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Thursday 31 December 2020

ज़िन्दगी में नयापन लाना है


नव कल्प

आज के दिन 
जब सारी दुनिया नए साल का आगाज़ कर रही है
मुझे अपनी ज़िंदगी का नवीनीकरण करने का 
संकल्प करना है और उसे पूरा करना है
इस बरस अपने जीवन में 
दुनिया के बनाये हुए बंधनों और खुद के बनाये हुए दायरों से बाहर आना है
इस साल जीवन को नया रंग देना है
नए लोगों से मिलना है नई जगहों पर जाना है, 
कुछ नया सीखना है, बहुत कुछ नया देखना है
कुछ नया पढ़ना है कुछ नया लिखना है, 
कुछ नया रचना है, कुछ नया गाना है
इस साल पहनावे में बोलचाल में 
खान पान में, तौर तरीक़ो में नयापन लाना है नई नई कल्पना करनी है, नए नए सपने देखने हैं और साकार करने हैं
नए इरादे करने हैं नए विकल्प तलाशने हैं
नई उम्मीद नया ढाढस, नई उमंग नया उत्साह नया भरोसा नया साहस आजमाना है  नया जोखिम उठाने से नहीं डरना है
जिससे प्रेम है उसे बता देना है,
जिसकी परवाह है उसे महसूस कराना है 
इस साल अपनी आत्मा में और उजास भरना है
ज़िन्दगी के नीरसपन में नई प्यास भरनी है
जीने को प्रेरित करे जो वो हर एक आस करनी है 
जो डर है उसको मिटाने की तरकीब सोचनी है 
अपने पंखों को नई परवाज़ देनी है 
नए साल में एक नई ज़िन्दगी का आग़ाज़ करना है
जो कुछ पुराना बांध लेता हो, 
जीवन को बेमानी करता हो 
उसका नवीनीकरण कर देना है 
पुरानी हर नेमत को संजोना भी है 
और नई नेमतों के लिए दामन साफ भी रखना है
जीवन को सबसे बेहतरीन तरीके से जीना है 
और ये सिर्फ पहली जनवरी के जोश न बन जाये इसका खास खयाल रखना है
हर दिन ज़िन्दगी का नया साल मनाना है 
क्योंकि हर दिन बाक़ी बची ज़िन्दगी का 
पहला दिन ही तो होता है

@मन्यु आत्रेय

Wednesday 30 December 2020

कैलेंडर बदलने से क्या होगा?

नव कल्प

आज के दिन 
मुझे यह याद रखना है 
कि कैलेंडर हर साल बदलते रहेंगे 
दिन महीने बनेंगे महीने साल बन जाएंगे 
पर मेरे जीवन में बदलाव तब होगा 
जब मेरे हालात बदल पाएंगे 
कैलेंडर बदलने से कुछ नहीं होता 
जिंदगी के हालात बदलने चाहिए 
जीवन की परिस्थितियां सुधरनी चाहिए 
और यह कब होगा 
यह तब होगा जब मैं खुद 
अपनी परिस्थितियां बदलने के लिए 
कोशिश करूंगा अपनी पूरी क्षमता झोंक दूंगा
यह जीवन अनमोल है क्योंकि हर पल बीत रहा है
इसे यादगार बनाने के लिए ज़रूरी है 
हर पल को उसके पूरेपन में जीना
पर यह तब तक नहीं होगा जब तक 
मुझे परिस्थितियों की शर्तों के अनुसार जीना होगा
यदि मैंने अपने हालात नहीं बदले तो 
कैलेंडर तो बीतते जाएंगे, जिंदगी नहीं बदलेगी
दीवार पर कल से टँगने वाले नए कैलेंडर के 
हर एक दिन में मुझे खुद को बदलना है
सुधारना है, जो अप्रिय है उसे छोड़ना है
जो प्रिय है उसे चुनना है
मुझे अपनी परिस्थितियों को बदलने वाली 
ताकत पर काम करना है, शक्ति बढ़ानी है
संकल्प को मज़बूत करना है
संबंधों को पुख्ता करना है 
सही जगह सही वक्त पर होने की कोशिश करनी है 
यदि ऐसा हो पाया तो ज़िन्दगी का हर दिन 
मेरे लिए एक नया अध्याय शुरू कर सकता है

@मन्यु आत्रेय

Tuesday 29 December 2020

मेरे बिना किसी का काम नहीं अटकेगा।


नव कल्प

आज मुझे यह बात 
अच्छे से गांठ बांध लेनी है
कि मेरे बिना किसी का काम नहीं अटकने वाला, 
इस संसार में किसी के लिए भी 
मैं अपरिहार्य नहीं हूँ
लोग किसी न किसी तरह से मेरे बिना भी 
अपने सारे काम पूरे कर लेंगे,
अपनी सारी ज़रूरतों को पूरा करने का 
कोई न कोई रास्ता निकाल ही लेंगे,
न भी निकाल पाए तो 
या तो समझौता कर लेंगे 
या खुद को समझा लेंगे
दुनिया के अधिकांश लोगों के लिए 
मैं सिर्फ एक विकल्प हूँ, 
मैं नहीं तो और सही, और नहीं तो और सही
बहुत थोड़े से लोग ऐसे होंगे 
जिनकी ज़िन्दगी पर 
मेरे रहने-नहीं रहने का फर्क पड़ेगा, 
जिनकी ज़िन्दगी की दिशा बदल जाएगी,
मुझे सिर्फ उन लोगों को ही पहचानना है
उन्हीं के लिए अपनी उपलब्धता रखनी है 
उन्हीं पर समय, श्रम और संसाधन लगाने हैं
जिनकी ज़िन्दगी में मेरा होना न होना 
कोई ज़्यादा फर्क नहीं डालता,
वो मेरी प्राथमिकता में नहीं रहेंगे
अब सभी की अपेक्षा पूरी करने में 
अपनी बेशकीमती ज़िन्दगी बर्बाद नहीं करनी
खुद को समेटना है। 

@मन्यु आत्रेय

Monday 28 December 2020

अंदरूनी संघर्ष से मुक्त होना है


नव कल्प

आज के दिन 
मुझे अंदरूनी संघर्ष से मुक्त होना है
सही गलत अच्छा बुरा इच्छा अनिच्छा
इस संघर्ष के मोर्चे हैं 
मेरे लिए कुछ बातें सही होंगी 
कुछ बातें मेरे हिसाब से गलत भी होंगी
पर ऐसा नहीं है कि जिसे मैं सही मानूं 
वो हमेशा मेरे लिए अच्छा ही हो  
जो मेरे अनुसार गलत हो वो बुरा ही हो 
सही और गलत, अच्छा और बुरा 
दोनों धारणाएं हैं धारणाएं बदलती रहती हैं 
क्या सही है क्या गलत है ये आज नहीं कल पता चलेगा,
अच्छा और बुरा भी भविष्य में सिद्ध होंगे
मुझे सही गलत अच्छे बुरे की धारणा के 
पिंजरे में खुद को कैद नही रखना है
इसके पीछे एक गहरा द्वंद्व है 
देह-मन-मस्तिष्क-और आत्मा का संघर्ष है
जैसे दो सांडों की लडाई में बाग उजड़ जाता है वैसे ही देह मन मस्तिष्क आत्मा के संघर्ष से जीवन की शांति जाती रहती है, 
मुझे अपनी दैहिक संवेदना, विचार प्रक्रिया, तर्क और अंदरूनी अनुभूतियों में तालमेल करना है
मुझे समझना पड़ेगा कि ये चार अलग अलग शक्तियां नहीं हैं बल्कि मेरे ही चार आयाम हैं 
ये मेरे जीवन प्रासाद के चार स्तम्भ हैं 
इनको व्यस्थित करना है व्यथित नहीं 
मुझे इन चारों को सिखाना है कि 
एक बिंदु पर आकर ये संतुलन बनाएं 
इन चारों के संतुलन से ही जीवन मे तृप्ति आएगी

@मन्यु आत्रेय

Sunday 27 December 2020

अपना सौंदर्य बोध बढ़ाना है

नव कल्प
आज के दिन 
मुझे अपना सौंदर्य बोध बढ़ाना है
ये दुनिया बेहद खूबसूरत है
यहां हर चीज़ सुंदर है हर व्यक्ति सुंदर है, 
जो बाहर से सुंदर नहीं भी है तो भी
कोई न कोई गुण उसे सुंदर बनाने वाले होंगे 
उसकी भीतरी सुंदरता को तलाशना है
सौंदर्य बेहद प्रभावशाली शक्ति है
सौंदर्य अनुभूति हृदय को अच्छा महसूस कराती है,
मुझे अपने सौंदर्य बोध को किसी भी खांचे से मुक्त करना है 
सौंदर्य की अपनी परिभाषा और समझ को विस्तार देना है 
इस दुनिया में कुछ भी बदसूरत नहीं है 
सिर्फ सुंदरता की परख करने वाली आंखों की ज़रूरत होती है 
जो मुझे सुंदर लगे वही दूसरों को भी लगे 
ऐसा ज़रूरी नहीं, पर मेरी अपनी पसंद है
सुंदर की सुंदरता हर कोई देख सकता है
मुझे असुंदर में छिपा सौंदर्य पहचानना है 
इससे मेरी सकारात्मकता बढ़ेगी
मुझमें आशा, शुभत्व, मंगल की भावना बढ़ेगी, 
वैसे भी प्रकृति की बनाई किसी भी चीज़ को, 
किसी भी दूसरे व्यक्ति को 
असुंदर कहने का मुझे कोई हक नहीं है 
ये दुनिया बहुत सुंदर है और मुझे 
न केवल इसकी छिपी हुई खूबसूरती को सामने लाना है, 
बल्कि अपना जीवन ऐसे जीना है
ताकि जब मैं इस दुनिया से जाऊं तो ये दुनिया मेरे अस्तित्व के कारण और सुंदर हो चुकी हो।

@मन्यु आत्रेय

Saturday 26 December 2020

बहुत कुछ बाकी है

नव कल्प

आज के दिन 
मुझे खुद को तैयार करना है
ये वक़्त बीत जाना है बहुत कुछ बाकी रह जाना है
कई बातें छूटती जानी हैं नई बातें जुड़ती जानी हैं
पुराने दोस्त पीछे छूट जाएंगे, नए जुड़ जाएंगे
कई रिश्ते मंद पड़ते पड़ते बुझ जाएंगे
कुछ नए दियों से टिमटिमाएंगे
पसंद अपनी केंचुली बदलती रहेगी
प्यारे लोग बिछड़ जाने हैं  कुछ मरासिम सुधर जाने हैं 
कई रास्तों पर चलना मुमकिन न होगा
कुछ मिलकर भी हासिल नहीं होगा
कई कल्पनाओं और सपनों को भंग होना है 
जाने कितने धोखे और छल पर दंग होना है 
पूरे न किये गए वादों के शूल चुभने हैं
कई कई दाग अपनी स्मृतियों के ढंकने हैं 
तेज़ रफ़्तार से दौड़ते कई बार रुकना है 
कभी पर्वत तो कभी राई के आगे झुकना है 
दर्द से कराहना है खुशी से चीखना है
अभी ज़िन्दगी में बहुत कुछ सीखना है 
मृगतृष्णा के पीछे भटकना है 
इच्छाओं को मासूम कली सा चटखना है
ज़िन्दगी की चकरघिन्नी में फिरना है
बार बार संभलना है, उठना है गिरना है 
कई सुबहे कई रातें बितानी है
अच्छाइयां और बुराइयां खुद को गिनानी हैं 
जैसे शराब न हो तो भी साकी रह जाता है
वैसे ज़िन्दगी में बहुत कुछ बाकी रह जाता है

@मन्यु आत्रेय

Friday 25 December 2020

देह के मौन संवाद सुनो

नव कल्प

आज के दिन 
मुझे अपनी देह पर ध्यान देना है
अपनी देह के संवेदनों को समझना है,
मेरी देह मुझसे कुछ कहती है, 
अपनी दशा अपनी जरूरतों से आगाह करती है, 
देह एक अनंत यात्रा नहीं है, 
उम्र बढ़ रही है देह झर रही है
धड़कनें अनियमित होकर, नब्ज़ तेज़ होकर,
साँसे भरकर अपना हाल बताती हैं
लहू उबाल मारता है, पसीना जबीं पर आता है,
देह यष्टि ताप उगलती है, 
चेहरे में हर बरस झुर्रियां उभरती हैं 
अंग फड़कते हैं, कानों में पत्ते खड़कते हैं,
रातों की नींद, दिन का सुकून जाता रहता है
अच्छा तैराक उम्र के बहाव में जा बहता है 
देह से ही सब सुख, लुत्फ, मज़ा है 
बीमार देह लिए फिरना एक सज़ा है
मुझे खान पान, नींद आराम, पोषण सबका 
ध्यान रखना है, 
ये शरीर किसी दुश्मन की जागीर नहीं
बल्कि घर अपना है 
अपनी सेहत को लेके गलतफहमी नहीं पालनी है
अपनी देह की पुकार अनसुनी कर नहीं टालनी है
देह सारी कल्पना, हर एक सपना साकार करने 
अपने अस्तित्व में रंग भरने ज़रूरी है
देह के बिना आत्मा भी अधूरी है
अपनी देह की हर एक गांठ खोलनी है 
हर चीज़ सेहत के तराजू पर तोलनी है
ख़्वाब ज़्यादा हैं कि उम्र कम न पड़ जाए
बदन के पेड़ पर जल्दी न आ पतझड़ जाए
इस नेमत का हरदम ख्याल रखना है 
अपनी देह के मौन संवाद संकेत सुनना है

@मन्यु आत्रेय

Thursday 24 December 2020

टालने की प्रवृत्ति से बचो

नव कल्प

आज के दिन 
मुझे ये समझना है 
कि टालना हमेशा अच्छा विकल्प नहीं होता
टालने का मतलब है 
बचने की कोशिश करना
जो हम नहीं करना चाहते,
और जिसे इनकार भी नहीं कर सकते 
उसे टालने की कोशिश करते हैं 
हम जिसका सामना नहीं करना चाहते 
जिसे स्वयं के लिए कठिन समझते हैं 
उसे टालने की कोशिश करते हैं 
मुझे अपनी टालने की प्रवृत्ति छोड़नी है
टालने के अर्थ है मुझमें अंतर्द्वंद्व है 
करने न करने, होने न होने का। 
हो सकता है जिसे टाला जा रहा है 
वो मेरे हित में ही हो और ज़रूरी हो 
ऐसी बातों को टालने के अपने दुष्परिणाम होते हैं
किसी भी बात को टालने से पहले एक बार 
मुझे उसके बारे में गंभीरता से सोच लेना है 
टालना कोई समाधान नहीं 
बल्कि कई बार, टालते रहने से परिस्थितयां 
और भी गंभीर होती चली जाती हैं 
लोगों से रिश्ते और खराब हो जाते हैं 
खुद की सेहत खराब हो सकती है
सरल सा काम भी टालने पर कठिन हो जाता है
जो कुछ ज़रूरी है उसे टालना 
आगे चलकर परेशानी पैदा कर सकता है 
कई बार टालने की प्रवृत्ति अपराध बोध देती है
कुछ बातें लाख टालो, आज नहीं तो कल करनी ही पड़ती हैं, 
तो उसमें विलंब क्यों करना,
इसलिए मुझे उन बातों को टालने से बचना है जो मेरे लिए महत्वपूर्ण, आवश्यक और 
मेरे हित के लिए हो।

@मन्यु आत्रेय

Wednesday 23 December 2020

सवाल पूछने का सलीक़ा जानें

नव कल्प

आज के दिन 
मुझे ये समझना है 
कि सवाल पूछने का सलीक़ा
और तरीका क्या होना चाहिए
मुझे सिर्फ पूछने के लिए सवाल नहीं पूछना
बल्कि मुझे सच्चाई और उसकी वजह जाननी है
सामने वाले की नीयत को समझना है
मुझे यह भी ध्यान रखना होगा कि
मुझे किससे कब क्या सवाल पूछना चाहिए 
और क्या नहीं पूछना चाहिए
हर सवाल हर किसी से हर समय नहीं पूछा जा सकता है 
मेरे सवाल आरोप लगाने वाले नहीं बल्कि 
समाधान की तलाश में उठाये गए हों, 
मेरे सवालों से मेरी अस्थिरता और कमजोरी उजागर नहीं होनी चाहिए, 
मुझे अपना ज्ञान, अपने अहम प्रदर्शित करने वाले सवाल नहीं पूछने चाहिए,
जिनसे किसी को छोटा महसूस हो
मेरे सवाल बेवजह घुसपैठ करने वाले न लगें
मेरे सवालों से जानने की इच्छा प्रकट हो
सवाल बीज की तरह होते हैं लेकिन उनसे 
और सवालों के पौधे नहीं निकलने चाहिए
बल्कि समाधान के अंकुर फूटने चाहिए
जीवन की शांति भंग करने वाले सवाल 
बहुत सोच समझ कर पूछने हैं 
प्रामाणिक जवाबों के लिए प्रामाणिक सवाल पूछने होंगे मुझे
सवाल पूछने के साथ साथ जवाब देना भी 
मुझे सीखना है और याद रखना है कि
सवालों के जवाब हमेशा के लिए नहीं होते
सवाल भी अपने माने बदल देते हैं और जवाब भी
सिर्फ सवाल पूछना काफी नहीं होता, 
बल्कि जवाबों को सुनना समझना
और स्वीकार कर पाना भी सीखना है मुझे

@मन्यु आत्रेय

Tuesday 22 December 2020

अधूरेपन को स्वीकार करना है

नव कल्प
आज के दिन 
मुझे ये समझ लेना है 
कि अधूरापन स्वाभाविक है 
ज़िन्दगी में कुछ न कुछ अधूरा छूट जाता है 
बल्कि काफी कुछ अधूरा रह जाता है
कभी बातें अधूरी रह जाती हैं जो ज़िन्दगी भर पूरी नहीं हो पाती हैं
कभी काम अधूरे रह जाते हैं 
दिमाग पर छा जाते हैं
कई अधूरे इरादे दिल की तलहटी में डूबे हुए हैं 
कई सपने कहीं किसी तंद्रिल करवट तले 
सिसकने लगते हैं 
कई नवजात इच्छाओं की भ्रूण हत्या हो जाती है
कुछ रिश्ते जो उम्र भर पूरे नहीं हो पाते
पर अपनी दहलीज़ को भी लांघ नहीं पाते 
न जाने कितनी चीजें पूरी सीख नहीं पाते हैं
अभिमन्यु बन कर चक्रव्यूह में फंसते जाते हैं 
कुछ अधूरी कविताएं मचलती हैं 
कुछ अधूरी दास्ताने तड़पती रहती हैं 
कुछ अधूरे वाक़यात उम्र के उसी मोड़ पर 
ठिठुरे खड़े रह जाते हैं 
कुछ मुलाकातें कभी पूरी नहीं हो पाती, 
ऐसे ही अधूरेपन में लिपटी हुई ज़िन्दगी 
पूरी नहीं हो पाती 
मगर बावजूद इसके, 
ज़िन्दगी में कुछ तो ऐसा ज़रूर होता है
जो पूरा होता है 
कभी कभी पूरा होकर कुछ नष्ट हो जाता है
मिट जाया करता है
इसलिए ज़िन्दगी के हर उस अधूरेपन को , 
जो कभी पूरा नहीं होगा, 
उसके अधूरेपन के साथ स्वीकार करना है
क्योंकि कई अधूरी चीजें भी एक ज़िन्दगी को खूबसूरत बना सकती हैं

@मन्यु आत्रेय

Monday 21 December 2020

नियंत्रण का दायरा पहचानो

नव कल्प
आज के दिन
मुझे अपने नियंत्रण के दायरे को समझना है
मुझे अगर परेशान होने से बचना है
तो मुझे समझना होगा कि मेरा नियंत्रण किस पर है किस पर नहीं है
वो कौनसी ऐसी बात है 
जिस बारे में अपनी क्षमता बढ़ा के 
मैं नियंत्रण हासिल कर सकता हूँ 
और किस बात पर मेरा नियंत्रण नहीं होगा
मैं अपने सोचने,अपने क्रियाकलाप पर, 
अपनी आदतों और कमजोरियों पर 
परिस्थितियों के प्रति अपने नज़रिए पर 
नियंत्रण हासिल कर सकता हूँ 
मैं अपनी चूक, ग़लती, अपनी खामी पर 
नियंत्रण कर सकता हूँ
परंतु जो कुछ जीवन मे घटित हो गया है 
उस पर मेरा नियंत्रण नहीं है
दूसरे लोग क्या सोचते हैं क्या करते हैं 
दूसरों की गलतियों, उनकी चूक,
उनके जीवन पर मेरा नियंत्रण नहीं है, 
मेरा नियंत्रण सबसे अधिक मुझ पर ही है 
इसलिए किसी और को बदलने में
अपनी ताकत खर्च करने की बजाए 
मैं अपने आप को सुधारने और उबारने में 
अपने नियंत्रण का दायरा बढ़ाने में 
अपनी ताकत लगाऊंगा
दूसरों को नियंत्रित करने की बजाए 
मैं उन परिस्थितियो को अपने नियंत्रण में करूंगा जिनके कारण मेरे नियंत्रण का दायरा सिमटता है
शांति से जीने के लिए नियंत्रण के दायरे का 
मज़बूत और ठोस होना आवश्यक है
जो जितना ज्यादा दूसरों के नियंत्रण में होता है वो उतना ज्यादा कमज़ोर होता है
मुझे अपने नियंत्रण के दायरे को समझना है।
@ मन्यु आत्रेय

Sunday 20 December 2020

दिखावे के प्रति जागरूक रहें

नव कल्प
आज के दिन 
मुझे लोगों के दिखावे को लेकर 
अपनी समझ बढ़ानी है 
दिखावा सभी करते हैं 
कोई मुझे उतना पसंद नहीं करता होगा 
कोई मेरा उतना प्रशंसक या आत्मीय 
या हितैषी नहीं होगा 
कोई मेरी उतनी परवाह नहीं करता होगा 
जितना वो दिखावा करता है 
इसका कारण यह है कि 
मेरी स्थिति, मेरी क्षमता, मेरे व्यक्तित्व
और मेरे व्यवहार के कारण वह 
अपना असली चेहरा प्रकट नहीं कर पाता होगा,
कुछ लोग इसलिए दिखावा करते हैं 
ताकि मेरे दिल को ठेस न पहुँच जाए
कुछ लोग इसलिए दिखावा करते हैं 
कि कहीं उनकी असलियत खुल न जाये
ताकि उनके द्वारा जताए जा रहे प्रेम, परवाह,
निकटता, खुशी आदि की कलई न खुल जाए
उनके मंसूबे पता न चल जाएं
वो अपनी साख और भरोसा न खो बैठें
कुछ लोग सिर्फ बाहरी परिस्थितियों 
और अपनी मनोदशा का द्वंद्व 
दुनिया को नहीं दिखाना चाहते 
इसलिए दिखावा करते हैं
मुझे दिखावा करने वाले लोगों के लिए 
सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार रखना है 
क्योंकि वो एक गहरे द्वंद्व से गुज़र रहे हैं
मुझे लोगों के दिखावे में नहीं आना है 
उनके प्रति जागरूक रहना है
क्योंकि मेरी कई बातें भी 
दूसरों को दिखावा लगती होंगी !!

@मन्यु आत्रेय

Saturday 19 December 2020

सबकी सीमाओं को समझना

नव कल्प
आज के दिन 
मुझे यह स्वीकार करना है कि 
सब कि अपनी अपनी सीमा होती है 
दूसरों के जीवन मे मेरा दखल 
और मेरे जीवन मे दूसरों का दखल 
जितना बर्दाश्त किया जाएगा
 वही हमारी एक दूसरे के लिए सीमा होगी
जो मुझे जितना ज्यादा स्वीकार करेगा
वो मेरे लिए अपनी सीमाएं तंग नही रखेगा
वो मुझे अपने करीब आने देगा 
मुझे भी तो हर किसी को अलग तरह से
स्वीकार या अस्वीकार करना पड़ता है
दो लोगों के आपसी संबंध तय करते हैं 
कि दोनों की सीमाएं क्या होंगी
कुछ लोग सीमाएं तो नहीं रखते लेकिन 
उनकी मजबूरियां ऐसी हो जाती हैं 
मुझे लोगों की सीमाओं, मजबूरियों,
प्राथमिकता और निजी दायरे के साथ 
उन्हें स्वीकार करना है
मेरा ध्यान सीमाएं बढ़ाने पर नहीं 
संबंध बढ़ाने पर होना चाहिए
सीमा वो बाहरी और भीतरी हद होती है 
जिस दायरे में दो लोगों का 
आपसी रिश्ता होता है 
इसका सम्मान करना होगा 
दो लोगों की आपसी सीमाओं का संतुलन 
हमेशा एक समान नहीं होता 
दो लोग हमेशा एक दूसरे को एक बराबर 
स्वीकार नहीं करते, कुछ फर्क रहता ही है 
मुझे उस फर्क का सम्मान करना है 
मुझे लोगों की सीमाओं की कद्र करनी है
और खुद को इस योग्य रखना है कि 
हमारा रिश्ता सीमाओं से पार जा सके। 

@मन्यु आत्रेय

Friday 18 December 2020

खुद को धोखा नहीं देना

नव कल्प

आज के दिन 
मुझे खुद को धोखा देने से बचना है
दूसरे को धोखा देने से ज़्यादा घातक है 
खुद को धोखा देना 
खुद को धोखा देना बहुत आसान है 
जो सच है उसकी ओर से आंख बंद किये रहना 
जो सच जानना चाहिए 
उसे जानने की कोशिश न करना,
किसी झूठ को सच मान लेना 
झूठे आधार पर भरोसा कर लेना 
खुद को धोखा देना सरल है 
लेकिन इसके परिणाम का सामना कर पाना 
बहुत मुश्किल है
कोई आदमी जो अपने आप को 
धोखे में रखे हुए हो, उस पर निर्भर नहीं होना है 
धोखा एक चेन रिएक्शन रखता है
सिर्फ एक नहीं कई परिणाम होते हैं इसके
ज़िन्दगी खुद को धोखा देने के लिए नहीं है
सत्य से जितनी जल्दी सामना हो जाये 
उतना अच्छा !!
अप्रिय सत्य को स्वीकार नहीं कर पाना 
स्वाभाविक है, 
लेकिन अपने आप को धोखे में रखना
आत्मघाती है 
जो खुद को धोखे में रखता है
वो दूसरों को धोखा देने का मौका देता है 
ज़िन्दगी खराब करने के लिए नहीं है 
इसलिए न तो किसी और को धोखा दो
न कभी अपने आप को धोखा दो।

@ मन्यु आत्रेय

Wednesday 16 December 2020

समय ही तो ज़िन्दगी है !!!

नव कल्प 

आज के दिन 
मुझे यह समझ लेना है 
कि समय ही ज़िन्दगी है
समय बर्बाद करने का मतलब है 
ज़िन्दगी बर्बाद करना। 
अगर अपने जीवन के महत्व को समझना है
तो मुझे समय के महत्व को समझना होगा
समय हो तो असंभव भी संभव हो जाये
समय न हो तो संभव भी असंभव हो जाये
मैं अपने समय का सबसे अच्छा उपयोग करूँ, अपनी दिनचर्या में वो छेद खोजूं 
जिनसे होकर समय बह जाता है
उन कामों को पहचानूँ जिनमे समय बर्बाद होता है
उन लोगों को जान लूं जो मेरा समय खा जाते हैं
ज़रूरी और गैर जरूरी का भेद समझना होगा मुझे
प्राथमिकताओं को ठीक से तय करना होगा 
जीवन के सभी आयामों को वक़्त देना है 
परिवार, समाज, दोस्तों,काम काज और
अपने आप को भी समय देना ज़रूरी है
ये तब होगा जब 
समय का प्रबंधन किया जाए
जिसने भी समय को बर्बाद किया 
समय ने उसे बर्बाद किया है 
मुझे एक सार्थक जीवन जीना है 
मुझे ज़्यादा सफल और आनंदपूर्ण होना है 
मुझे समय की कद्र करनी है
समय को अपनी कमी नहीं ताकत बनाना है
समय के एक एक मिनट को भरपूर जीना है

@मन्यु आत्रेय

Tuesday 15 December 2020

सहयोग और सहायता के रहस्य जानो

नव कल्प

आज के दिन 
मुझे सहयोग और सहायता के रहस्य समझने हैं 
दुनिया के सबसे सक्षम आदमी को भी 
किसी न किसी का सहयोग और सहायता
लेनी ही पड़ती है, 
जन्म से लेकर मृत्यु के बाद होने वाले 
शांति कर्म तक हम दूसरों पर निर्भर रहते हैं
एक दूसरे पर यह निर्भरता ही हमें 
एक समाज का हिस्सा बनाती है
मुझसे जब भी संभव होगा 
मैं किसी न किसी को सहयोग करूंगा 
किसी न किसी की सहायता करूंगा
लेकिन मुझे किसी लकड़हारे को 
अपनी शाख नहीं देनी, जिसे अपनी कुल्हाड़ी में लगा कर वो मेरी जड़ काट दे, 
मुझे किसी ऐसे को दलदल से नहीं निकालना जो मुझे डूबा कर बचना चाहे
मुझे किसी अवसरवादी,बेईमान,धोखेबाज, कपटी और आस्तीन के सांप को 
न तो सहयोग करना है न सहायता करनी है
मेरे संसाधन सीमित हैं, 
इन्हें घटिया लोगों पर बर्बाद नहीं करना है 
मुझे परजीवी लोगों को पोसना नहीं है 
किसी जोंक को अपना लहू नहीं पिलाना
मुझे संत महात्मा नहीं बनना, 
मुझे एक होश हवास वाला 
जागरूक इंसान बनना है जिसका कोई भी 
अनुचित फायदा न उठा सके
मैं हमेशा पात्र लोगों की मदद कर सकूं 
ताकि यह समाज सहयोग सहायता से चले 
न कि स्वार्थ प्रेरित होकर। 

@मन्यु आत्रेय

Monday 14 December 2020

विवाद से फायदा उठाने का तरीका

नव कल्प

आज के दिन 
मुझे विवादों को देखने का 
अपना दृष्टिकोण बदलना है 
विवाद में वाद प्रतिवाद की बजाय 
संवाद करना है
मैं जानता हूँ यह करना मेरे लिए कठिन है 
और सामने वाले के लिए भी,
मैं सामने वाले को अपनी बात मानने 
बाध्य नहीं कर सकता, 
मुझे अपनी बात स्पष्ट रखनी होगी 
ताकि वो उन्हें समझने और 
स्वीकार करने के लिए प्रेरित हो सके, 
विवाद एक बीज है जिससे संघर्ष की जड़ फूटती है संघर्ष की जड़ से शत्रुता का वटवृक्ष पैदा होता है,
मैं सिर्फ स्वयं को सही साबित करने 
या सामने वाले को गलत साबित करने 
विवाद नहीं करूँ 
मुझे अपनी बात रखने से पहले सामने वाले को, उसकी बात को,उसके नज़रिए को, 
उसकी पृष्ठभूमि को समझने की कोशिश करनी है
विवाद एक दलदल है जिसमे न फंसना ही बेहतर है 
मुझे विवाद करने या न करने की
जो कीमत चुकानी पड़ेगी
उसके अनुसार तय होगा कि 
मुझे विवाद करना है या नहीं
विवाद करते समय 
मुझे अपनी आवाज़ अपने लहजे में नहीं 
बल्कि अपने तर्क और अपनी बात में 
दम पैदा करना है,
किसी के उकसावे में आकर या
अपने अहम के लिए विवाद नहीं करना है
मुझे रास्ते तलाशने के लिए संवाद करना है
विवाद से फायदा उठाने का 
सिर्फ यही मार्ग है

@मन्यु आत्रेय

Saturday 12 December 2020

जीवन किसी भी बाधा से ज़्यादा बड़ा है

आज के दिन 
मुझे यह ध्यान रखना है 
कि बाधाएं सिर्फ रोकती हैं
उन बाधाओं को लेकर मेरा नज़रिया ही 
ये तय करता है कि मेरा रास्ता साफ होगा या नहीं 
बाधा मेरी क्षमता, मेरी योग्यता की परीक्षा लेती है
बाधा मेरे हौसलों को आज़माती है
बाधा मेरी लगन को धैर्य की कसौटी पर 
कस कर ये जांचती है कि लगन कितनी खरी है
बाधा व्यवधान पैदा करती है,
क्रम भंग करती है, 
नदी की राह में चट्टानें आ जाती हैं 
पानी बह कर उससे आगे बढ़ जाता है
बाधा एक नई शुरुआत भी दे सकती है
क्रम भंग हो जाना खत्म हो जाना नहीं होता
एक कोशिश और हो सकती है
एक आज़माइश और हो सकती है 
बाधा ईश्वर का वरदान बन सकती है 
क्योंकि ये उन लोगों की पहचान कराती है 
जो मुश्किलों में भी साथ नहीं छोड़ते
बाधाएं कहती हैं कि ज़िन्दगी में अभी जीतने को 
कुछ तो बचा हुआ है, 
बाधा हिम्मत तोलती है
बाधा को लेकर मेरा नज़रिया सबसे अहम है
बाधा सिर्फ एक चुनौती है
मुझे इसके पार जाना है
क्योंकि मेरा हौसला मेरे जीवन में आने वाली 
किसी भी बाधा से बड़ा है
मेरा जीवन किसी भी बाधा 
और उसके समाधान से कहीं बड़ा है

@मन्यु आत्रेय

मैं जो हूँ वो हूँ


आज के दिन 
मुझे यह समझना है 
कि मैं जो हूँ वो हूँ, 
लोग जैसे हैं वो मुझे वैसे ही लेंगे
मैं किसी को पसंद किसी को नापसंद हूँ 
किसी पर खुला हूँ किसी पर बंद हूँ 
किसी के अनुकूल किसी के प्रतिकूल हूँ 
किसी के लिए सहयोगी, 
किसी के लिए प्रतिरोधी हूँ 
कोई मुझमे प्रेम महसूस करता होगा 
कोई मुझमे नफरत को देखता होगा
कोई मेरे प्रति तटस्थ होगा 
किसी के लिए सजग किसी के लिये उपेक्षापूर्ण
किसी के लिए उपलब्ध, किसी के लिए नदारद
किसी के लिए मित्र किसी के लिए शत्रु
किसी के लिए अच्छा किसी के लिए बुरा
कोई मुझे सही समझेगा 
कोई गलतफहमी पालेगा
हर परिस्थिति में मुझे वही रहना है जो मैं हूँ, 
क्योंकि दुनिया के हज़ारों लोग मुझसे जुड़े हैं 
हर एक के खांचे में फिट बैठना
हर एक के लिए अच्छा, अनुकूल होना 
मेरे लिए संभव नहीं है, 
और दूसरी बात 
ऐसा बनके मैं उसे दबा दूंगा मिटा दूंगा 
जो मैं असल मे हूँ, 
मुझे आत्म दमन से, आत्म वंचना से बचना है
मुझे उसकी परवाह होनी चाहिए जो मैं हूँ
उसकी नहीं कि लोग मुझे कैसे देखते हैं
मैं जो हूँ वो हूँ और खालिस हूँ!!

@मन्यु आत्रेय

Friday 11 December 2020

जीवन मे व्यवस्था लानी है

*नव कल्प*

आज के दिन 
मुझे प्रयास करना है और अपने जीवन में
व्यवस्था लानी है, 
व्यवस्था का मतलब है 
ज़िन्दगी की हर चीज़ अपनी जगह स्थित हो 
काम अपनी जगह, 
रिश्तों का निबाह अपनी जगह
अपने शरीर की देखभाल अपनी जगह
व्यवस्था का मतलब है जीवन के हर आयाम को
पर्याप्त महत्व देना और उसे पोषण देना
ताकि ज़िन्दगी अपने मायने पूरे कर सके,
व्यवस्था का अभाव बिखराव लाता है,
बिखराव में भटकाव छुपा होता है
भटकने से समय, संसाधन और ख़ुद की 
हानि होती है
इसलिए व्यवस्था में जीना बेहतर है
अपने शरीर की व्यवस्था मेरी सेहत सुधारेगी,
मेरी शक्ति बढ़ाएगी, जीवन के आनंद देगी
मेरे मन की व्यवस्था मुझे भावनात्मक स्थिरता,
परिपक्वता और जीवन को देखने का 
सही नज़रिया देगी
अपने रोजमर्रा के और काम के जीवन में
व्यवस्था मेरा समय बचाएगी, 
समय ही जीवन है
व्यवस्थित होने का मतलब है 
अपनी उम्र बढ़ाना
आज से मेरे जीवन की सारी अव्यवस्था को 
मुझे सुव्यवस्था में रूपांतरित करना है

@मन्यु आत्रेय

Thursday 10 December 2020

मेरा जीवन प्रेम से भर जाए

*नव कल्प*

आज का दिन  
मेरी शेष ज़िन्दगी का पहला दिन है
आज से मेरी नई ज़िन्दगी शुरू होती है
मुझे आज का दिन प्रेम में बिताना है 
प्रेम मेरे जीने की ऊर्जा है 
मेरे अस्तित्व को पूरा करने वाला है
मुझे आज प्रेम करना है 
अपने जीवन मे शामिल लोगों से 
उनकी तमाम कमियों और गलतियों के बावजूद,
वो जैसे हैं मुझे उन्हें वैसे ही प्रेम करना है
आज प्रेम मेरी हर बात से प्रकट हो
मेरे देखने, बोलने, चलने, काम करने
सबसे प्रेम उजागर हो, 
अपने प्रेयस जन को मैं बताऊं 
कि मुझे उनके अस्तित्व से प्रेम है 
प्रेम ईश्वरीय है दैवीय है 
अगर प्रेम मेरे हृदय को भर देगा 
तो मान अपमान हानि लाभ, हार जीत से
ऊपर होना सम्भव हो जाएगा
प्रेम बांटने से दोगुना प्रेम मुझ तक पहुंचेगा
प्रेम की शक्ति मुझे पूरा करेगी
मेरा यह दिन प्रेममय हो !

@मन्यु आत्रेय

Tuesday 8 December 2020

अपनी उपलब्धता की कीमत समझो

*नवकल्प*

आज के दिन 
मुझे यह समझना है 
मेरे होने न होने से दुनिया मे
बहुत ज़्यादा फर्क नहीं पड़ता
ज़िन्दगी चलती रहती है, 
लोग अपनी राह तलाश करके 
अपने जीवन को संवार ही लेते हैं 
सारी दुनिया के लिए स्वयं को उपलब्ध
रखने के लिए मुझे अपने आप को 
खोना नहीं है, भूलना नहीं है, गंवाना नहीं हैं
करीबी से करीबी रिश्ता ही क्यों न हो 
सबका जीवन चलता रहेगा 
मैं रहूं तो भी और न रहूं तो भी
थोड़े बहुत व्यवधान के बाद सब कुछ 
सामान्य गति से चलने लगेगा
अधिकांश लोगों को मेरी उतनी ज़रूरत नहीं 
जितनी मुझे महसूस होती है
या वे प्रदर्शित करते हैं 
लोग अक्सर सिर्फ लोक व्यवहार निभाते रहते हैं
इसलिए मुझे किसी के लिए भी 
अपनी उपलब्धता इतनी नहीं रखनी कि
उसकी कीमत और कद्र कम कर दी जाए
लोगों के पास हमेशा विकल्प होते हैं
मुझे वो पता हों या न हों, 
पर मेरे पास मेरा कोई विकल्प नहीं है 
मुझे इसे संभालना है, इसे संवारना है
ये मेरी ज़िंदगी है इसे मुझे अच्छे से जीना है

@मन्यु आत्रेय

Monday 7 December 2020

अपेक्षाओं का रहस्य जानो

*नव कल्प*

आज के दिन 
मुझे अपेक्षा के रहस्य समझने हैं 
मुझे सब की अपेक्षाओं पर खरा उतरना 
कतई ज़रूरी नहीं है,
मुझे सिर्फ उनकी अपेक्षाओं पर खरा उतरना है
मैं जिनके लिए अहम हूँ 
और जो मेरे लिए मायने रखते हैं
जिनकी अपेक्षा पूरी करना मेरा कर्तव्य है, 
जिनकी अपेक्षा पूरी करके 
मुझे नुक़सान न हो, नीचा न देखना पड़े,
मैं गलत न साबित हो जाऊं,
मुझे हर व्यक्ति की अपेक्षा 
आपसी संबंधों की हद में रहकर ही पूरी करनी है 
किसी की हर अपेक्षा पूरी करने की 
मुझे न तो आवश्यकता है और न ही ये उचित है
दूसरों की अपेक्षाएं जीवन को घुन लगा देती हैं 
पूरा करो तो आत्म वंचना न करो तो अपराध बोध 
मेरा जीवन भावनात्मक रूप से शोषण किये जाने के लिए बिल्कुल नहीं है 
मुझे सिर्फ पात्र की अपेक्षा पूरी करनी है,
सारी दुनिया का ठेका नही लिया मैंने
ये बात मुझे हमेशा याद रखनी है

@मन्यु आत्रेय

Sunday 6 December 2020

स्वीकार करना सीखना है

*नव कल्प*

आज के दिन 
मुझे स्वीकार करना सीखना है
क्या कब कहाँ कैसे और क्यों स्वीकार करना है 
यह जानना है
जो कुछ बदलना संभव नहीं 
जिस पर मेरा नियंत्रण नहीं 
जो मेरे दायरे से बाहर है
जो घटित हो चुका या फिर  
जिसका घटना अनिवार्य है
उसे स्वीकार करना होगा, 
जो कुछ अप्रिय मुझे स्वीकार करना पड़े
उसके पीछे की अच्छाई खोजनी है
कुछ तो अच्छा ज़रूर होगा
न हो तो भी उसे अच्छा बनाएंगे 
स्वीकार और अस्वीकार के बीच 
ज़्यादा लंबी रस्साकशी नहीं रखनी है 
असमंजस और अंतर्द्वंद्व में नहीं पड़ना है
जिसे कल स्वीकार करना ही पड़े 
उसे आज ही स्वीकार करके मुझे 
अपनी ऊर्जा बचानी है और
प्रतिरोध क्षमता को बढ़ाना है
मानसिक रूप से तैयार होना है, 
ताकि कल जो मुझे स्वीकार न हो,
उसे बदल सकूं
ज़िन्दगी एक सतत चलने वाली जंग है
एक छोटी मोटी लड़ाई हार जाने से 
पूरी जंग नहीं हार जाते
यह मुझे स्वीकार करना है

@मन्यु आत्रेय

Saturday 5 December 2020

अतीत से आगे बढ़ना है

*नव कल्प*

आज के दिन 
मुझे यह समझ लेना है 
कि अतीत को मिटाया नहीं जा सकता 
इसे बदला नहीं जा सकता
पर उससे उबरा जा सकता है
मुझे अपने अप्रिय अतीत को 
बीते हुए कल के पिंजरे में कैद रखना है
मेरे अतीत के दुष्प्रभाव 
मेरे वर्तमान और मेरे भविष्य पर न पड़ें
मेरी अतीत की गलतियों से मैं सबक लूं
और अपना सुधार परिष्कार कर सकूँ
अपने सुखद अतीत को 
जीवन की यादगार के तौर पर मुझे 
याद रखना है, 
परंतु मुझे बीते हुए कल में नही जीना
मुझे आज में जीना है इस एक पल में 
अपने अतीत को मुझे अपनी ऊर्जा बनाना है 
अतीत के जो ज़ख्म आज भी ताज़ा हैं
उन पर थोड़ी थोड़ी मलहम लगानी है 
उन्हें भरने देना है, 
उन्हें कुरेदकर हरा नहीं करना
इस पर कोई चर्चा नही करनी 
कोई रंज मलाल नहीं पालना 
आगे बढ़ना है 
बस आगे बढ़ना है !!

@मन्यु आत्रेय

Friday 4 December 2020

मुझे शांत रहना है

*नव कल्प*

आज के दिन 
मुझे यह समझना है कि
मुझे किसी को भी कष्ट नहीं देना है
उन्हें बुरा नहीं महसूस कराना है 
परंतु यह बात सिर्फ मेरे नियंत्रण में नहीं 
मेरा नियंत्रण सिर्फ मुझ पर ही है
अपने जागरूक प्रयासों पर है, 
मेरी नीयत और मेरी कोशिश न होने पर भी
किसी को बुरा लगे, कष्ट हो, पीड़ा हो
उसके लिए मैं ज़िम्मेदार नहीं हूँ 
मुझे अपराध बोध से ग्रस्त नहीं होना है
हर आदमी अपने मनोलोक में जीता है
अपनी धारणा और कल्पनाओं के लिए 
वो स्वयं जिम्मेदार है, मैं नहीं। 
मुझे गलत समझा जा सकता है, 
दोषी माना जा सकता है, 
मेरा सत्य मेरे साथ है, उनकी धारणा-उनके,
अपने कष्ट, पीड़ा, अपमान के लिए
बेवजह मुझे दोषी ठहराने वालों को 
सिर्फ एक हद तक ही समझाना है
बेवजह स्पष्टीकरण मुझे नहीं देने
क्योंकि वे मानेंगे नहीं, 
और मेरी शांति भी भंग होगी
उनकी धारणाओं से ज़्यादा कीमती 
मेरे जीवन की शांति है
मुझे उस पर ध्यान केंद्रित करना है 

@मन्यु आत्रेय

Thursday 3 December 2020

जीवन सार्थक करना है

*नव कल्प*
आज के दिन 
मुझे अपना दमन नहीं करना है
खुद को रोकना नहीं है
अपनी इच्छाओं को,अपने सपनों को, 
अपनी ज़रूरतों को मुझे पूरा करना है, 
इनके पूरा न होने से 
मुझे जो कष्ट या वेदना होती है
वह मुझे स्वीकार नहीं है 
मेरा एक स्वतंत्र अस्तित्व है
मेरी पहली ज़िम्मेदारी
अपने आप को खुश, संतुष्ट और तृप्त करना है 
यह मेरी आत्मा के लिए ज़रूरी है
सारी दुनिया किसी न किसी बहाने से 
मुझे दबाने का प्रयास करती है
मुझे खुद को नहीं दबाना है
जो मुझे दमित और वंचित रखना चाहता है
वो मेरा हितैषी नहीं है, 
ईश्वर ने मुझे जो ज़िन्दगी जीने का 
बेहतरीन अवसर दिया है
खुद का दमन करके मुझे 
उसे बर्बाद नही करना
मुझे खोखली नैतिकता, झूठे आदर्शों की
बलि नहीं चढ़ना है आगे बढ़ना है
ज़िन्दगी में खुश रहना है
अपने जीवन को सार्थक करना है

@मन्यु आत्रेय

Wednesday 2 December 2020

हर इच्छा पूरी होगी

*नव कल्प*

आज के दिन 

मुझे सीखना है कि 
अपनी इच्छाओं को संकल्प
और संकल्प को प्रार्थना कैसे बनाते हैं
मुझे अपनी इच्छाओं को 
बिल्कुल स्पष्ट करना होगा 
स्पष्ट इच्छाएं, जिनके पीछे 
कोई किन्तु परंतु न हो
जिसमे कोई भ्रम न हो 
वो हर इच्छा जो पूरी शिद्दत से 
मेरी आत्मा से निकलेगी
प्रकृति उसे मेरे जीवन में घटित कर देगी
क्योंकि मेरी इच्छा मेरी प्रार्थना बन जाएगी
मुझे वो सब कुछ मिलेगा 
जो कुछ भी मुझे चाहिए
चाहेउसकी प्रचुरता हो या कमी
मुझे हर वो राह मिलेगी 
जिस पर मुझे चलना है 
मुझे हर वो चीज़ मिलेगी जो चाहिए
मुझे हर वो मुकाम हासिल होगा
जिसकी इच्छा मेरे मन में है
मेरा मन इच्छा नहीं सिर्फ प्रार्थना करेगा
और मेरी हर इच्छा पूरी हॉगी !!

@मन्यु आत्रेय

Tuesday 1 December 2020

तुलना करने की कला सीखूँ

*नव कल्प*

आज के दिन 
मुझे तुलना न करने की कला सीखनी है 
तुलना सुख और दुख 
दोनो का कारण बनती है 
तुलना अधिकांशतः व्यर्थ है 
दो लोग, दो परिस्थितियां 
अपने आप मे विशिष्ट होते हैं 
मुझे हर व्यक्ति, हर स्थिति को 
उसकी इसी विशिष्टता के साथ देखना है
मुझे निर्णायक (जजमेन्टल) होने से बचना है
मुझे किसी और से नहीं 
बल्कि खुद से अपनी तुलना करनी है
और जीवन मे आये परिवर्तनों को 
स्वीकार करना है क्योंकि
 यही जीवन यात्रा है
न कोई मुझसे आगे है, 
न कोई मुझसे पीछे है,
न कोई मुझसे श्रेष्ठ है न हेय है 
सभी अपनी जीवन यात्रा चल रहे हैं
सभी अपने टाइम फ्रेम में जी रहे हैं
मुझे तुलना से ऊपर उठकर 
पूर्णता की ओर जाना है ! 

@मन्यु आत्रेय

करीबी लोगों के प्रति हम लापरवाह हो जाते हैं

कुछ लोग जो हमारे करीबी होते हैं, अक्सर हम उनके प्रति लापरवाह हो जाते हैं। पति को पता नहीं चलता कि पत्नी किस शारीरिक समस्या से ज...