियेक्ट नहीं करना है 
ताना कभी मज़ाक़ होता है
कभी कभी चुनौती या ललकार होता है
कोई हमें नीचा दिखाने या दबाने के लिए ताना मारता है
कभी किसी की ईर्ष्या को कभी किसी की नफरत को उजागर कर देता है ताना
जब हमारा मन किसी कारण से खट्टा हो
तो हम सामान्य बात को भी ताना समझते हैं 
किसी के जले कटे तानों से डरने की ज़रूरत नहीं
तानों से बचने के लिए खुद को बदलने की ज़रूरत नहीं है
ताना किसी भी बात के लिए मारा जा सकता है
इसलिए अपने आप को दिमागी तौर पर तैयार और मन का मज़बूत करना चाहिए
जब कोई ताना मारे तो कोई भी प्रतिक्रिया देने से पहले
यह विचार ज़रूर करो कि इसने जो ताना मारा है
उसका असली मकसद और अर्थ क्या होगा
क्या उसके कहने का अर्थ और आशय उससे अलग नहीं हो सकता जो मुझे समझ रहा है
क्या इसे जस को तस प्रतिक्रिया देना ज़रूरी है?
इस ताने का जवाब देना एक नई लड़ाई तो नही छेड़ेगा 
और क्या मैं उस लड़ाई में पड़ना चाहूंगा? 
कहीं ये ताना किसी और बात की ओर से मेरा ध्यान बंटाने की कोशिश तो नहीं?
इसे शब्दों की बजाए अपने काम से जवाब देना क्या बेहतर नहीं रहेगा? 
जलन ईर्ष्या और द्वेष से जो ताना मार रहा है, उसे कोई जवाब नहीं देना अच्छा है
जो नफरत और दुश्मनी रखके ताना मारता है,उसको मजाकिया या व्यंग्यात्मक जवाब देना अच्छा है 
इससे वो अंदर से जल भुन कर रह जाएगा 
जो दोस्त मज़ाक़ करने ताना मारता है 
उसके साथ दोस्ताना हंसी मजाक कर लो
जो चुनौती या ललकार के लिए ताना मारता है,
आप उसकी अक्षमता पर प्रहार करेंगे तो उसका असली रंग सामने आ जायेगा। 
कभी कभी ताना ज़िन्दगी को दिशा दे देता है जब वह आत्म सम्मान को जागृत करता है
वैसे ताने मानसिक उत्पीड़न भी करते हैं
किसी के तानों से प्रभावित होकर ऐसा कोई कदम कभी मत उठाना कि ज़िन्दगी भर पछताना पड़े,
जो आदमी जितना छोटा होता है वो उतने ज़्यादा ताने मारता है 
इसलिए लोगों को उनके छोटेपन के साथ रहने दो अपने आप को ऊपर उठाओ,
हाथी गुजर जाता है कुत्ते भौंकते रह जाते हैं 
आपको ओवर रियेक्ट करने की ज़रूरत नहीं है, शांति से जवाब दीजिए हर ताने का। 
@मन्यु आत्रेय

Wednesday 17 February 2021

अपने जीवन से जुड़े रिश्ते पहचानिए!!

हमारी ज़िंदगी बहुत से रिश्तों का ताना बाना ही तो है, क्या आप जानते हैं कि किस किस प्रकार के रिश्ते हमारी ज़िंदगी में आते हैं?

धड़कन
कुछ रिश्ते धड़कन जैसे हमसे अभिन्न रूप से जुड़े होते हैं लेकिन हमारा ध्यान उन पर कभी कभार ही जाता है। जब हम शांत होते हैं तो वो शांत होते हैं जब हम अशांत होते हैं तो वे भी अशांत हो जाते हैं। हमें अपने जीवन भर इनकी ज़रूरत होती है। ये लोग हमें सबसे ज़्यादा चाहते हैं, हमसे सबसे ज़्यादा जुड़े होते हैं।

आईना

आईने जैसे रिश्ते बहुत ही ज़्यादा व्यावहारिक होते हैं जो हमारी ही नक़ल करते हैं जितना और जैसे हम करते हैं सिर्फ उतना ही करते हैं हम उनके सामने से हटे तो हमारा नामो निशान उनमें नहीं बचता। हालांकि जब उनके पास जाते हैं वो फिर पहले जैसे व्यवहार करने लगते हैं, लेकिन ऐसा तो वो सभी के साथ करते हैं, हम कोई अलग से खास नहीं होते उनके लिए। 

पहाड़ी
पहाड़ी जैसे रिश्ते वो होते हैं जो मज़बूत होते हैं अडिग रहते हैं अपनी जगह, हम जो जैसी पुकार लगाते हैं वो वैसा ही 3 गुणा हमे लौटाते हैं,लेकिन पहल हमें ही करनी पड़ती है। हमें ही उन तक जाना पड़ता है। हम अच्छे तो वो अच्छे, हम  बुरे तो वो और भी बुरे। 

परछाई
परछाई जैसे रिश्ते सिर्फ तब तक हमारे साथ होते हैं, जब तक उम्मीद और उपलब्धियाँ हमारे साथ सूरज की तरह जुड़ी हुई है, जब तक ये प्रकाश सहन करने योग्य होता है वो हमसे बड़े होकर जुड़ते हैं जैसे जैसे हमारी उपलब्धियाँ छाने लगती हैं वो छोटे होते जाते हैं फिर जैसे हम अंधेरे में जाते हैं वो फिर बड़े होने लगते हैं 

ब्लैक होल
ब्लैक होल जैसे रिश्ते वो कृतघ्न और स्वार्थी रिश्ते होते हैं जिन्हें चाहे जितना भी दो वो पलट कर कभी कुछ नहीं देते। जितना दो उन्हें वो कम ही पड़ता है, जिनसे कुछ प्रत्याशा करना ही फ़िज़ूल होता है। हम उनके जितने करीब जाते हैं वो हमें भी निगलते जाते हैं। 

सीढ़ी
सीढ़ी की तरह वो रिश्ते होते हैं जो अपनी सीमा तक हमें ऊपर जाने में मदद करते हैं लेकिन वही हमें नीचे उतरने का रास्ता भी देते हैं वो सिर्फ उपलब्ध होते हैं हम ऊपर उठ रहे हैं या नीचे जा रहे हैं इससे उनको कोई फर्क नहीं पड़ता, बहुत से दोस्त ऐसे ही तो होते हैं! 

पैराशूट
पैराशूट की तरह वो रिश्ते होते हैं जिन्हें हम आमतौर पर बोझ ही समझते हैं लेकिन हमारी विपदा के समय में उनका हमारे साथ होना हमें हिम्मत देता है, संकट के समय में वही हमारी जान बचाते हैं, एक होशियार आदमी उड़ने से पहले नीचे सुरक्षित उतरने का बंदोबस्त करता है और ऐसे रिश्ते मज़बूत और अच्छे रखता है। 

स्पेस रॉकेट
स्पेस रॉकेट की तरह के रिश्ते वो होते हैं जो हमें आगे बढ़ाने में अपनी पूरी ऊर्जा खर्च कर देते हैं, जैसे माँ बाप, गुरुजन और परिवार जन। हमें अपने मुकाम तक पहुंचाने के रास्ते में खुद कहीं पीछे छूटते जाते हैं चुक जाते हैं और दुनिया हमें देखती है उनको नहीं!!
अपने जीवन  से जुड़े रिश्तों और उनकी भूमिका की अहमियत को पहचानिए!!

@मन्यु आत्रेय

Tuesday 16 February 2021

आज में छुपी अनंत संभावनाएं!!

आज के दिन में अनन्त संभावनाएं हैं !!
आज का दिन आपकी बाकी ज़िन्दगी का 
पहला दिन है, 
आज के दिन में अनंत संभावनाएं छुपी हैं
ये दिन आपकी कोई मुराद पूरी करने वाला हो सकता है 
आज कोई पुराना अपना मिल सकता है या फोन पर बात कर सकता है
आज कोई ऐसा भी मिल सकता है जो आगे चलकर आपकी ज़िन्दगी में अहम हो जाएगा
आज कुछ नए रास्ते मिल सकते हैं, कोई समस्या हल हो सकती है
दुश्मन दोस्त बन सकते हैं, अजनबी अपना हो सकता है 
कुछ रिश्तों में मजबूती आ सकती है, कुछ स्वप्न पूरे हो सकते हैं, 
अस्पष्टता के बादल छंटने पर स्पष्टता का सूरज उग सकता है
आज अपने दिल से कोई बोझ उतारा जा सकता है
आज किसी से अपने मन की बात कही जा सकती है
आज किसी से माफी मांगी जा सकती है किसी को माफ किया जा सकता है
आज किसी का कर्ज उतारा जा सकता है
आज कोई बेहतरीन काम शुरू हो सकता है
आज के दिन को यादगार बनाया जा सकता है
किसी के साथ बेहतरीन लम्हे बिताए जा सकते हैं
आज कुछ देर अपने लिए जिया जा सकता है
मनचाहा स्वाद लिया जा सकता है, मनपसंद सुगंध की महक ली जा सकती है,
पसंदीदा कपड़े पहने जा सकते हैं, 
आज कुछ ऐसा सीखा जा सकता है जो अच्छा हो
आज कुछ ऐसा रचा जा सकता है बनाया जा सकता है 
जो एक रचनात्मक तृप्ति दे सके
आज पर भरोसा कीजिये ये अनंत संभावनाओं के दरवाजे खोल सकता है 
आज वही होगा जो आप चाहेंगे, जो आप करेंगे,
जिसके लिए आप अस्तित्व से तैयार होंगे

@मन्यु आत्रेय

Monday 15 February 2021

पैसों से जुड़ी ज़रूरी बात !!

पैसों के बिना काम नहीं चलता
अपने पैसों को सोच समझ के खर्च कीजिये
आज बर्बाद किया एक एक पैसा आपको 
कल एक एक रुपये जितना महंगा पड़ेगा
और पैसों को खर्च करने की बजाय 
पैसों का निवेश करने की आदत डालिये
खर्च यानी पैसा फ़िज़ूल में व्यय किया 
निवेश यानी ज़रूरी कोई सुविधा जुटाना
अपनी सुरक्षा, सम्मान, स्वास्थ्य, परिवार की मजबूती के लिए खर्च करना। 
पैसो का असली मज़ा तब है जब लोग जानते हों,
आप अरबपति हों लेकिन लोगों को पता न हो 
तो लोग आपको ज़रा भी सम्मान नहीं देंगे 
लेकिन आपके पास पैसे न हों, पर लोगों को 
यह लगता हो कि आप के पास पैसा है 
तो आपके फटेहाल स्वरूप को भी 
लोग आपका फैशन स्टाइल मान लेते हैं 
ये दुनिया अक्सर लोगों के पैसों की ताकत को सलाम करती है 
उसके गुणों, व्यक्तित्व, ईमानदारी आदि आदि को नहीं
इसीलिए तो आजकल भ्रष्ट तरीकों से पैसे कमाने वाले समाज में न केवल स्वीकार्य हैं 
बल्कि उन्हें भरपूर सम्मान और प्राथमिकता दी जाती है
अपने जीवन स्तर को अपनी आर्थिक स्थिति के समानुपात में रखिये
आपके जीवन से आपकी आर्थिक स्थिति संतुलित दिखनी चाहिए
न तो रईस होकर भी गरीबी में जिओ
और न गरीब होकर रईसों की तरह जिओ। 
आर्थिक स्थिति ठीक न हो तो कर्ज़ लेकर दिखावा न करो
आर्थिक स्थिति कमजोर होना कोई शर्मिंदगी की बात नही है 
लेकिन उसे सुधारने के प्रयास न करना ज़रूर शर्मिंदगी की बात हो सकती है
पैसों को अपनी ताकत बनाइये कमजोरी नहीं।
पैसों की कद्र कीजिये, 
आपके लोग आपका साथ छोड़ दें तो भी 
अपने पैसों के दम पर आप अपने लिए ज़रूरी सेवाएं और सुविधाएं खरीद सकते हैं 
अपने पैसे बहुत सोच समझ कर किसी के हवाले कीजिये, 
चाहे उधार में हो या इन्वेस्टमेंट में,
क्योंकि दूसरे लोग आपके पैसों के प्रति 
तब तक  बहुत ज़िम्मेदार नहीं होते 
जब तक उनकी खुद की गर्दन न फंसी हो
इसलिए अपना पैसा पूरी सुरक्षा और वापसी की गारंटी के साथ किसी को दीजिए
बहुत से लोग आपके पैसों पर निगाह जमाये बैठे रहते हैं 
और कैसे आपसे माल झींटा जाए इसी उधेड़बुन में रहते हैं,
शेर के मुंह से शिकार निकालना सरल है, किसी को दिया हुआ पैसा निकलवाना बहुत कठिन है
मेहनत से कमाए पैसों पर असुरक्षित दांव कभी मत खेलो
पैसे कमाने के अवसर तलाशो, मिलें तो फायदा उठाओ, पैसे कमाने में कभी शर्म न करना वरना मुफलिसी ज़्यादा शर्मिंदा करेगी। 

@ मन्यु आत्रेय

Sunday 14 February 2021

लोगों को झूठ बोलने दीजिए !!

लोग कई बार झूठ बोलते हैं 
कई लोग अक्सर झूठ बोलते हैं 
कुछ लोग हमेशा झूठ बोलते हैं
कुछ लोग अपने फायदे के लिए या 
अपने नुक़सान को रोकने के लिए झूठ बोलते हैं 
कुछ दूसरों के नुकसान के लिए या 
उसके रास्ते मे बाधा खड़ी करने झूठ बोलते हैं
कुछ आदत से मजबूर होकर झूठ बोलते हैं 
कुछ लोग डर कर झूठ बोलते हैं 
कुछ लोग शरारत में झूठ बोलते हैं
कुछ लोग इसलिए झूठ बोलते हैं क्योंकि 
वो आपको सच नहीं बताना चाहते। 
कौन कब क्या,किस लिए, किस तरह, किससे क्या झूठ बोलेगा 
कुछ कहा नहीं जा सकता 
आज झूठ बोलना पाप नहीं रहा बल्कि लोक व्यवहार हो गया है 
जिसकी ज़िन्दगी जितनी ज्यादा जटिल होगी 
उसे उतना झूठ बोलना पड़ेगा 
जो जितना झूठ बोलता जाएगा उसकी ज़िन्दगी
इतनी जटिल होती जाएगी क्योंकि
झूठ सुलझाता दिखता है लेकिन उलझाता है 
सच उलझाता दिखता है पर सुलझाता है 
दूसरे आपसे झूठ नहीं बोलें इस पर 
आपका बहुत ज़्यादा नियंत्रण नहीं होगा
आप सिर्फ इतना कर सकते हैं कि 
आप उन्हें यह विश्वास दिलाएं कि 
सच बोलने पर उनको समझा जाएगा, 
उनके साथ बुरा व्यवहार नहीं किया जाएगा,
उन्हें कोई सज़ा नहीं दी जाएगी 
बल्कि अगर ज़रूरी हुआ तो मदद की जाएगी 
तो संभव है बहुत से लोग आपसे सच बोलने लगें
झूठे आदमी को ज्ञान बांटना व्यर्थ है 
कौन कब कितना बड़ा झूठ बोलता है या 
बोल सकता है, इसका अनुमान लगा के रखिये
वरना उसके झूठ के आधार पर बड़े निर्णय ले लेंगे तो बाद में बहुत पछताना पड़ेगा
झूठ छल और धोखे का बीज होता है
झूठे आदमी पर विश्वास करने की 
अपनी सीमा तय कर लीजिए
भरोसा तो किसी पर भी सिर्फ उतना करो 
जितनी हानि सहन कर सको
लोग झूठ बोलेंगे ही, उन्हें बोलने दीजिए
लोगों की बातों वादों और दावों की प्रामाणिकता की जांच करने की आदत डाल लीजिये
किसी की भी बात पर तुरंत फैसला मत कीजिये
झूठों की पहचान कर लीजिए, 
ऐसी परिस्थितियां बनाइये कि धूर्त झूठे का पर्दाफाश हो जाये
और आपका हाथ भी खराब न हो क्योंकि 
झूठ का पकड़ा जाना बेहद अपमानजनक होता है 
धूर्त झूठा आपसे बैर पाल सकता है 
कभी कभार वाले झूठे को चेतावनी देकर छोड़ दें
अकस्मात वाले झूठे को प्यार से झिड़की दे कर 
और आपके भले के लिये झूठ बोलने वाले को 
समझा कर छोड़ दीजिए कि आप सच स्वीकार करने लायक मज़बूत हैं 
ऊपर उठिए हर झूठ से !!
अर्र्ररर पहले ये तो देखिए कि आप खुद कितना झूठ बोलते हैं?😊

@मन्यु आत्रेय

Saturday 13 February 2021

कुछ बातें प्यार की कर लें!!

प्रेम है भी कि नहीं !
अव्वल तो यह समझ लो कि जिसे तुम प्रेम समझ रहे हो वह प्रेम है भी कि नहीं, कहीं वह आकर्षक लगना, कुछ गुणों या किसी बात से प्रभावित होना, दैहिक रूप से पा लेने की लालसा या कोई ऐसा लगाव तो नहीं जो किसी आवश्यकता को पूरा करता है 
अगर इसे प्रेम समझ रहे हो तो भ्रम में हो जितना गहरा डूबेंगे उतना बड़ा धोखा खाओगे आकर्षण घट जाता है इसका केंद्र बदल जाता है गुण बदल जाते हैं रंग ढल जाते हैं देह ढल जाती है लुनाई नष्ट हो जाती हैं आवश्यकताएं और प्राथमिकताएं बदल जाती हैं यदि छांट कर प्रेम किया हो किसी से तो वह और भी बड़ा धोखा होगा इसलिए धैर्य से सोचो समझो और फिर होश में आओ 

प्रेम का तोता रटन्त न करो!
प्रेम प्रेम की रट लगाने से कोई फायदा नहीं आपके व्यक्तित्व में आपके व्यवहार में प्रेम का समावेश हो लेकिन जीवन के लिए ज्ञान शक्ति साहस हास्य पैसा आत्म समीक्षा जैसी चीजें भी चाहिए सिर्फ प्रेम से कुछ खास होता नहीं प्रेम से पेट की आग नहीं बुझती बीमार की दवा नहीं आती प्रेम अगर आपकी गाइडिंग फोर्स बने तो बाकी चीजें आसान भले हो सकती हैं लेकिन सिर्फ प्रेम प्रेम की रेट लगाना काफी नहीं प्रेम करते रहना काफी नहीं बहुत कुछ और भी करना पड़ता है जिंदगी जीने के लिए इसलिए अपनी अकर्मण्यता को प्रेम में डूबे होने का नाम मत दो 

प्रेम को ऊंचाई दो!
यह अच्छे से याद रखना कि प्रेम की पराकाष्ठा देह अर्पित करने में नहीं है बल्कि देह की आसक्ति से बाहर निकल जाने में है सुंदर-असुंदर दुर्बल मांसल प्राप्त अप्राप्त लब्ध अलब्ध का भेद जब दिमाग में नहीं आएगा तो समझो कि प्रेम सही दिशा में बढ़ रहा है परंतु देह ईंट गारा है चाहो तो दीवारें खड़ी करके कोठरी बना लो या वैतरणी पार करने पुल बना लो 

प्रेम को मिट्टी रहने दो!
प्रेम को मिट्टी की तरह रहने दो सोंधा हुआ सा महकता धूप में पांव कम जलेंगे बारिश में उर्वरता बढ़ेगी ठंड में चोट नहीं लगेगी मिट्टी बाधा नहीं बनेगी प्रेम को सीमेंट जैसा ठोस ना बनाओ उसे स्थाई बनाने की कोशिश मत करो अन्यथा तुम उसे या तो अपने लिए कैदखाना बना लोगे या फिर अपना रास्ता रोकने वाली दीवार। प्रेम का सौंदर्य इस के बिखर जाने में है जहां जहां बिखरता है वहां वहां अंकुर फूट सकते हैं वहां वहां संभावना पैदा होती है प्रेम को मिट्टी ही रहने दो आखिर मुझको और तुम्हें मिट्टी में ही मिलना है मिट्टी ही तो हैं हम तो मिट्टी से मिट्टी मिल जाए बस वही पूर्णता।

Friday 12 February 2021

जब निराश हो जाओ तो इसे पढ़ना!

मेरे दोस्त
मैं जानता हूँ तुम परेशान हो 
कुछ ऐसे हालात में हो 
कि तुम्हें समझ नही आ रहा है कि क्या करूँ 
उलझन ऐसी है कि किसी को साफ साफ बताना भी शायद मुश्किल है
शायद इस लड़ाई में तुम खुद को अकेला महसूस करो
शायद तुम्हे ऐसा लगे  कि सब कुछ खत्म हो गया है 
सब कुछ हाथ से निकल गया है 
हो सकता है तुम्हे अपने साथ धोखा होने, 
और छल किये जाने का अहसास हो, 
तुम शायद अपने भाग्य को दोष दो
शायद उस इंसान को दोष दो 
या उन परिस्थितियों को दोष दो 
जिनके चलते तुम इस परेशानी में हो 
हो सकता है तुम्हे हर तरफ 
अंधेरा ही अंधेरा नज़र आ रहा हो
मैं तुम्हें कोई सांत्वना कोई ढाढस नहीं दूंगा
मैं तुम्हे कोई सहानुभूति नही दूंगा
मैं तुम्हे कोई झूठा आश्वासन नही दूंगा
कोई झूठी आस नहीं बंधाऊँगा
जो है वो है और जो नहीं है वो नही है
पर मैं तुम्हे याद दिलाना चाहूंगा कि
तुम अपनी ज़िंदगी मे आने वाली 
किसी भी समस्या किसी भी परेशानी से 
कहीं ज़्यादा मज़बूत हो
तुम किसी भी चुनौती से ज़्यादा ताकतवर हो
किसी भी समस्या संकट परेशानी से 
किसी भी चोट, किसी भी धोखे किसी भी छल से
तुम्हारा जीवन कहीं ज़्यादा अहम है 
जो ज़िन्दगी निराश करती है वही उम्मीद करने की हिम्मत भी देती है 
वही जीतने का हौसला भी देती है
ज़िन्दगी एक समस्या परेशानी के आ जाने से खत्म नहीं हो जाती 
कई बार हम समस्या और परेशानी को 
जितनी बड़ी करके देखते हैं 
उतनी बड़ी उतनी जटिल असल मे वो होती नहीं 
तुम उस समस्या को सिर्फ एक समस्या के रूप में देखो
एक बड़ी समस्या को तुम छोटे छोटे टुकड़ों में तोड़ के देखो और तुम्हे पता चलेगा कि
समस्या के इन छोटे छोटे टुकड़ों का हल कैसे करना है
हो सकता है कि दूसरों के व्यवहार पर 
उनकी सोच उनके कामों पर तुम्हारा कोई भी नियंत्रण नहीं हो
लेकिन अपनी ज़िंदगी की उन बातों पर
तुम नियंत्रण कर सकते हो
जिनके चलते ऐसी परेशानी या समस्या पैदा हुई है
अगर तुम अपने व्यक्तित्व और अपने व्यवहार से जुड़ी उन बातों को बदल लो 
जो तुम्हे कमज़ोर करती हैं और लोग 
जिनका नाजायज़ फायदा उठाने से नहीं चूकते 
तो अपने आप को भविष्य के किसी नुक़सान से बचाया जा सकता है। 
हमारी हर समस्या हर परेशानी के पीछे हमारी ही कुछ कमियां होती हैं 
पहले उनको सुधारना होगा उसके बाद दुनिया अपने आप सुधर जाएगी। 
जो भी हालात हैं जो भी परेशानी, समस्या संकट जो कुछ भी हो  
सबसे पहले उसे अच्छी तरह समझो
उससे जुड़े हर इंसान, हर बात 
हर स्थिति को आंको
क्या उनकी कोई जवाबी काट तुम्हारे पास है, 
अगर नहीं है तो क्या कोई काट हासिल हो सकती है 
ये सोचो क्या किसी की मदद मिल सकती है 
और उसे हासिल करने में जुट जाओ
दुनिया की हर समस्या का हल तुम्हारे पास नहीं होगा 
लेकिन दुनिया की हर समस्या का हल 
किसी न किसी के पास तो ज़रूर होगा ही 
और थोड़ा सा समय बीतने दो
थोड़ा सा मन को शांत कर लो 
अपने भीतर अपने आप से लड़ना बन्द करो 
और आधी जंग इसी से जीती जा सकती है
अपने भीतर मजबूती लाओ 
हिम्मत मत हारो
सोचो समझो और आगे बढ़ो
इस समस्या का अगर समाधान होगा तो 
वो तुम्हें हासिल हो जाएगा
और अगर नहीं होगा 
तो तुम उसका सामना करने और उसके ऊपर उठने के काबिल बन जाओगे। 
मेरी हज़ारों दुआएं हैं तुम्हे!!

@मन्यु आत्रेय


Thursday 11 February 2021

एक ब्रेक तो बनता है!

समय पर ब्रेक लेना अच्छा है
ब्रेक यानी हर बाध्यता, हर अनिवार्यता से दूर हो जाना, 
ब्रेक लेना आपको शांत करता है 
जो कुछ भी हम हैं उससे ब्रेक लेने से हम 
अपने आप के नए आयाम खोज सकते हैं 
जो कुछ भी हम करते हैं उससे ब्रेक लेकर 
रुचि को बनाये रख सकते हैं परफॉरमेंस सुधार सकते हैं
जिन परिस्थितियों में भी हम हैं उनसे ब्रेक लेकर 
हम खुद को उनके क़ाबिल बनाने और नए सिरे से खुद को तैयार करने में जुट सकते हैं 
अपने रिश्तों में ब्रेक लेना रिश्ते की लज़्ज़त को बढ़ा सकता है,
सामने वाले को स्पेस देता है उसे मुक्त करता है, अपनी कद्र पैदा करता है
अपने विचारों से ब्रेक लेकर हम ज़रूरी और बेकार विचारों को जान समझ पाते हैं, 
विचारों की रौ में बहने से बच जाते हैं 
हम तटस्थ होकर सोच पाते हैं 
ब्रेक लेने का अर्थ पलायन करना नहीं है 
बल्कि अपने आप को एकरसता से बाहर निकालना है ताकि रुचि खत्म न हो जाये
अपने आप को मशीन बनने से रोकना है 
अपनी कीमत को बनाये रखना है 
हाथ से छूटते रिश्तों को फिर एक मौका देना है
पर यह ध्यान रहे कि ब्रेक कब लेना है कब नहीं
जब आपकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत हो
जब ज़िम्मेदारी निभाना ज़्यादा अहम हो
जब कामयाबी का दारोमदार आप पर हो
जब कोई नाजुक मोड़ आ गया हो 
जब आप पर भगौड़ा होने का आरोप लग सकता हो 
ऐसे में ब्रेक लेना नहीं चाहिए।
ब्रेक लेने का अर्थ है अपने लिए अपनी नैसर्गिकता में उपलब्ध होना 
किसी को भी न कुछ सिद्ध करना है 
न कुछ दिखाना है न कुछ करना है 
बस अपने अस्तित्व में डूबना है 
जीवन को समझना है खुद को मौका देना है
इसलिए सही समय देख कर ब्रेक लीजिये
छुट्टी कीजिये अपने आप को खोजिए!!

@मन्यु आत्रेय

Wednesday 10 February 2021

खुशमिज़ाज बनिये विदूषक नहीं!

हर आदमी का एक इनर सर्किल होता है 
जिसमे वह खूब हंसता हंसाता है 
पर ये हमेशा याद रखना चाहिए कि
सब को खुश करने या हंसाने का ज़िम्मा 
भगवान ने आपको नहीं दिया है 
अक्सर कुछ लोग दूसरों को हंसाना चाहते हैं
उन्हें खुश करना चाहते हैं 
क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे दूसरे लोगों में वे लोकप्रिय होंगे 
उनकी स्वीकार्यता बढ़ेगी, माहौल हल्का होगा
इसके लिए लोग चुटकुला सुनाते हैं, मज़ाक़ करते हैं, रंग रंग की बातें करते है
माहौल को हल्का करने के चक्कर में कई बार 
हम हल्की बात कर जाते हैं, या ऐसा कुछ कर जाते हैं 
जो भले ही उस समय हास्यास्पद और मज़ेदाए लगे, 
लेकिन असल मे उससे लोग हमें हल्के में लेने लग जाते हैं 
फिर वो हमें फन ऑब्जेक्ट यानी मज़े की चीज़ समझने लगते हैं 
और बाद में बिना हमारे मूड की चिंता किये हमसे 
अपेक्षा करते हैं कि हम कुछ मजेदार सुनाएं 
बहुत बार दूसरों को खुश करने या हंसाने की कोशिश व्यर्थ जाती है तो अच्छा नहीं लगता
हर आदमी की समझ और मानसिकता अलग होती है 
हर आदमी हमे अलग अलग स्तरों और सीमा में जानता है
आदमी हर समय अलग अलग मनोदशाओं में होता है 
हो सकता है सामने वाला इस समय उदासियों के काले धूसर कम्बल तले सिसकना ही चाहता हो
या गहरा मंथन कर रहा हो मन में, उसमें  व्यवधान पैदा मत कीजिये
उससे संबंध खराब हो सकते हैं 
हमारी छवि खराब होते एक मिनट भी नहीं लगता, 
कई बार अपमानित भी होना पड़ सकता है 
इसलिए मत सोचिए कि सभी को आप खुश करें
सभी को हंसाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए
आप एक खुशमिज़ाज व्यक्ति बनिये, 
अपने व्यक्तित्व की सकारात्मकता बांटिए
लोगों को खुश करने के चक्कर में भांड या विदुषक मत बन जाइये
हर समय प्रलाप करना ज़रूरी नहीं है
खुशमिज़ाज बनेंगे तो सम्मान बचा रहेगा
विदूषक बनेंगे तो हल्के में लिया जाएगा
यदि विदूषक ही बनना है तो स्टैंड अप कॉमेडियन बन जाइये

@मन्यु आत्रेय

Tuesday 9 February 2021

दूसरों की उपलब्धियों को स्वीकार करें।

नव कल्प
दूसरों की उपलब्धियों को स्वीकार करना है 
चाहे मैं खुद उसके लिए संघर्ष कर रहा हूं
किसी ने कोई परीक्षा उत्तीर्ण की हो
या घर गाड़ी ऐशो आराम हासिल किया हो
कोई सम्मान पुरस्कार प्राप्त किया हो 
या मनचाहा इंसान उसे मिल गया हो
चाहे कोई भी उपलब्धि उसे हुई हो 
चाहे वो मुझे पसंद हो या न हो
वो मेरी प्राथमिकता और इच्छा हो या न हो 
किसी की उपलब्धि को कम करके नहीं आंकना है 
क्योंकि जो मेरे लिए एक साधारण बात हो 
हो सकता है उसके लिए वही बात बहुत कठिन चुनौती हो 
हर उपलब्धि की अपनी कीमत होती है
अपने लक्ष्य अपने सपने को पूरा करने के लिए 
जी जान से मेहनत करनी पड़ती है 
बहुत सारा समय लगाना पड़ता है 
अपने संसाधन लगाने पड़ते हैं
अपने मन की कई इच्छाओं को मारना पड़ता है
अपनी प्राथमिकताओं पर अडिग रहना पड़ता है 
दिन रात जुटना पड़ता है तब उपलब्धि हासिल होती है 
जिस उपलब्धि के लिए जितनी प्रतिस्पर्धा हो 
और जितनी कठिन डगर हो वो उतनी बड़ी होती है 
आखिर सामने वाले की अपनी प्रतिभा है 
उसके प्रयास हैं होशियारी है, प्रबंधन है
अपना भाग्य भी है अपने हालात हैं 
जो उसके अनुकूल रहे 
मुझे दूसरों की उपलब्धि को स्वीकार करना है 
चिढ़ना नहीं है, हताश परेशान नहीं होना है, 
ये नहीं सोचना है कि इसने भी पा लिया मुझे कब मिलेगा
जब मैं उस उपलब्धि की कीमत चुका सकूंगा
जब मेरे प्रयास और मेरी परिस्थितियां परस्पर अनुकूल हो जाएंगी 
मुझे भी वह उपलब्धि मिल सकती है 
अगर सामने वाले को मिली तो मुझे भी मिल सकती है
मुझे दूसरों की उपलब्धि से उनकी सफलता से 
कुछ न कुछ सीखना है, 
समझना है और अमल में लाना है 
उपलब्धि से पहले उनको मिली असफलता से भी बहुत कुछ सीखा जा सकता है
यदि किसी ने गलत तरीके से गलत साधनों का इस्तेमाल करके भी कोई उपलब्धि पायी है 
तो उसकी सराहना नहीं करनी है सम्मान नहीं करना है 
वरना समाज मे गलत प्रवृत्तियों को बढ़ावा मिलेगा
हालांकि आज दुनिया सिर्फ उपलब्धि देखती है 
आपने सही गलत किन साधनों से उसे पाया वह नहीं देखती 
इसके बावजूद मुझे सही तरीकों से ही हर उपलब्धि पानी है 
क्योंकि इसी से मन शांत होगा और उपलब्धि सार्थक होगी

@मन्यु आत्रेय

Monday 8 February 2021

दूसरों के चंगुल से बाहर निकलिए।


नव कल्प
हम में से अधिकांश लोग किसी के प्रभाव में होते हैं, लेकिन कुछ लोग बुरी तरह से किसी के प्रभाव में होते हैं, किसी के चंगुल में फंसे होते हैं। 
किसी के प्रभाव में होना उतना बुरा नहीं है जितना किसी के चंगुल में होना क्योंकि इसका मतलब है फंसा हुआ होना। 
कई बार उन्हें पता नहीं होता कि वो किसी के चंगुल में हैं, तो कभी वे उस चंगुल से निकलने के लिए छटपटाते रहते हैं। 
कभी हम किसी दूसरे इंसान के चंगुल में होते हैं तो कभी परिस्थितियों के और कभी खुद अपने व्यक्तित्व, व्यवहार और सोच के।
चंगुल से निकलने का सबसे पहला कदम है अपनी स्थिति को समझना,
अपने अहम को किनारे रखकर यह स्वीकार कीजिये कि आप किसी के चंगुल में हैं, और आपको किसी भी दशा में उससे बाहर निकलना है
आप यह देखिए कि सामने वाले व्यक्ति का हस्तक्षेप और प्रभाव आपके जीवन के किस किस क्षेत्र में है, वो किस प्रकार से आपकी भावनाओं, आपके विचारों, आपके आत्मबल, आपके निर्णयों और आपकी गतिविधियों को प्रभावित करता है
आप ये समझने की कोशिश कीजिये कि आपकी वो कौन सी कमियां कौन सी मजबूरियाँ और कौन सी परिस्थितियां हैं जिनके कारण आप उसके कब्जे में हैं 
बिना सामने वाले को पता चले, अपनी एक एक निर्भरता या मजबूरी को दूर कीजिये। यदि आप भावनात्मक रूप से बहुत ज़्यादा आश्रित हैं तो मन को कड़ा कीजिये और उन लोगों से जुड़िये जो आपको भावनात्मक रूप से संबल दे सकें। 
यदि पैसों से मजबूर हैं तो पैसे बचाइए, कमाइए, बढ़ाइए, शारीरिक रूप से निर्भर हैं तो विकल्प तलाशिये। बेसहारा हो जाने के डर को खत्म कर लीजिए। अपनी स्थिति को अंदर ही अंदर मज़बूत कीजिये। ऐसे लोगों से संबंध बढ़ाइए जो वक़्त पड़ने पर आपके साथ खड़े हो सकें। 
सामने वाले के हर एक तार को काटिये जिससे वो आपको नियंत्रित करता है
जब आपके भीतर आत्मबल आ जाये तब उसके द्वारा थोपे जाने वाले निर्णयों को अस्वीकार करना शुरू कीजिए। 
अपनी पसंद नापसंद को महत्व देना शुरू कीजिए। अपने काम को अपनी पहचान बनाइये। 
सामने वाले के प्रभाव का दायरा सीमित करते चलिए लेकिन जब तक आप पूरी तरह से तैयार न हो जाएं उसे चुनौती या चेतावनी मत दीजिए अन्यथा वह सतर्क होकर आपको फांसने की कोशिश में जुट जाएगा। 
उससे संपर्क और संवाद धीरे धीरे कम कीजिये। अपने मनोभाव, योजनाएं, इच्छाएं, ज़रूरतें, दूसरों से अपने संबंधों को उसे मत बताइये। हो सकता है अपने चंगुल से आपको निकलता देख वह कोई भावनात्मक नाटक करे, डराए, धमकाए, लालच दे, घेरने की कोशिश करे, लेकिन आपको अडिग रहना होगा। उसके हर संभावित उपाय को सोच समझ कर रख लीजिए ताकि उससे प्रभावित न हो पाएं। हिम्मत बना के रखिये। ये जीवन आपका अपना है, इसे गुलामी में मत काटिए। स्वतंत्र जीवन जियें। दूसरों के चंगुल से बाहर निकलिए। 

@मन्यु आत्रेय

Sunday 7 February 2021

क्या आप किसी की कठपुतली हैं?

नव कल्प
लोग हमेशा एक दूसरे को प्रभावित करते हैं
संबंध असल मे प्रभावों का एक ताना बाना है दो लोगों का एक दूसरे पर जो प्रभाव होता है वह उन दोनों के संबंध को निर्धारित करता है 
जब किसी व्यक्ति पर किसी दूसरे इंसान का प्रभाव हद से ज्यादा बढ़ जाता है तो दूसरे व्यक्ति की स्वतंत्रता जाती रहती है 
और वह प्रभावित करने वाले के इशारों पर चलने वाली कठपुतली बन जाता है
हममें से अधिकांश लोग कभी न कभी किसी न किसी की कठपुतली रहते हैं 
इसी तरह कभी न कभी किसी ना किसी को 
हम अपनी कठपुतली की तरह इस्तेमाल करना चाहते हैं
जिस इंसान में अधिकार भावना या पजेसिवनेस ज्यादा होती है 
वह अक्सर दूसरों को अपनी कठपुतली की तरह इस्तेमाल करता है 
प्रभावित होने वाला व्यक्ति समझ नहीं पाता कि वह कठपुतली बन गया है 
और दूसरे के इशारों पर चलने लगता है 
बहुत बाद में जब उसका कोई बड़ा नुकसान हो जाता है 
या वह किसी बड़ी समस्या में फंस जाता है 
तब उसे यह समझ में आता है कि उसका इस्तेमाल किया गया है
हमें कठपुतली की तरह अपने इशारों पर नचाने वाले लोग 
हमारा भावनात्मक शोषण करते हैं, हमारे विश्वास हमारे समर्पण हमारी उपलब्धता के साथ खिलवाड़ करते हैं 
हमारे साथ दिमागी खेल खेलते हैं 
हमारी भावनाओं से खेलते हैं और हमें अपने कब्जे में रखना चाहते हैं
जब उनका मकसद पूरा हो जाता है जब हम उनके किसी काम के नहीं होते तो वह हमें फेंक देते हैं
अपने आप से आज सवाल कीजिये
मैं अपनी मर्ज़ी से जीता हूँ या किसी की अनुमति चाहिए होती है? 
क्या मेरे जीवन मे मैं किसी दूसरे के निर्णयों को मानने के लिए मजबूर हूँ?
क्या मुझे अपनी किसी बात को किसी के सामने गलत मानना पड़ता है भले ही मैं सही रहूं?
क्या कुछ भी करने या सोचने से पहले मुझे 
किसी दूसरे व्यक्ति के बारे में सोचना पड़ता है? 
क्या हर बार त्याग और समझदारी दिखाना मेरे हिस्से में ही आता है?
क्या अपनी मर्ज़ी से कुछ करते या कोई फैसला लेते हुए एक अपराध बोध मुझमें आता है? 
यदि इन सवालों का जवाब "हाँ" है 
तो आप उस व्यक्ति की कठपुतली बन चुके हैं
आपको उसके नियंत्रण से बाहर निकलने पर विचार करना चाहिए। 


@मन्यु आत्रेय

Saturday 6 February 2021

अपने संसाधनों का प्रदर्शन न करो!



नवकल्प

संसाधन महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि इन्हीं से कोई काम संभव होता है
आपके संसाधन क्या क्या हैं 
आपकी देह, आपकी प्रतिभा, आपकी स्थिति,आपकी पोजीशन या हैसियत और शक्ति, आपके पास का पैसा और संपत्ति,
आपके संपर्क और संबंध, आपके लोग, आपकी साख, आपके पास की सब छोटी बड़ी भौतिक सम्पदाएँ
जैसे ही आप इन्हें दूसरों को दिखाते है 
लोग इनका दोहन करने में जुट जाते हैं 
आप अपने पैसे दिखाइए और कोई न कोई 
या तो उन्हें खर्च करने का रास्ता निकलवा देगा या आपसे उधार या इन्वेस्टमेंट के लिए मांग लेगा या कोई चोर चोरी करने को प्रेरित हो जाएगा
आप अपनी शक्ति प्रदर्शित कीजिये और लोग उसका फायदा उठाने का रास्ता निकाल लेंगे
आपको ऐसे लोग ज़रूर मिलेंगे जो आपके उच्चस्तरीय संपर्कों से काम निकलवाना चाहेंगे, भले ही आपने अपना कोई काम करवाया हो या न करवाया हो 
जो दूसरों को दिखा कर लुगदी बनाता है उसकी लुगदी में अक्सर कोई और भी मांझा सोंट लेता है
शक्कर दिखाओगे तो चींटियां आ ही जाएंगी
आपके संसाधन बेशक़ किसी के काम आ जाएं जिससे आपका कुछ घटता नहीं हो, कोई नुकसान नहीं होता हो
चूंकि हम पहले ही अपने पैसे या संपर्कों का लाभ किसी दूसरे को दिलवा चुके थे
कभी कभी हम किसी ऐसे अपने की मदद नहीं कर पाते जो हमारे लिए ज़्यादा महत्वपूर्ण था, या जिसे हमारी सहायता की ज़्यादा ज़रूरत थी
उस समय बड़ा बुरा महसूस होता है और कई बार संबंध भी खराब हो जाते हैं 
जब हम अपने संसाधनों का प्रदर्शन करते हैं तो हमें बेहद शक्तिशाली और सम्मानित लगता है, कहीं न कहीं हमारा अहम भी तृप्त होता है
लेकिन अभिनंदन की यह  माला कब पैरों की जंजीर बन जाती है पता नहीं चलता
कई लोग आपसे जुड़ते ही इसलिए हैं ताकि 
आपका फायदा उठाया जा सके
आपके संसाधन कम हों तो भी उनका प्रदर्शन मत कीजिये
क्योंकि इससे आपकी औक़ात लोगों को पता चल जाती है और आपके दुश्मन आपको कमज़ोर करने के लिए आपके संसाधनों पर हमला कर सकते हैं
आपकी स्वाभाविक जीवन शैली से , व्यवहार से 
यदि कुछ प्रदर्शित होता है तो वह स्वाभाविक है परंतु खुद प्रदर्शन करना दिखावा होता है जो गहराई में नुक़सान देह होता है
इसलिए अपने संसाधनों का प्रदर्शन करने से बचो !

@मन्यु आत्रेय

Friday 5 February 2021

हर जगह अपनी नाक मत घुसाओ

नव कल्प
ये बात ध्यान में रखनी है कि
लोग कई कई समस्याओं से जूझ रहे होते हैं
कई मुश्किल और जटिल स्थितियों में होते हैं, संघर्ष कर रहे होते हैं 
कभी कभी हम ज़बरदस्ती लोगों के जीवन में हस्तक्षेप कर देते हैं जिससे हमारा कोई लेना देना नहीं होता
शायद हम सोचते हैं कि हम ज़्यादा होशियार हैं, या हमें लगता है हमारे बिना ये निपटेगा नहीं या सामने वाला वैसा नहीं कर रहा है जैसा हमारे अनुसार उसे करना चाहिए था, 
अगर हम कमीने हुए तो मज़ा लेने या फिर 
परिस्थितियों को और जटिल करने के लिए 
बीच मे टपक पड़ेंगे,
कई बार कोई हमसे मदद मांगता है 
और हम कूद जाते हैं उसकी मदद करने
चाहे हमें उसकी मदद नहीं भी करनी चाहिए थी 
या उसका हमसे मदद की अपेक्षा रखना वाजिब नहीं था 
कई बार हमें कुछ भी पता नहीं होता और हम पहुंच जाते हैं हीरो बनने
जब आदमी को बिच्छू का मंत्र भी न आता हो 
तो सांप के बिल में हाथ डालना नही चाहिए
जिस प्रकार के मामले को डील करना 
हमे अच्छे से नहीं आता हो उसमें कूद कर 
हम सामने वाले की मेहनत को बर्बाद भी कर सकते हैं,अपमानित भी हो सकते हैं 
कई बार सामने वाला मदद सिर्फ इसलिए मांगता है 
क्योंकि उसे जुए में जोतने के लिए एक बैल चाहिए होता है 
और आपको वो एक तरह से शिकार बना लेता है
वो फुर्र हो जाता है और आप फंस जाते हैं 
जब आपकी क्षमता, साहस, और विपरीत परिस्थितियों का सामना करने का हुनर कम हो और खासकर तब जब वो आपका कर्तव्य न हो, जब आप सिर्फ एक विकल्प हों किसी के लिए, 
तो आप भरसक ये कोशिश कीजिये कि किसी लफड़े में न पड़ें
असल मे परिस्थितियां कितनी जटिल हैं
पूरा मामला असलियत मे क्या है 
जिसके पक्ष में आप खड़े हो रहे हैं उसकी असली भूमिका क्या है, 
जिसके विपक्ष में आप खड़े हो रहे हैं उसकी प्रतिक्रिया को आप झेल पाएंगे या नहीं, 
इस सबका विचार करके ही किसी के फटे में टांग अड़ाना है
लाखो प्रतिभाशाली लोग बस इतनी सी गलती के कारण बर्बाद हो चुके हैं 
आपको अपने आस पास ऐसे लोग मिल जाएंगे 
जब कर्तव्य हो, मानवता के लिए अनिवार्य हो 
और जिसके परिणाम झेलने की हिम्मत आपमें हो 
तो ज़रूर दूसरों के फटे में टांग अडाइये 
पर यह भी याद रखिये कि यह बेशक़ीमती जीवन किसी के चक्कर मे खराब करने के लिए नहीं है !!

@मन्यु आत्रेय

Thursday 4 February 2021

मैं सर्वश्रेष्ठ नहीं हूँ ! याद रखना है!!

*नव कल्प*
मुझे यह कभी नहीं भूलना है कि
इस दुनिया मे मुझ जैसे 6.5 अरब लोग हैं
मैं जो हूँ वो हूँ लेकिन मुझसे बेहतर लाखो लोग हैं
शायद मेरे आस पास, शायद मेरे दायरे में भी,
शायद हर कोई मुझसे किसी न किसी मामले में 
किसी न किसी बात में, किसी न किसी हुनर में 
मुझसे बेहतर होगा, 
कोई मुझसे अच्छा कवि, लेखक, गायक होगा
मुझसे बेहतर सपने देखता होगा, 
मुझसे बेहतर कल्पनाएं करता होगा
जिसकी भाव बुद्धि का स्तर मुझसे ऊंचा होगा
कोई मुझसे ज़्यादा सहनशील होगा,
कोई व्यक्तित्व में, कोई देह से, कोई स्वास्थ्य से, 
कोई व्यवहार से कोई संसाधन से, कोई बुद्धि से, 
कोई भाग्य से कोई प्रभाव से मेरी तुलना में 
बेहतर होगा अधिक क्षमतावान होगा
किसी की उपलब्धियाँ मुझसे श्रेष्ठ होंगी,
किसी का हार न मानते हुए जुटने का हौसला 
मुझसे बेहतर होगा, 
कोई मुझसे ज़्यादा अच्छा प्रेमी होगा, 
मुझसे ज़्यादा अच्छा पति, पिता, पुत्र, भाई और 
दूसरे तमाम रिश्तों को मुझसे अच्छा निभाने वाला होगा, 
कोई मुझसे अच्छा सीखने वाला होगा, 
मुझसे बेहतर प्रेरणाएं देता होगा, 
कोई ऐसी चीजें जानता समझता होगा जो मैं नहीं जानता समझता, 
कोई मुझसे ज़्यादा होशियार, कर्तव्यपरायण, ईमानदार, निष्ठावान और अच्छे चरित्र वाला होगा
सिर्फ कोई नहीं कई लोग मुझसे बेहतर होंगे
हज़ारो लोग मुझसे बेहतर या बराबर नहीं भी होंगे
शायद मुझसे कहीं निचले पायदान पर होंगे
पर ये दुनिया हम सबकी है, 
ये दुनिया मेरी भी उतनी ही है जितनी मुझसे श्रेष्ठ और बेहतर की, 
और उतनी ही उनकी भी जो कमतर हैं कमज़ोर हैं
अपने से श्रेष्ठों को देखकर हीन भावना नहीं पालनी है 
और अपने से कमजोरों को देखकर अहंकार नहीं पालना है
अपने आप को जीवन की अपनी परिस्थितियों के अनुसार अच्छे से अच्छा बनाना है, 
क्योंकि हर व्यक्ति अपनी अपनी परिस्थितियों के बीच बेहतर या कमतर हुआ है,
जब हम पैदा हुए थे तो हम अनंत संभावना थे
और जैसे जैसे उम्र बढ़ती गयी,
संभावनाएं धूमिल होके गायब होने लगी
जितना जीवन शेष है उसमें बेहतर से बेहतर होने की 
कोशिश करनी है ताकि जीवन के अंतिम क्षण में 
यह सुकून रहे कि मै एक बेहतर इंसान बन सका!

@मन्यु आत्रेय

Wednesday 3 February 2021

अपने मूड के गुलाम न बनो

नव कल्प
मूड खराब होने से बचना है 
जब मूड खराब होता है 
तो किसी काम मे मन नहीं लगता, 
इमोशनल बैलेंस बिगड़ जाता है
बुरा बुरा लगता है, खिन्नता सी आ जाती है
कोई अप्रिय बात बार बार दिमाग़ में घूमती रहती है
क्रोध आने लगता है, किसी से झगड़ लेने को मन करता है
अपनी क्रिया प्रतिक्रियाएं बिगड़ने लगती है
मूड का खराब होना स्वाभाविक है लेकिन
मूड खराब हो जाये तो पूरा दिन खराब हो जाता है 
यदि बहुत मूडी आदमी हुए तो कई दिनों तक 
भीतर खिन्नता भरी रहती है
हमेशा मूड का खराब होना अवसाद या डिप्रेशन का संकेत हो सकता है
कई बार हमारे शत्रु जान बूझ कर हमारा मूड खराब करके 
हमारा ध्यान भंग करवाना चाहते हैं 
हमारे प्रतिद्वंद्वी हमें रास्ते से हटाने के लिए हमारा दिमाग़ खराब करते हैं
रिश्तों में या काम काज में कुछ ऐसा घटित होता ही है 
कि हमारा मन खराब हो जाता है
इसे लंबा खींचने से बचना है मन को खुश रखना है
तो मूड खराब होते ही क्या करना चाहिए?
जिस व्यक्ति या काम के कारण मूड खराब हो
उससे तुरंत दूर हो जाएं, 
उस बारे में सोचना बंद कर दें
उस जगह से थोड़ा कहीं दूर चले जाएं
खुले वातावरण में आएं, लंबी गहरी सांस लें
हरे भरे पेड़ों को देखिए, आस पास खेल रहे बच्चों को देखिए, 
कोई खुशबू सूंघिये, जैसे कोई अगरबत्ती या इत्र
कुछ लज़ीज़ स्वादिष्ट मनपसंद चीज़ खा लीजिये
या एक कप बढ़िया कॉफ़ी या चाय या अन्य कोई मनपसंद पेय पीजिए
कोई प्रिय गाना सुन लीजिए या वीडियो देखिए
या कोई गाना गुनगुनाइए, कोई संगीत का वाद्य बजाइये, या कोई ड्राइंग बनाइये यूं ही
किसी बहुत पुराने दोस्त से बात कर लीजिए
किसी प्रिय व्यक्ति से हल्की फुल्की बात कर लीजिए
जब आपको बहुत खराब महसूस हो रहा हो 
तो अपने जीवन के उन दिनों की याद कीजिये
जब आप बहुत सकारात्मक और ऊर्जावान थे
और ध्यान रखिये आप वही हैं और वही रहेंगे
बस मन को शांत करने का प्रयास कीजिये
जब मन शांत हो जाये तो उस घटनाक्रम 
उस व्यक्ति, उस बात पर 
ठंडे दिमाग से विचार करें जिसके चलते मूड खराब हुआ
उन स्थितियों और अपनी भूमिका की समीक्षा कीजिये 
आपका मूड बिगड़ना कब कैसे और क्यों शुरू हुआ
इसे समझ कर रख लीजिए ताकि जब 
भविष्य में कभी वैसी ही परिस्थिति बने तो आप
विषय को दूसरी ओर मोड़ कर अपने मूड को अच्छा बनाये रख सकें। 

@मन्यु आत्रेय

Tuesday 2 February 2021

कोई नीचा दिखाए तो क्या करें?

नव कल्प
मुझे दो बातें खास तौर पर ध्यान रखनी हैं
अव्वल, अपने व्यवहार और अपने व्यक्तित्व को 
इतना हल्का नहीं रखना है 
ऐसी परिस्थिति में फंसने से बचना है 
कि कोई भी हल्के में ले और नीचा दिखाने की कोशिश करे, 
और दूसरी, किसी ने नीचा दिखाने की
कोशिश की तो उसे माकूल जवाब ज़रूर देना है
जहाँ मुमकिन हो तुरंत जवाब देना है, 
और जब मुमकिन नहीं हो तो बाद में ज़्यादा अच्छा जवाब देना है
मगर जवाब देना ही है, छोड़ना नही है
क्योंकि अगर जवाब नहीं दिया तो सामने वाले की हिम्मत बढ़ती जाएगी, 
पहले छोटा अपमान करने वाला बाद में बड़ा अपमान करने लगेगा
मुझे अपमान सहता देख कर दूसरों की हिम्मत भी बढ़ जाएगी
कि वे भी मेरे साथ अपमानजनक बर्ताव करें
इससे मेरे व्यक्तित्व का दमन होगा जो मुझे तोड़ देगा, 
अपनी गलतियों के लिए, चूको के लिए, दूसरों को पहुंची हानि के लिए 
बेशक़ मुझे चार बातें सुननी पड़ेंगी, सहनी पड़ेंगी
और कभी कभी रिश्तों को संभालने के लिए
या अपने आप को किसी बड़ी हानि से बचाने के लिए 
मुझे चार बातें सुननी पड़ सकती हैं
लेकिन अगर कोई बिना वजह मुझ पर हावी हो,
मेरी गलती के बिना मुझे अपमानित करे, 
मुझे नीचा दिखाने की कोशिश करे 
तो उसका प्रतिकार हर हालत में करना है, 
गलत आदमी, गलत आरोप को सहन करना 
दुनिया मे गलत प्रवृत्तियों को बढ़ावा देगा 
जिसका दोष मुझे अपने सर नहीं लेना
मुझे जवाब देना ही होगा लेकिन कामचलाऊ नहीं, 
मुझे ऐसा जवाब देना है ताकि सामने वाले को 
यह स्पष्ट हो जाये कि मेरे साथ ऐसा बर्ताव नही चलेगा
उसे पता चल जाये कि मेरा सम्मान इतना सस्ता नहीं, 
जहाँ शब्दों से जवाब देना हो वहां शब्दों से 
और जहाँ अपने काम से जवाब देना है 
वहां अपने काम से जवाब ज़रूर देना है,
जो जिस भाषा को समझता है उसे उस भाषा मे जवाब देना ज़रूरी है, 
किसी की कोई बात कोई काम दिल को चुभ रहा हो 
तो उस वेदना से खुद को निकालना मेरे लिए ज़रूरी होगा 
इसलिए जवाब सोच विचार कर देना है
ये सच है कि इससे एक संघर्ष छिड़ सकता है
संघर्ष में मैं जीतूँ या हारूँ उससे उतना फर्क नहीं पड़ता 
परंतु मुझे आत्म दमन मंजूर नहीं, मुझे दबना मंजूर नहीं 
बस यह सारी दुनिया को बताना है
यही आत्म सम्मान मेरी ज़िंदगी की निधि है। 
@मन्यु आत्रेय

Monday 1 February 2021

उन लोगों को कभी भूलना नहीं !!

नवकल्प
मुझे उन लोगों को कभी भूलना नहीं है 
जिन्होंने मुश्किल से मुश्किल हालात में कभी मेरा साथ नहीं छोड़ा 
जिन्होंने मेरा हाथ उस वक्त भी थामे रखा 
जब सब मुझे छोड़ चुके थे 
जिन्होंने मेरे सम्मान की रक्षा के लिए अपने सम्मान 
और दूसरों से अपने संबंधों को दांव पर लगा दिया 
जिन्होंने मेरी मदद करने के लिए 
अपना समय मेहनत चैन आराम और संसाधन सब झोंक दिया 
जिन्होंने मुझ में अपना भरोसा कभी तोड़ा नहीं
जिन्होंने मेरी इच्छा पूरी करने के लिए अपनी जरूरतों को त्याग दिया, 
जिन्होंने मेरी जली कटी बातों को 
मेरे क्रोध, उपेक्षा को भी शांति से सह लिया 
जिन्होंने बहुत बुरा लगने पर भी पलट कर मुझे जवाब नहीं दिया 
जिन्होंने मेरे लिए दुनिया से संघर्ष किया 
जिन्होंने बिना मांगे ही मुझे वह दिया जिसकी मुझे सख्त जरूरत थी 
जिन्होंने हर वक्त मेरी परवाह मेरी पूछ परख की 
और महसूस कराया कि मैं अकेला नहीं हूं 
जिन्होंने मेरी ज़िंदगी बनाने और संभालने में मेरी मदद की

मुझे उन लोगों को भी कभी भूलना नहीं है
जिन्होंने मेरा मज़ाक उड़ाया,
जिन्होंने मेरा भरोसा नहीं किया, मुझ पर संदेह किया
जिन्होंने मेरी ज़रूरत के सबसे गंभीर समय मे मुझसे हाथ छुड़ा लिया 
जो मेरे पक्ष में खड़े हो सकते थे लेकिन हुए नहीं
जिन्होंने मेरी मदद करने का ढोंग किया, मुझे धोखे में रखा
जिन्होंने मेरी गलतियों मेरी चूको मेरी खामियों को मुझे बताया नहीं 
जिन्होंने उनका फायदा उठाने की कोशिश की 
जिनको मेरे खिलाफ हो रहे षड्यंत्रों की जानकारी थी 
लेकिन उन्होंने मुझे न आगाह किया न मदद की,
वह जो आस्तीन के सांप और धोखेबाज निकले 
वो जो मेरे अच्छे समय के साथ वापस मुझसे नज़दीकी बढ़ा रहे हैं
वह जो भीड़ की शक्ल में छुपे हुए भेड़िए हैं 
वह जो आज भी मेरे खिलाफ साजिश करने की सोच सकते हैं 
मुझे नहीं भूलना है किसी को भी 
सब कुछ याद रखना है क्योंकि मेरी ज़िंदगी की कहानी 
ऐसे सभी लोगों से ही पूरी होगी !!

@मन्यु आत्रेय

करीबी लोगों के प्रति हम लापरवाह हो जाते हैं

कुछ लोग जो हमारे करीबी होते हैं, अक्सर हम उनके प्रति लापरवाह हो जाते हैं। पति को पता नहीं चलता कि पत्नी किस शारीरिक समस्या से ज...