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Thursday 17 August 2023

अपनी गलतियों का अचार डालिये।

अपनी ग़लतियों का अचार डालिये। दुनिया का कोई भी इंसान हमेशा सही सही नहीं कर सकता उससे गलतियां होनी स्वाभाविक है। गलतियां किससे नहीं होती? अगर आपसे कभी कोई गलती नहीं हुई तो या तो आप फरिश्ते हैं या फिर आप झूठे हैं। 

चूक, त्रुटि, भूल, ग़लती लगभग आसपास के अर्थ वाले शब्द हैं। गलती होने का कोई भी कारण हो सकता है जैसे ठीक से समझ नहीं पाना, सही निर्णय नहीं ले पाना, लापरवाही कर जाना, सही तरीके से कोई काम नहीं कर पाना। गलती होने में नीयत खराब नहीं होती, लेकिन गलती करने में नीयत की खराबी हो सकती है। होना स्वाभाविक है, करना दोषपूर्ण है। 
कोई भी बात हमेशा सही या गलत नहीं रहती। देश, काल, परिस्थितियों के अनुसार सही ग़लत के दायरे बदलते रखते हैं। सही और गलत का फैसला नियमों, कानूनों, समाज और अपनी अंदरूनी आवाज़ के अनुसार होता है। गलती के लिए प्रायश्चित भी करना पड़ता है तो दंड भी भुगतना पड़ सकता है। 
पर यह मत भूलना कि कुछ गलतियों का प्रायश्चित कभी नहीं हो सकता। दंड भुगतने के बावजूद आप कभी उस गलती की भरपाई नहीं कर सकते। एक आदमी की गलती दूसरे किसी व्यक्ति की अपूरणीय क्षति कर सकती है। उसके जीवन की दिशा मोड़ सकती है उसे पैसे, सम्मान, सुकून की हानि पहुंचा सकती है इसलिए अपनी गलतियों के प्रति जागरूक रहिए। 
कानूनों की गलती आपको अपराधी बना सकती है, धर्म के नज़रिए की गलती पापी घोषित कर सकती है। स्वास्थ्य के लिए की गई गलती रोगी बना सकती है और सुरक्षा के लिए की गई गलती मृत्यु के मुख तक पहुंचा सकती है। काम मे की गई गलती सम्मान और आर्थिक दृष्टि से हानि कर सकती है। लोगों को पहचानने में कई गयी गलती पूरे जीवन को बर्बाद कर सकती है। 
आपकी गलतियों पर आपके दुश्मनों और प्रतिद्वंद्वियों की पूरी नज़र होती है और वे उसका लाभ उठाने से पीछे नहीं रहते। आपसे प्रेम करने वाले आपकी गलतियों को कुछेक बार माफ भी कर सकते हैं लेकिन यदि आप बार बार वही गलती करते हैं तब वह चूक नहीं चरित्र बन जाता है और सब की माफ करने की अलग अलग सीमा होती है। अपनी गलतियों से सीखते जाएं तो अपनी स्थिति को मजबूत किया जा सकता है, सुधारा जा सकता है। 
दूसरों की गलतियों के पीछे की नीयत को भांपने का अभ्यास कीजिये। किसकी गलती आपके लिए कितनी हानिकारक हो सकती है इसे तोलते रहिए। गलतियां पानी के जहाज में किये हुए छेद की तरह होती हैं, छोटी हों तो भी नुकसान पहुंचा सकती है। गलती करने वाले को माफ करने से ज़्यादा ज़रूरी है उनसे होने वाले प्रभाव को रोकना। 
अक्सर हम ये गलती करते हैं कि अपने करीबी या प्रिय लोगों की बड़ी गलतियों को भी नज़र अंदाज़ करते हैं और बिना सुधारे आसानी से उन्हें माफ कर देते हैं। 
आपके द्वारा दी गई माफी यदि उसे बार बार वही गलती करने की हिम्मत या लालच दे तो ये आपकी गलती हो जाएगी। इसलिए सोच समझ कर किसी की गलती को माफ कीजिये। दूसरों की गलतियों को एक सीमा तक ही क्षमा किया जा सकता है, जैसे दूसरे आपको एक सीमा तक ही माफ कर सकते हैं। 
सही आदमी की गलतियों को माफ करने के अपने मानदंड बनाइये। गलतियों पर विलाप मत कीजिये, जीवन के रस को मत समाप्त कीजिये। अपने आप की गलतियों को भी माफ कीजिये। माफ करने से पहले गलती के दुष्प्रभाव साफ करिए। 
जब आपको आगे बढ़ने में बाधाएँ आ रही हों और कारण समझ नहीं आ रहा हो तो मान के चलिए कि आपसे या आपसे सम्बंधित किसी व्यक्ति से ऐसी कोई गलती हुई है जो आपके रास्ते मे बाधा बन गयी है। क्योंकि इंसान को जितनी अच्छी तरह दूसरों की गलतियां दिखती हैं उतने अच्छे से अपनी गलतियां नहीं दिखती।।
तो सार ये है कि गलतियों से ऊपर उठिए अपनी भी और दूसरों की भी। गलतियों में तौबा और प्रायश्चित का प्रिजर्वेटिव मिलाइए। उसमे सीखने का नमक मिलाइए। गलतियों के प्रभाव को मिटाने का तेल मिलाइए। अपनी और दूसरों की गलतियों का अचार डालिये और मर्तबान का मुंह बंद करके कहीं रख दीजिए ताकि बाद में उनका चटखारा लिया जा सके। 

@ मन्यु आत्रेय

5 comments:

  1. Classic article sir 💐bahut behtareen vivaran 👌🙏🏼

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  2. बहुत अच्छा है श्रीमान "गलतियों का आचार" शानदार लेख

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