शक्ति बहुत सी बाहरी बातों और बहुत सी आंतरिक बातों में निहित करती है।
आंतरिक और बाहरी शक्ति के मेल से ही असली शक्ति का उदय होता है।
आपके अंदर की शक्ति ही बाहर की वस्तुओं की शक्ति को अर्थपूर्ण बनाती है।
आपके हाथ की रायफल में तब तक ताकत नहीं है जब तक आपके भीतर उसे चलाने की हिम्मत न हो।
आपके सामने रखा जेट प्लेन एक रिक्शे से भी गया गुजरा हो जाता है जब आप उसे उड़ाना नहीं जानते।
आपके भीतर बहुत सी निहित शक्तियाॅं हैं उन्हें पहचानना जरूरी है उनमें से अधिकांश शक्तियाॅं किसी क्षण में अचानक प्रकट होती हैं,
अचानक सामने आ जाती हैं जब आप किसी संकट से घिरते हैं।
आपको पता नहीं कि आप बहुत तेजी से दौड़ने की क्षमता रखते हैं
परंतु आपको एक दिन कुत्ता दौडाता है और आप एक फर्राटा धावक की तरह से दौड़ पडते हैं।
हममें से अधिकांश लोग अपनी शक्तियों को जानते पहचानते नहीं हैं, या फिर भूल बैठे हैं,
हम सभी को एक जामवंत लगता है जो हमारी शक्तियों का हमें स्मरण कराये।
अधिकांश लोगों के भीतर निहित अप्रकट शक्तियाॅं उस तलवार की तरह भोथरी हो जाती हैं
जिसे सान पर नहीं चढ़ाया जाता, जिसे धार नहीं दी जाती, जिसे मांजा नहीं जाता।
आपकी आंतरिक योग्यता, पात्रता एवं क्षमतायें मिलकर ही आपकी शक्ति बढ़ाती हैं।
हर व्यक्ति हर शक्ति नहीं पा सकता क्योंकि उसके लिये आवश्यक देश, काल, परिस्थितियों,
साधनों का संयोग हर किसी के लिये एक समान नहीं हो पाता है, इसके लिये धीरे धीरे पात्रता विकसित करनी पड़ती है।
बिना पात्रता के शक्ति पा जाने वाला व्यक्ति उसका इस्तेमाल वैसे ही करता है
जैसे एक बंदर उस्तरे का, और अपना ही नुकसान कर डालता है।
जो धीरे धीरे शक्ति अर्जित करता है वह बढ़ती हुई शक्ति को समायोजित करता जाता है,
अचानक शक्ति मिल जाने पर आदमी को सूझता नहीं कि उसका कैसे इस्तेमाल करना है, कैसे प्रबंधन करना है?
शक्ति एक अश्व की तरह होती है जिसे साधना पडता है, अच्छा घुड़सवार बनना पड़ता है, अन्यथा शक्ति अपने सवार को सिर के बल पटक देती है।
आपके आसपास ऐसे बहुत से लोग आपको दिखेंगे जो अपने को मिली शक्तियों को दुरूपयोग करते दिखेंगे,
ये वही अयोग्य लोग हैं जिन्हें भाग्य से शक्ति मिल गई है।
अगर आप सज्जन हैं अगर आप अच्छे इंसान हैं तो आपका शक्तिशाली होना और भी आवश्यक हो जाता है, अन्यथा दुर्जन आपको मिटा देगा।
शक्तिहीन जीवन निरर्थक है परंतु सबसे सुखद बात यह है कि संसार का छोटे से छोटा जीव भी पूरी तरफ शक्तिहीन नहीं है,
यह बात खुली आंखों से न दिखने वाले कोरोना वायरस ने सारी दुनिया को बता दी है कि एक छोटे से छोटा जीव भी विध्वंसक शक्ति रखता है।
आपमें जो कमजोरी नही है वही आपकी शक्ति है, और आपमें जो कमजोरी है उसी शक्ति को आपको प्राप्त करना है।
अपनी शक्तियों को पहचानिये, अपनी कमजोरियों का आकलन कीजिये और जरूरी शक्ति अर्जन के लिये तैयार हो जाईये।
धीरे धीरे शक्ति प्राप्त करते चलिए। बढ़ाते चलिए, सीखिए, जोड़िए,घटाइए। समीक्षा कीजिये, गलतियां दूर कीजिये और आगे बढिये। शक्तिशाली जीवन का आनंद ही अलग है। अच्छे आदमी की शक्तिहीनता उसके और उससे जुड़े लोगों के लिए अभिशाप बन जाती है इसलिये शक्तिशाली बनिये शक्ति अर्जित कीजिये।
@मन्यु आत्रेय