अगर आप अच्छे से ध्यान देंगे तो पाएंगे कि हर दिन
कोई न कोई व्यक्ति आपको अपनी तकलीफें,
अपने दुख, परेशानियाँ, विपदा बताता ही है
आप भी किसी न किसी से ये सब बताते होंगे
जब दो लोग आपस में अपने सुख दुख
अच्छे बुरे अनुभव साझा करते हैं तो
उनके आपसी संबंध मजबूत होते हैं
खुशियाँ बांटने से बढ़ती हैं और दुख बांटने से घटता है
क्योंकि किसी की सहानुभूति या समानुभूति से इंसान को राहत मिलती है।
परंतु लगातार लोगों का दुखड़ा सुनने से आपके भीतर नकारात्मक भाव पैदा हो सकते हैं
आपके भीतर अमंगल की आशंका आ सकती है
हर एक का दुखड़ा सुनना अनिवार्य नहीं है
जितनी आपकी क्षमता हो जितना आपका मन मज़बूत हो उतना ही सुनिए
जब लोग बार बार नकारात्मक बात आपको बताते हैं
तो बहुत सूक्ष्म रूप से आप उसे
अपने जीवन पर भी लागू करने लगते हैं
आप में अविश्वास आ जाता है,
आपको लगने लगता है कहीं मेरे साथ तो ऐसा नहीं हो जाएगा
दूसरों के दुख दर्द बांटना ठीक है
लेकिन उससे अपना मनोबल कम करना ठीक नहीं
आपके सबसे करीबी लोग जिनकी आप मदद करना चाहेंगे उनका दुखड़ा सुना जा सकता है
या कोई ऐसा मुसीबत का मारा है जिसकी मदद आपको नैतिकता के नाते, इंसानियत के नाते करनी ही चाहिए, उनका दुखड़ा सुन के यथासंभव मदद की जा सकती है
कुछ लोग आकस्मिक रूप से आपको दुखड़ा सुना बैठते हैं यानी अचानक बातें और परिस्थितियां कुछ ऐसी बनती हैं कि वे आपको अपनी तकलीफ या दुख बता देते हैं
यानी वे कोई तय करके नहीं रखते कि आपको बताना ही है, बस बता बैठते हैं, उनको कोई खास आशा या अपेक्षा आपसे नहीं होती,
कुछ लोग अपना दुखड़ा सुनाने के आदी होते हैं जिनके जीवन से न तो समस्याएं कभी खत्म होती हैं और न ही उनका दुखड़ा कभी खत्म होता है।
जिनको अपना दुखड़ा सुनाए बिना खाना हज़म नहीं होता, आप मिल गए तो आपको सुना दिया, आप नहीं तो कोई और सही।
जबकि कुछ लोग सोच समझ कर दुखड़ा सुनाने वाले होते हैं,
वे हर किसी को अपना दुखड़ा इसलिए सुनाते हैं
ताकि सामने वाले से कुछ प्राप्त कर सकें
चाहे वो पैसे हों, या कुछ और।
वो आपके अंदर छुपे मानवता, दया या अपराध बोध जैसे भाव का दोहन करते हैं
ऐसे लोगों को जब आप दुखड़ा सुनने के बाद भी मदद नहीं करते
तो ये जगह जगह आपकी बुराई करते फिरते हैं,
और आप पर ऊर्जा बर्बाद करने की बजाए नया शिकार तलाशते हैं।
दूसरों की मदद करना अच्छा है, ज़रूरी भी है
और हमें ईश्वर का धन्यवाद करना चाहिए कि उसने हमें इस लायक बनाया कि हम किसी के काम आ पाएं
लेकिन कोई इसका दुरुपयोग करे, हमारा शोषण करे, हमें इस्तेमाल कर डाले
हमारे मन की शांति को भंग कर डाले यह ठीक नहीं
कभी कभी किसी की मदद करने के चक्कर में आदमी खुद बड़े संकट में पड़ जाता है
इसमे कोई समझदारी नहीं है
इसलिए किसी का दुखड़ा सोच समझ कर सुनिए और खुद को अनावश्यक लफड़े में पड़ने से बचाइए।
@मन्यु आत्रेय