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Sunday 31 January 2021

अपनी मदद खुद को करनी पड़ेगी !

नव कल्प
यह ज़िन्दगी मेरी है
मैं और यह ज़िन्दगी अभिन्न है
जीवन में अनुकूल और प्रतिकूल परिस्थितियां आती रहेंगी 
दुनिया का कोई और शख्स मेरा साथ दे या ना दे
मेरी मदद करे या ना करे
मुझे हमेशा अपना साथ देना है 
हमेशा अपनी मदद करनी है क्योंकि 
यह जिंदगी मेरी है इसे मुझको ही संभालना है 
क्योंकि अगर कोई मेरी सबसे सच्ची मदद कर सकता है तो वह मैं हूं
कुछ लोग मेरी मदद करने का ढोंग करते हैं 
अपनी मदद करने का ढोंग नहीं करूंगा मैं 
अपनी मदद करने का दिखावा नहीं करूंगा दुनिया में हर एक व्यक्ति की अपनी सीमा होती है 
जैसे मेरी सीमा होती है दूसरों की मदद करने की
सिर्फ मैं ही अपने लिए हर सीमा पार कर सकता हूं
सिर्फ मैं ही अपने प्रति निस्वार्थ हो सकता हूं क्योंकि मेरे भले में ही मेरा भला छुपा है 
और मेरे बुरे में मेरा बुरा निहित है
दुनिया में सिर्फ वही इंसान विपरीत परिस्थितियों से जीत पाता है 
जो अपनी मदद खुद करता है 
जो दूसरों की मदद पर पूरी तरह से निर्भर नहीं होता
मुझे कोई भी उस तरह से समझ नहीं सकता जैसा मैं खुद को समझता हूं 
मुझे कोई भी उतना महसूस नहीं कर सकता जितना मैं खुद को महसूस करता हूं 
इसलिए मेरा सबसे सच्चा साथी अगर कोई हो सकता है तो वह मैं ही हो सकता हूं 
इसका मतलब यह नहीं है कि दूसरों की मदद उतनी कारगर नहीं होगी या बेमानी होगी 
दूसरों की मदद मेरे लिए शिरोधार्य है 
मैं सम्मान करूँगा हर उस शख्स का जो मेरी मदद के लिए सामने आता है,
जो मेरी मदद के लिए हाथ बढ़ाता है, 
अपने समय, संसाधन, भावना को दांव पर लगाता है
दरअसल दूसरों की मदद वह चिंगारी है 
जिससे मेरे भीतर की मशाल जल तो सकती है 
परंतु धधकना तो मुझे खुद को ही होगा
मुझे अपने भीतर की आग को जलाए रखना है 
अपने आप को आत्मनिर्भर बनाए रखना है 
हर स्थिति परिस्थिति और काल से परे जाकर
अपनी मदद खुद करनी है क्योंकि 
यह मेरी जिंदगी है इसे मुझे ही बनाना है

@ मन्यु आत्रेय

Saturday 30 January 2021

किसी का गुस्सा किसी और पर न निकालो

नव कल्प
मुझे यह ध्यान में रखना है कि गुस्सा आना स्वाभाविक है
जब कुछ मन के अनुकूल नहीं होता
जब कुछ ऐसा होता है जिससे हमें कष्ट होता है 
और तीखी प्रतिक्रिया देने से स्वयं को रोक नहीं पाते,
तो गुस्सा पहली प्रतिक्रिया होता है
लेकिन कहीं का गुस्सा कहीं और निकालने से बचना है
अक्सर जब कहीं का गुस्सा कहीं और निकाला जाता है 
तो कोई न कोई निर्दोष ही उसकी चपेट में आता है 
जिस पर गुस्सा निकाला जाता है उसे ठेस लगती है, 
अपमानित महसूस होता है,उसकी आत्मा दुखती है, 
वो भले जवाबी प्रतिक्रिया न कर पाए 
लेकिन बहुत बुरा लगता है जब कोई 
हमारा दोष नहीं होने पर भी हम पर गुस्सा निकाले
किसी का गुस्सा किसी और पर निकालना ये बताता है 
कि मैं नहीं जानता कि कष्ट का मूल कारण कौन है
या फिर मैं उस व्यक्ति का कुछ बिगाड़ नहीं सकता
या उन परिस्थितियों को बदलने की क्षमता मुझमें नहीं है 
या मेरा देखने का नज़रिया सही नहीं है 
यह सिद्ध करता है कि मैं एक तुनकमिजाज इंसान हूँ जिसे
अपनी खीझ निकालने के लिए एक आसान शिकार चाहिए था
जो जितना कमज़ोर होता है वह उतना ज्यादा
कहीं का गुस्सा कहीं और निकालता है
इससे बचने का एक सरल तरीका है 
जब किसी बात, व्यक्ति और हालात पर गुस्सा आये 
तो तुरंत गुस्से की प्रतिक्रिया नहीं देनी है 
तुरंत हमला नहीं करना है, 
खौलते हुए दिमाग़ का तेज़ाब तुरंत नहीं फेंकना है किसी पर
बल्कि उस क्रोध के क्षण को बीतने देना है
जब भीतर की खीझ थोड़ी शांत होगी 
तो समझ आ जायेगा कि जिस पर हम गुस्सा होने जा रहे थे 
क्या वो वाक़ई गुस्सा किये जाने  का पात्र था! 
इससे कई मासूम दिलों को ठेस लगने से बचाया जा सकता है,
कुछ अच्छे रिश्तों को दरकने से बचाया जा सकता है
अपने आप को एक संतुलित व्यक्तित्व बनाया जा सकता है 

@ मन्यु आत्रेय

Friday 29 January 2021

सिमटो मत अपनी चादर बड़ी करो !

नव कल्प
मुझे अपने आप को समेटना नहीं है
बल्कि मुझे अपनी चादर बड़ी करनी है
यह जीवन बार बार नहीं मिलने वाला
तो क्यों अपने आपको सीमित करके जीना
मुझे हर हालत में अपनी चादर बड़ी करनी है
चादर बड़ी करने का मतलब है 
अपनी क्षमताओं को निरंतर बढ़ाना
मुझे अपनी शारीरिक शक्ति को बढ़ाना है 
ताकि मेरी प्रतिरोधक क्षमता बढ़िया रहे, 
और मैं एक सेहतमंद जीवन जियूँ
मुझे अपने दिमाग़ की ताक़त बढ़ानी है,
अपने तर्क अपनी स्मरण क्षमता, अपनी समझ, 
सब कुछ बढ़ाना है ताकि मैं 
मानसिक रूप से मज़बूत होकर दुनिया का सामना कर सकूँ
मुझे अपनी आय के स्रोतों को बढ़ाना है,
ताकि मुझे और मेरे परिवार को अपना मन मार कर न जीना पड़े,
ताकि हर ज़रूरी चीज़ और सेवा हम ले पाएं 
जो एक अच्छा जीवन जीने के लिए आवश्यक है
मुझे अपने दोस्तों की संख्या बढ़ानी है, 
ताकि ज़िन्दगी और खुशनुमा हो सके, 
मुझे लोगों की भावनाओं और उनके व्यवहार की गहरी समझ बढ़ानी है ताकि मैं
एक अच्छा और ज़िम्मेदार व्यक्ति बन सकूँ,
मुझे अपनी चादर सिर्फ इसलिए नहीं बड़ी करनी
कि दूसरों को दिखाना है या दूसरे चाहते है,
मुझे इसलिए अपनी क्षमताओं को बढ़ाना है
क्योंकि यह मुझे एक सम्पन्न और अच्छे जीवन का अनुभव कराएगा
अपनी किसी भी कमी, किसी भी अक्षमता पर 
मुझे शर्मिंदगी नहीं महसूस करनी है 
जब तक मेरी चादर इन सब मामलों में बड़ी नहीं हो जाती 
मैं अपनी मौजूदा चादर में अपनी गरिमा के साथ रहूंगा
और दूसरों को उनकी क्षमताओं के साथ स्वीकार करूँगा, उनका सम्मान बनाये रखूँगा !

@मन्यु आत्रेय

Thursday 28 January 2021

किसी को दुखी विदा नहीं करना !!

नव कल्प
मुझे ये कोशिश करनी है 
कि किसी को भी दुखी विदा न करूँ
विदाई अपने आप में दुख का कारण हो सकती है
विदा और जुदा होने की परिस्थितियाँ 
दुख का कारण हो सकती हैं 
उसे अगर विदा होते समय दुख हो 
तो सिर्फ मुझसे जुदा होने का दुख हो, 
मुझसे दूर जाने का दुख हो,
उसे मेरे कारण दुख नहीं होना चाहिए
जिससे विदा होने के बाद मेरे दिल को कुछ चुभे
उसका दिल कहीं न कहीं मैंने दुखाया होगा
मैं भरसक कोशिश करूंगा कि जो मुझसे विदा ले
उसके मन में असीम शांति रहे, और मेरे भी। 
मेरे अस्तित्व की अच्छी याद और अनुभव उसके पास रहे
दिल दिमाग पर कोई बोझ कोई मलाल न रहे, न उसके-न मेरे
वो विदा हो जाने के बाद जब कभी याद करे 
तो एक सुखद अहसास उसे हो,
विदाई ज़िन्दगी का एक अनिवार्य हिस्सा है
लोग मिलते हैं और बिछड़ जाते हैं 
कई बार बिछड़ना, नए सिरे से मिलने का कारण बन जाता है
जिसे मैं खुश और शांत विदा करूँगा
उसमें मुझसे मिलने की पुलक होगी
जो मुझसे दुखी होकर विदा होगा वो दोबारा अपने साथ 
बहुत सारी नकारात्मकता लेकर आएगा 
मुझे अपने दुश्मनों को भी दुखी करके विदा नहीं करना
क्योंकि उनका वह दुख उनके दिल में बैर की तरह उबलता रहेगा
और वो फिर पलट कर मेरी ज़िंदगी मे आना चाहेगा जो मैं कभी नहीं चाहूंगा
इसीलिए मेरे दुश्मन भी शांत मन से विदा हों
कुछ लोग बार बार ज़िन्दगी में आते हैं
कुछ लोगों को कई बार विदा करना पड़ता है
जिसे किसी कारण से मुझसे दुखी होकर विदा होना पड़ा 
वो जब पलट के मेरी ज़िंदगी में आये तो मैं
ये पूरी कोशिश करूंगा कि इस बार 
उसकी सारी खलिश मिट जाए दुखे मन पर मरहम लगाऊं
और अब की बार खुशी खुशी विदा करूँ
मैं लोगों को ऐसे विदा करना चाहता हूँ 
कि वक़्त ने कभी दोबारा मिलाया तो वो 
मिलते ही ज़ोर से गले लगा ले मुझे !
और मुझे ये कभी नहीं भूलना है 
कि हर विदाई का मतलब जुदा होना नहीं होता!!

@मन्यु आत्रेय

Wednesday 27 January 2021

अपने हिस्से का श्रेय कभी न छोड़ो

नवकल्प
मुझे आज यह बात नहीं भूलनी है 
कि मुझे अपने हिस्से का श्रेय छोड़ना नहीं है 
ये दुनिया बहुत स्वार्थी लोगों से भरी पड़ी है 
शेर अगर अपने शिकार पर कब्ज़ा न जमाये
तो गीदड़ सियार शेर का हक छीन लेते हैं 
हम सबके आसपास ऐसे परजीवी लोग होते हैं 
जो दूसरों का खून चूस कर ही पनपते हैं
दुनिया तो तैयार बैठी है हाशिये पर धकेलने के लिए
हज़ारों लोग ऐसे हैं जिन्हें उनके कामों का श्रेय नहीं मिला
दुनिया को कभी उनके अच्छे कामों का पता नहीं चल पाया 
उनकी उपलब्धियाँ गुमनामी के अंधेरों में खो गयी
अगर मैंने कोई अच्छा काम किया 
अगर मेरी कोई उपलब्धि हुई तो आखिर मुझे उसका श्रेय क्यों नहीं लेना चाहिए 
आखिर मैंने अपनी रचनात्मकता दिखाई
मेहनत की, समर्पित होकर श्रेष्ठ काम किया 
श्रेय मिलना मेरी उसी मेहनत और समर्पण का सम्मान है 
श्रेय डूबते हुए दिल को उबार लेता है 
लाख अच्छा करो पर कोई सराहना 
कोई श्रेय न मिले तो सब बेमानी लगता है 
आदमी अपने भीतर ही भीतर कुंठित हो जाता है
हीन भावना से ग्रसित हो जाता है 
लोगों को पता चलना चाहिए ये मैंने किया
इससे मन को संतोष मिलता है, जीवन सार्थक बनता है 
इसलिए अपने हर उस काम का श्रेय लेना है
जिसका श्रेय मिलने से मुझे आत्मिक तृप्ति मिलेगी
हर उस काम का श्रेय लेना है 
जो मेरी रचनात्मकता, कर्तव्य निष्ठा, प्रतिभा और 
समर्पण के सम्मान की रक्षा के लिए ज़रूरी है
मुझे कुछ काम सिर्फ श्रेय लेने के लिए करने पड़ें तो भी कोई बात नहीं, 
कुछ कामों का श्रेय मैं दूसरों को अपनी खुशी से दे दूं तो भी कोई बात नहीं,
मुझे अपने काम पर, अपने तरीके पर अपनी अद्वितीय छाप छोड़नी है 
ताकि लोग देखते ही समझ जाएं ये मेरा काम है
मुझे अपने आसपास के हर व्यक्ति को 
उसके कामों उसकी उपलब्धियों का श्रेय देना है 
जो उसका पात्र है, जिसने सब कुछ झोंका है
मुझे दूसरों को उनका श्रेय दिलाना भी है 
और अपने हिस्से का श्रेय पाना भी है
मेरे श्रेय पर मेरे माता पिता पत्नी बच्चों 
भाई बहन दोस्तों गुरुजनों 
सबका हक़ है
जिन्होंने इसमें प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष भूमिका निभाई
मैं अपना हक छोड़ भी दूं 
उनका हक़ कैसे छोड़ सकता हूँ
इसलिए श्रेय लेना भी है और दूसरों को वाजिब श्रेय देना भी है

@मन्यु आत्रेय

Tuesday 26 January 2021

आगे बढ़ना है तो काम बांटो !!

नव कल्प
मुझे यह ध्यान रखना है 
समय सीमित है काम असीमित हैं
मैं अकेले सारे काम नहीं कर सकता 
अगर करने लगूं तो ज़िन्दगी भर खटने के बावजूद काम खत्म नहीं होंगे 
इसलिए मुझे लोगों को काम बांटने 
और उनसे काम करवाने की कला सीखनी है 
कुछ काम ऐसे होंगे जिन्हें सिर्फ मुझे ही करना होगा 
कुछ काम ऐसे होंगे जिन्हें मेरी ओर से कोई और भी कर सकता है 
कुछ काम ऐसे हैं कि जिसमें मेरी भूमिका 
एकदम शुरू से ज़रूरी नहीं हो 
बल्कि फिनिशिंग टच के समय मेरी ज़रूरत होगी
इन कामों को अलग अलग पहचानना और उनकी प्राथमिकता तय करना सीखना है
जो काम तुरंत किये जाने हों और काफी महत्वपूर्ण हों उन्हें  मैं स्वयं करूँ
जो काम कुछ समय बाद किये जाने लायक हों,
उनकी तैयारी शुरू करके उस समय के लिए रख ली जाए
ऐसे काम मे किसी ऐसे भरोसेमंद की सहायता ली जाए जो काम को ठीक से कर पायेगा
जिस काम पर आपके जीवन की बहुत महत्वपूर्ण बातें टिकी हुई हैं 
उन्हें आप खुद कीजिये
जिस काम मे ऊंच नीच हो जाने पर उस स्थिति का आप सामना कर पाएंगे
उस काम को दूसरे से करवाइए
दूसरे को वह काम सौंपा जा सकता है जिससे
आप की पकड़, प्रभाव, क्षमता कम न हो जाये 
काम किसी और को देकर भूलना नहीं है, 
बीच बीच में जांचते रहिए कि वो काम ठीक से कर रहा है या नहीं 
जो भी त्रुटि, कमी, गलती, खामी दिखे उसे सुधरवाईये
दूसरे के किये हुए काम को अंत मे एक बार चेक ज़रूर कीजिये
उन लोगों को पहचानिए जो आपकी टीम में 
आपके सहयोगी के रूप में काम करना पसंद करें। 
जो आपको बढ़िया सलाह, उत्कृष्ट मार्गदर्शन, सजग चेतावनी और अदम्य प्रेरणा दे सकें
ये ज़िन्दगी सिर्फ काम मे खत्म करने की नहीं है 
बल्कि अपने बड़े लक्ष्य को पूरा करने पर 
अपनी क्षमताओं और ध्यान को केंद्रित करना है 
ताकि असली उपलब्धियाँ हासिल की जाएं।

@ मन्यु आत्रेय

Sunday 24 January 2021

रुको मत! लगातार करते रहो!!

नव कल्प
मुझे यह बात हमेशा याद रखनी है 
कि बड़े संकल्पों को पूरा करने के लिए 
अधिक समय, अधिक मेहनत, अधिक अनुशासन, 
अधिक संसाधन, अधिक समर्पण 
और अधिक दुआओं की ज़रूरत पडती है
और वह भी सिर्फ एक दो बार या एक छोटे समय के लिए नहीं 
बल्कि लगातार, हमेशा, और तब तक जब तक लक्ष्य पूरा न हो जाये
दुनिया के हर काम की एक प्रक्रिया होती है जिसे पूरा करना पड़ता है, 
कुँए में डाली गई बाल्टी को तब तक खींचना पड़ता है 
जब तक वो पानी लेकर बाहर न निकल आये 
सूरज को तब तक पानी को भाप बनाना पड़ता है 
जब तक वो भाप घने बादल न बन जाएं
ज्ञान को बार बार ग्रहण और स्मरण करना पड़ता है 
ताकि वह अच्छी तरह से याद हो जाये समझ जाए
कोई भी अभ्यास निपुण होते तक लगातार करना पड़ता है 
युद्ध तब तक लड़ना पड़ता है जब तक जीत न हो जाये 
वार तब तक करना होता है जब तक दुश्मन परास्त न हो जाये
पौधे की रक्षा तब तक करनी ही पड़ती है 
जब तक वह एक मोटे तने का पेड़ न बन जाये
मनचाही रक़म जमा करने लगातार बचत करनी पड़ती है 
मनचाहा शरीर बनाने लगातार कसरत करनी पड़ती है 
एक किलोमीटर की दौड़ एक किलोमीटर दौड़ कर ही पूरी होगी
उससे पहले छोड़ दिया तो सारी मेहनत बेकार हो जाएगी 
इसलिए जब तक काम पूरा न हो जाये जुटे रहो
बाधाएं स्वाभाविक है, लेकिन उनसे हार न मानना असाधारण है 
जब तमाम मुश्किलों के बावजूद आप कुछ निरंतर करते हैं 
तो उसके प्रति आपकी गंभीरता और संकल्प की मजबूती प्रकट होती है 
जब किसी बात को आप इतनी शिद्दत से करते हैं 
कि वो रोज़मर्रा का काम नहीं बल्कि एक व्रत बन जाये 
तो उसे पूरा होने से कोई भी नहीं रोक सकता,
इसलिए जो भी करें लगातार करें, रुकना नहीं।

@ मन्यु आत्रेय

Saturday 23 January 2021

क्या मैं चिपकू हूँ??

*नव कल्प*
आज के दिन मुझे यह समझना है
कि कोई भी चिपकू लोगों को पसंद नहीं करता 
जब मैं किसी के साथ हद से ज़्यादा 
अनौपचारिक हो जाता हूँ 
समय बेसमय उनके जीवन मे दखल दिए रहता हूँ
उन्हें अपना ज़्यादा से ज़्यादा समय देता हूँ
जब बार बार उन्हें मैसेज या कॉल या मुलाक़ात करता हूँ जिसकी शायद ज़रूरत नहीं थी
जब बेवजह उनके आस पास रहता हूँ 
तो मुझे चिपकू समझा जा सकता है 
जब मैं उनसे निजी सवाल बिना कुछ सोचे पूछ लेता हूँ, 
बिना मांगे अपनी राय देता हूँ ज़्यादा परवाह जताता हूँ
यदि मैं सोशल मीडिया और असल जिंदगी में
उनके साथ हद से अधिक जुड़ा रहूँ तो
मुझे चिपकू से आगे एक स्टाकर संमझा जा सकता है
असल में लोग अपनी मनः स्थिति, अपनी आवश्यकता और मेरी उपयोगिता के अनुसार
अपने जीवन मे मेरी स्थिति रखना या नहीं रखना चाहते हैं 
इस बात का कोई फर्क नहीं पड़ता कि मैं
उनको कितना मानता हूँ कितना पसंद करता हूँ,
उन्हें कितनी ज़्यादा प्राथमिकता देता हूँ 
महत्वपूर्ण यह है कि वो क्या चाहते हैं, वो क्या पसंद करते हैं 
उनकी प्राथमिकताओं में मैं कहाँ हूँ
महत्वपूर्ण यह है कि वो मुझे कहाँ रखते हैं
चिपकू का टैग लग जाने से मेरी सारी भावना
सारे स्नेहपूर्ण अनौपचारिक व्यवहार का,
मेरी निःशर्त उपलब्धता का, मेरे सहयोग का
कोई अर्थ नहीं रह जाता 
मुझे चिपकू मानने वाले मुझसे दूर जाना चाहेंगे,
मेरी बातों की उपेक्षा करेंगे 
मेरी ओर कम देखेंगे, मुझसे कन्नी काटेंगे
मेरी पीठ पीछे मुझे चिपकू कह कर हंसी उड़ाएंगे
मुझे आमंत्रित नहीं करेंगे, अपने ग्रुप से दूर रखेंगे
मुझे फीकी सी बेहद, औपचारिक मुस्कुराहट देंगे,
अपनी देह भाषा से झलका देंगे कि मैं वहाँ गैर जरूरी हूँ
मुझे लोगों की निजी पसन्दगी का सम्मान करना है 
मुझे गैर जरूरी और बोझ समझने के उनके फैसले से दुखी नहीं होना है
अपने दिल पर पत्थर भी नहीं रखना है 
बस उनसे दूर हो जाना है, अपनी उपलब्धता कम कर देनी है
अपने गुणों को दूसरी दिशा में निवेश करना है
दुनिया मे सैकड़ों लोग ऐसे होंगे जिन्हें 
मेरे जैसे किसी इंसान की ज़रूरत होगी,  
मेरे जैसे व्यक्ति और व्यवहार को पसंद करते होंगे
मैं भी ऐसे लोगों को अपने जीवन मे रखूं 
बाकी से औपचारिक रिश्ते निभाऊं 
दिल मे कोई खलिश नहीं रखनी है
बस संभल जाना है ताकि आत्मसम्मान बना रहे। 

@मन्यु आत्रेय

Friday 22 January 2021

ठुकराए जाने को नासूर न बना

नव कल्प 
आज के दिन मुझे यह समझ लेना है 
कि लोग मुझे कई बार स्वीकार करेंगे
तो कई बार अस्वीकार भी करेंगे
जिसने मुझे आज स्वीकारा वो कल ठुकरा भी सकता है 
जिसने आज ठुकराया वो कल स्वीकार भी कर सकता है 
ठुकराया जाना कोई बहुत खराब बात नहीं है
ठुकराए जाने से इतना न डर जाना कि 
अपनी बात रखना ही बन्द कर दो
लोग ठुकराते कब हैं, जब हमारी बात 
उनके मन के अनुसार नहीं होती, 
या जब वो हमें समझ नहीं पाते
इसका मतलब यह नही है कि हर बार हममें कोई दोष हो, 
हो सकता है सामने वाला ऐसी मनः स्थिति में हो 
कि वो हमें समझ नहीं पाए
हो सकता है उसकी ही समझ सीमित हो
शायद वो हमारी बात के योग्य ही न हो
शायद नियति में ऐसा कुछ लिखा ही न हो,
ठुकरा दिए जाने से दुनिया खत्म नहीं हो जाती, 
ध्रुव को पिता ने ठुकरा दिया था तो उन्हें भगवान विष्णु की गोद मिली
ठुकरा दिए जाने से विषाद ग्रस्त मत होना
बल्कि अपने आप को इस क़ाबिल बनाना कि
अपने आप को और बेहतर बना सको,
खुद को और बेहतर तरीके से अभिव्यक्त कर सको
ज़्यादा बेहतर समय पर अपनी बात रख सको
ये दुनिया बदल जाने वाले लोगों से भरी पड़ी है
सामने वाला न बदला तो भी हालात तो बदलेंगे ही
आपकी शख्सियत किसी एक अस्वीकृति से 
टूटनी नहीं चाहिए,
ज़िन्दगी चलती रहेगी, उसे चलते रहना है
बेहतर बनो,लोग झक मार के आएंगे
नहीं आये तो भी दिल छोटा मत करो
अपनी कीमत अपनी कदर समझो! 

@ मन्यु आत्रेय

Thursday 21 January 2021

जीत हार को पचाना सीख लो

नव कल्प
आज के दिन मुझे 
हार- जीत को पचाना सीखना है
वैसे हर दिन कई कई बार मेरी जीत होती है 
और कई कई बार मैं हारता हूँ 
बातों में, कामों में, तर्कों में, प्रतिस्पर्धा में
जब मैं भारी पड़ता हूँ मैं जीतता हूँ
जब कोई मुझ पर भारी पड़ता है मैं हारता हूँ 
हालांकि कई जीत हार ज़्यादा महसूस नही होती
क्योंकि उनसे अहम बहुत ज़्यादा जुड़ा नहीं होता 
जिस बात में भी अहम तृप्त हो, वह जीत लगती है
जिसमे अहम चोटिल हो वह हार लगती है
और वही जीत हार ज़्यादा प्रभावित भी करती है
बिना अहम के जीत और हार सिर्फ एक स्थिति ही तो है 
अपने आप को इस स्थिति में लाना है 
जब जीत अहम को बढ़ाने न पाए
और हार अहम को घायल न कर पाए
और ऐसा कब होगा ? 
जब मैं स्वयं श्रेय लेने की बजाय 
जीत के पीछे की परिस्थितियों और 
मुझे प्राप्त सहयोग के प्रति कृतज्ञ होऊंगा
मेरी असली जीत उस समय होगी 
जब मैं हारने वाले को सम्मान दूंगा, 
मैं अपनी हार में अपनी कमियाँ खामियाँ,
अपनी चूकें, गलतियाँ खोजूंगा
उन परिस्थितियों की पहचान करूंगा 
जिनमे मैं कमज़ोर पड़ता हूँ और उनमें सुधार करूंगा
अपनी हार का दोष दूसरों के सर नहीं डालूँगा
मैं हार को एक शिक्षा एक सबक के रूप में लूंगा
मुझे ये कभी नहीं भूलना है कि 
जीवन मे शांति हार से बचने या जीत हासिल करने से नहीं आएगी
बल्कि शांति तब आएगी जब मैं जीत हार को पचाना सीख पाऊंगा 
और हर जीत हार से ऊपर उठने की कोशिश करूंगा 
क्योंकि कोई भी जीत कोई हार 
हमेशा के लिए नहीं होती!!

@मन्यु आत्रेय

Wednesday 20 January 2021

ज़ोखिम उठाने की कला सीखिए !!


नव कल्प
आज के दिन मुझे 
ज़ोखिम उठाने की कला सीखनी है
क्योंकि बिना ज़ोखिम उठाये ज़िन्दगी में कुछ बड़ा करना संभव नहीं है
ज़ोखिम का अर्थ है नुक़सान की संभावना
ज़ोखिम हमेशा किसी संकट या ख़तरे का परिणाम नहीं होता बल्कि किसी भी बात में ज़ोखिम छुपा हो सकता है 
किसी को स्वीकार करने तो किसी को इनकार करने का अपना ज़ोखिम हो सकता है कुछ करने में और कुछ न करने में ज़ोखिम हो सकता है , ज़ोखिम यहाँ भी हो सकता है वहाँ भी कहीं भी,
ज़ोखिम दैहिक भी हो सकता है, भावनाओं का भी हो सकता है, धन संपत्ति को हो सकता है सम्मान को हो सकता है 
काम धंधे में ज़ोखिम, रिश्तों को निभाने में ज़ोखिम, हर एक बात में ज़ोखिम 
पूरी ज़िंदगी मे ज़ोखिम रहेगा
इसे ही पहचानना है, छुपे हुए लाभ हानि को समझना है कई बार नुक़सान फायदे की शक्ल में लुभाते हैं कई बार हानि फायदे में बदल जाती है, 
दुर्भाग्य सौभाग्य के मुखौटे तले छुप कर आता है,
कई बार हार की कगार जीत के शिखर दे जाती है वहीं कई बार जिसे सीढ़ी समझ कर आगे बढ़ते हैं वो सांप निकल आता है और कई बार सांप खुद ही सीढ़ी बन जाता है
लेकिन यह अनिश्चित होता है बिना ज़ोखिम उठाये ये समझा नहीं जा सकता, 
विश्वास में ही असल मे धोखा छुपा है 
हर ज़ोखिम के मूल में धोखा होता है
जैसे जैसे आप धोखे की संभावनाओं को 
जानने समझने और आंकने लगेंगे
आपको अपने ज़ोखिम का दायरा समझ आ जायेगा
ज़िन्दगी के गणित को सीखिए
हिसाब लगा कर ज़ोखिम उठाइये, 
पहले छोटे ज़ोखिम उठा कर अनुभव लीजिये ताकि बड़े दांव खेल और झेल सकें
जितने की हानि सह सकें, 
जिस विपरीत स्थिति का सामना करने में खुद को सक्षम मानते हों 
जितना विश्वास करने का प्रमाण और समझ आपके पास हो,
उसकी सीमा में रह कर ज़ोखिम लेना है
ज़ोखिम के दायरे को छोटा करते चलिए
और ज़ोखिम उठाने और नुक़सान झेल पाने की क्षमता बढ़ाते चलिए 
क्योंकि बिना ज़ोखिम लिए कुछ भी मनचाहा हासिल नही होगा !

@मन्यु आत्रेय

Tuesday 19 January 2021

गुप्त शत्रुओं से घिरे हैं हम सब

नव कल्प
आज यह समझ लेने का दिन है
कि मैं चाहूं या न चाहूं, 
मेरी कोई भूमिका हो या नहीं हो,
लोग मुझे अपनी राह की बाधा, एक चुनौती 
एक प्रतिद्वंद्वी मान ही लेंगे, 
यह लोगों की फितरत है,
और मुझे पता भी नहीं चलेगा कि ऊपर से 
मेरा हितैषी और दोस्त बनने वाला इंसान भी 
अंदर से मुझे अपने रास्ते का कांटा समझता होगा
मेरा दोष हो या न हो,
मैंने कुछ किया हो या न किया हो
मेरा व्यक्तित्व, मेरा व्यवहार, मेरे गुण अवगुण, मेरी उपलब्धियाँ,
लोगों को मुझसे ईर्ष्या रखने, द्वेष पालने के लिए 
प्रेरित करते हैं, मजबूर करते हैं 
मेरी स्थिति, मेरे विचार, मेरे काम का तरीक़ा 
दूसरों से मेरे संबंध,कुछ लोगों को 
मेरे ख़िलाफ़ कर देते हैं
मेरा हुनर, मेरी विशेषज्ञता, मेरी अच्छाइयां,
मेरी सज्जनता, मेरी दबंगई 
किसी न किसी को  खटकती रहती है, 
किसी के अहम को चोटिल करती है 
मेरी हर बात किसी न किसी को मेरे विरुद्ध कर सकती है,
और मैं उन लोगों में से अधिकांश को पहचान नही सकता 
क्योंकि वे छुपे हुए होते हैं और छुपे तौर पर ही 
मुझे गलत दिशा में ले जाते हैं, नुक़सान पहुंचाते हैं
मेरी ताक़त छीन लेना चाहते हैं 
जो मेरे आगे निस्तेज हो जाता है 
वो मेरी रोशनी कम करना चाहता है
हंसने बोलने वाला हर शख़्स मेरा हितैषी नहीं होगा,
यह प्रतिस्पर्धा की वह निर्मम दुनिया है जिसमें 
क़दम क़दम पर गुप्त शत्रु मिलते हैं
मेरे हितैषी मेरी रक्षा के लिए उतनी जल्दी लामबन्द नहीं हो पाएंगे 
जितनी जल्दी मेरे गुप्त शत्रु मेरे खिलाफ आपसी समझौता कर पाएंगे
इसलिए अगर ज़िन्दगी में सुरक्षित रहना है
अपना हक हासिल करना है
अपने लक्ष्य पूरे करने है तो 
अपना हर क़दम फूंक फूंक कर रखना होगा, 
और मुक़ाबले के लिए तैयार रहना होगा
यही कड़वी सच्चाई है जिसे आज भूलना नहीं है !

@मन्यु आत्रेय

Monday 18 January 2021

सिर्फ उसे दो जो कद्र करे!!

नव कल्प
आज के दिन मुझे यह ध्यान रखना है
कि मैं सिर्फ उसी को कुछ दूं
जिसकी उसे ज़रूरत हो, जो लेने का पात्र हो 
और जो दिए जाने की क़द्र करे
चाहे वो रुपये हों, कोई और चीज़,
परवाह हो, ध्यान हो या भावनात्मक सहारा
भरोसा हो या प्रेरणा, चाहे वो समय हो
प्रेम हो चाहे साथ हो चाहे समर्पण
ये ही वो निधियां हैं जो मैं किसी को दे सकता हूँ 
जिसे ज़रूरत न हो उसे वो देना फ़िज़ूल है
देना उसे चाहिए जिसे देने से उसके जीवन में 
सच में कोई अच्छा बदलाव आ पाए
और ये बदलाव उसकी इच्छा का हो या उसके भले के लिए हो 
अपात्र को कुछ देकर हम उसे बर्बाद करते हैं 
और यह हमसे जुड़े उस इंसान के साथ अन्याय है 
जिसे ज़रूरत थी पर हमने नहीं दिया 
उसे देते तो शायद उसकी ज़िन्दगी में 
कोई अच्छाई हो पाती कुछ सुधार हो पाता 
लेकिन उसकी बजाए हमने
एक ऐसे शख्स को दे दिया जिसे 
शायद उसकी उतनी ज़रूरत भी नहीं थी, 
जो हमारे प्रति उतना कृतज्ञ भी नही होगा
और यह आखिर में हमारी वेदना का कारण बनेगा
जब तक सामने वाले की मर्ज़ी नहीं है, 
जब तक सामने वाले को ज़रूरत नहीं है
जब तक ये स्पष्ट न हो जाये कि उसे ये चाहिए 
जब तक मैं देने का और वो लेने का पात्र न सिद्ध हो जाये 
तब तक किसी को भी कुछ मत दो 
ये सही है कि कई बार इंसान 
अपना सम्मान बचाने के लिए मांग नहीं पाता
उसकी जरूरत महसूस हो तो बेशक़ बिन मांगे दे दो
और जब दे दो तो फिर सोचना भी मत 
कि कोई धन्यवाद या कृतज्ञता ज्ञापित करेगा
सब अपनी प्राथमिकताओं के अनुसार चलते हैं, 
अपनी आवश्यकताओं और उन्हें पूरा करने का तरीका जानते हैं, 
उन्हें उनके जीवन के साथ स्वतंत्र छोड़ दो
करो उसके लिए जो याद रखे बस !!

@मन्यु आत्रेय

Sunday 17 January 2021

हर अनावश्यक बोझ को उतार फेंको

नव कल्प
आज के दिन मुझे 
हर अनावश्यक बोझ से मुक्त होना है 
जो कुछ भी ज़रूरत से ज़्यादा होता है 
वो आज नहीं तो कल बोझ बन जाता है 
चाहे वह सामान हो, चाहे इंसान
चाहे विचार हों या रिश्ते
चाहे इच्छा हो चाहे सपना 
चाहे भावना हो चाहे कल्पना 
जिज्ञासा हो चाहे ज्ञान हो चाहे रहस्य 
चाहे भविष्य की फिक्र हो या गुज़रा हुआ अतीत 
बोझ हमेशा तब बनता है 
जब न रखने वाली चीजों को रख लिया जाए 
इन परिस्थितियों से बचने की कोशिश करनी है
मुझे न अपने दिल पर कोई बोझ रखना है 
और न अपने मन पर न अपने दिमाग़ पर 
न अपनी देह पर और  न अपनी आत्मा पर !
क्योंकि बोझ थका देता है निचोड़ लेता है
जो सामान ज़रूरत से ज़्यादा हो 
और अव्यवस्था फैलाये उसे छोड़ देना है
जो इंसान रिश्तों के नाम पर मुझे दबाए, 
सिर्फ मेरा इस्तेमाल करे उससे निजात पानी है 
ज़्यादा विचारों में से सिर्फ वास्तविक और काम के विचार ही रखने हैं बाकी को तिलांजलि देनी है 
जो इच्छाएं जो सपने जो कल्पनाएं
कल को फांस की तरह गड जाएं, 
शूल की तरह चुभें, नश्तर की तरह चलें, 
अथक प्रयासों पर भी जो पूरी नहीं होने वाली
उनके लिए अपने मोह को छोड़ देना है,
अपने दिमाग़ को गैर ज़रूरी ज्ञान से मुक्त रखना है 
बार बार गुप्त सुप्त रहस्यों को झिंझोड़ के जगाना नहीं है उन्हें स्मृति की ज़मीन में गाड़ देना है
भविष्य की अनावश्यक फ़िक्र और अतीत के प्रभाव को धीरे से छोड़ते जाना है 
ये जीवन बार बार मिलने वाली नेमत नहीं है
जीवन को सुख से जीने के लिए 
हर बोझ से मुक्त होना सबसे अहम है !!

@मन्यु आत्रेय

Saturday 16 January 2021

सवाल पूछने से मत चूकना।

नव कल्प
मुझे आज अपने सवालों को दबाना नहीं है
अपनी जिज्ञासा को शांत करने के लिए
सवाल पूछना अनिवार्य है
ऐसी हज़ारों बातें हैं जिन्हें मुझे 
किसी न किसी से पूछना ही पड़ेगा
मुझे सवाल पूछने से नहीं कतराना है
खुद को छोटा नहीं महसूस करना है 
सवाल पूछना मेरे अज्ञान नहीं 
बल्कि जानने की इच्छा को दर्शाता है 
मुझे ये नहीं सोचना है कि सवाल का जवाब 
सामने वाला देगा या नहीं देगा
अपने सवालों को छोटा या महत्वहीन नहीं समझना
हो सकता है सवाल छोटा हो जवाब बड़ा हो 
सवाल पूछने से ही मुझे समझ आएगा कि 
कौनसा जवाब सही सही दिया गया है 
और कौनसा जवाब टाल दिया गया है
मेरे कुछ सवालों के जवाब तो दूसरे ही देंगे
बल्कि दूसरों को ही देना पड़ेगा
सवाल पूछना मेरा हक़ भी है और फ़र्ज़ भी
सवाल पूछकर ही मैं 
ग़लत करने वालों को रोक सकता हूँ 
झूठ की पोल खोल सकता हूँ
सामने वाले की नीयत और औक़ात को
परख सकता हूँ 
सही सवाल पूछना आत्म विश्वास को बढ़ाता है 
सही समय पर सही व्यक्ति से 
सही सवाल पूछना मज़बूत बनाता है 
सवाल पूछना आगे बढ़ाता है 
भ्रमों से उबारने और सत्य को जानने के लिए 
सवाल पूछना अनिवार्य है
सामने वाला अधिक से अधिक क्या करेगा?
जवाब नहीं देगा, झूठा जवाब देगा, टाल देगा, नाराज़ हो जाएगा 
पर इससे भी सत्य के एक आयाम का पता तो चल ही जायेगा
तो सवाल पूछिये घबराइए मत!!

@मन्यु आत्रेय

Friday 15 January 2021

भ्रम और ग़लत फ़हमी से उबरना होगा!!

नव कल्प
आज के दिन 
मुझे हर एक भरम को तोड़ देना है
हर एक ग़लतफ़हमी को दूर करना है 
अपनी शंकाओं के समाधान में जुट जाना है
मुझे हर मामले में सत्य की तलाश करनी है 
और उसे जानना समझना भी है
और ये तब ही होगा जब मैं
अपनी धारणाओं से बाहर आ जाऊँ
जब तक मैं अपने विचारों को, अपनी जानकारी को
और जैसा मैं किसी बारे में महसूस करता हूँ 
यदि उसे ही प्रामाणिक और पर्याप्त मान कर किसी निर्णय पर आ जाऊंगा 
तो मुझसे गलती हो सकती है 
मुझे ये देखना होगा कि जो कुछ मैं सोच रहा हूँ 
जैसा मैं महसूस कर रहा हूँ
जो मुझे समझ आ रहा है जो मेरी धारणा है
क्या वही पूरा सच है या इसके परे भी कुछ सच्चाई है, 
सच का कोई ऐसा आयाम जो मैं नहीं जानता 
जो मेरी आँखों के सामने है जिसे मैं देख नही पा रहा
या जिसे देख पा रहा हूँ पर समझ नहीं रहा,
समझ रहा हूँ पर उसके भावी प्रभाव का 
अनुमान मुझे नहीं हो रहा है 
मुझे किसी भी विषय में अपनी धारणा, 
अपने विचार और अपनी अनुभूति के आधार 
टटोलने होंगे, उनकी परीक्षा करनी होगी,
कि उनका कोई आधार है या वे निराधार हैं 
मैं व्यक्तिगत की बजाय निरपेक्ष और तटस्थ सबूतों पर भरोसा करूँ 
क्योंकि इंसान झूठ भी बोल सकता है लेकिन 
परिस्थितियाँ जो सबूत पेश कर रही हैं
यदि उन्हें सही संदर्भ में मैं समझ पाऊँ तो
शायद मैं एक ऐसा सच समझ पाऊंगा 
जो मेरे भ्रम को दूर कर देगा, 
मेरी ग़लत फ़हमी को मिटा देगा
इसके लिए मुझे बिल्कुल शांत रहना होगा
बिना मोह माया और व्यक्तिगत पूर्वाग्रह के 
हर तथ्य कथ्य को परखना होगा
इसमे कोताही नहीं करनी है
आंख मूंद कर धारणा नहीं बनानी
सच को सामने लाना है ताकि ज़िन्दगी के अहम फैसले सोच समझ कर ले सकूं
जितनी जल्दी हो सके होश में आना है 
हर भरम हर गलतफहमी जितनी जल्दी दूर हो उतना अच्छा !!

@मन्यु आत्रेय

Thursday 14 January 2021

कुंठित क्रोधित इंसान से संभल कर रहो।

नव कल्प 
मुझे यह समझना होगा 
कि कुंठित, खीझे हुए और क्रोधित व्यक्ति से 
तर्क करने बात बढ़ाने से अपना ही नुकसान है 
एक तो वो किसी की बात नहीं सुनता 
सुनता है तो समझता नहीं 
समझ लेता है तो भी स्वीकार नहीं करता, 
इस स्थिति में माहौल खराब ही होता है 
खौलते हुए पानी मे हाथ डालने से 
पानी का कुछ नहीं बिगड़ता
हाथ ही जल जाता है इसलिए 
कुंठित, खीझे हुए और क्रोधित व्यक्ति से 
दूरी बना के रखना ही अच्छा
उसे उसके हाल पर छोड़ देना चाहिए
कुछ समय बाद जब वह थोड़ा सामान्य हो 
तब उससे बात करनी चाहिए
कुछ लोग इतने तुनक मिजाज होते हैं कि वे 
एक छोटी सी बात से नाराज़ होकर 
आपको भी अस्थिर कर सकते हैं 
आपको ट्रेक से भटका सकते हैं 
आपको चोट पहुंचा सकते हैं 
कई लोग अपनी कुंठा खीझ या 
क्रोध के प्रदर्शन को अपने बचाव की 
चाल बना लेते हैं ताकि कोई भी 
उनसे उनके मन के विरुद्ध बात या व्यवहार न करे 
ऐसे लोगों को बारीकी से देखना है 
और अध्ययन करना है कि 
यह सच मे परेशान है
या नाटक कर रहा है 
नाटक करने वाले के नाटक का 
पर्दाफाश करना होगा
और सच मे परेशान व्यक्ति के साथ  
सद्भाव, सहानुभूति और सहयोग
यही लोक व्यवहार का सूत्र है!!

@मन्यु आत्रेय

Wednesday 13 January 2021

जीवन अपने आप में उत्सव है !


नव कल्प
आज के दिन मुझे उत्सव मनाना है 
जीवन के अधिकतर दिन उत्सव बन सकते हैं 
उत्स का अर्थ होता है स्रोत 
यानी जहाँ से कुछ उत्पन्न हो 
अगर देखने सोचने समझने का नज़रिया 
ऊर्जा से भरा हुआ और सकारात्मक हो
जो भीतर और बाहर से आनंद पाने तैयार हो 
तो जीवन का एक छोटा सा क्षण भी उत्सव है
जीवन के दुखों, तकलीफों, चुनौतियों और संघर्ष के बीच 
उत्सव एक अवसर देते हैं शांत होने का 
अपनी बिखरती हुई ऊर्जा, शक्ति 
और दृष्टिकोण को सही रास्ते में लाने का 
उत्सव का प्रयोजन क्या है, रीति रिवाज क्या हैं 
मौक़ा क्या है, तरीका क्या है 
ये सब ऊपरी बातें हैं, एक सामान्य व्यवस्था है 
असली उत्सव है आपके भीतर, आपके मन में,
जिसके मन मे उत्सव का आल्हाद हो, 
उसके शरीर में अच्छी ऊर्जा कई गुना बढ़ जाती है 
उत्सव सिर्फ शोरगुल, दिखावा या तमाशा करना नहीं है वह ढोंग है
उत्सव उदासी से प्रसन्नता की ओर यात्रा है
उत्सव नैराश्य के बीच आशा दीप जलाना है 
उत्सव खुशियों को साझा करना और सहयोग करना है 
खुद को आत्मिक, शारीरिक और मानसिक रूप से 
सकारात्मक परिवर्तन के लिए तैयार करना 
उत्सव है
उत्सव मनाने से समस्याएं, चुनौतियां, तकलीफें
समाप्त नहीं हो जाती लेकिन उत्सव
उनसे लड़ने की नई ताक़त ज़रूर देते हैं
उत्सव अच्छी यादों का निर्माण करते हैं 
जिसका जीवन जितने अधिक उत्सवों से भरा हो, 
उसकी जीवन यात्रा उतनी आनंदपूर्ण होगी
इसलिए उत्सव मनाने की औपचारिकता न करो
बल्कि अपनी आत्मा से अपने पूरे अस्तित्व से 
उस उत्सव के प्रवाह में बहो, 
अपनी आत्मा से उस आनंद में रहो
और धीरे धीरे इसे अपनी प्रकृति बना पाओ 
तो तुम्हारे जीवन का एक एक पल उत्सव हो जाए।

@ मन्यु आत्रेय

Tuesday 12 January 2021

न जल्दबाज़ी करो न देरी करो!

नव कल्प
आज के दिन
मुझे यह बात अच्छे से समझ लेनी है 
कि कुछ मामलों में देर करना 
और कुछ मामलों में जल्दबाजी करना
बिल्कुल भी ठीक नहीं होगा
देर करने का मतलब है किये जाने वाले 
ज़रूरी काम के महत्व को न समझना,
उसे न करने के संभावित परिणामों  के बारे में न सोचना, 
जल्दबाजी करने का मतलब है 
अधीरता से और स्थितियों पर ज़्यादा भरोसा न करते हुए
तत्काल वो काम या बात कर लेना, 
फिर उसका परिणाम चाहे जो हो
हर बात हर काम के लिए कुछ स्थितियां 
कुछ मौके आधारभूत होते हैं 
उसके बिना कोई काम कर डालने का अर्थ है 
अपनी असफलता पर मुहर लगाना !
किसी काम या बात को तब तक न टालो
जब तक डेड लाइन पास न आ जाये 
जहाँ से उसे करना ज़्यादा समय, उलझन, मेहनत और संसाधन मांगे
देर करने या जल्दबाजी करने का मतलब है
सरलता को जटिलता में बदलना
कम हानि को ज़्यादा हानि में बदलना
जिसे पाने की ओर बढ़ना था उसे खोने की ओर बढ़ना
हर काम हर बात का एक उपयुक्त समय होता है 
उससे पहले वो जल्दबाजी होती है 
उसके बाद वो देरी हो जाती है 
इसीलिए हर काम हर बात को 
ऐसे समय मे करना चाहिए 
ताकि न जल्दबाजी हो न देरी हो जाये
आसानी से सब मन के अनुसार हो सके। 
यह समय प्रबंधन की कला है !!

@ मन्यु आत्रेय

Monday 11 January 2021

भावनाओं का इश्तेहार मत करो।

नव कल्प
आज एक बात गांठ बांध लेनी है 
कि कभी भी अपनी भावनाओं को 
अपात्र लोगों के सामने व्यक्त नहीं करना है,
बहुत कम लोग ऐसे होते हैं 
जो व्यक्त की गई भावनाओं का सम्मान करते है,
उन्हें समझने की कोशिश करते हैं 
बेहद चुनिंदा सच्चे लोग ही हमे ऐसे मिलते हैं 
लोग या तो भावनाओं से खेलने लगते हैं 
या उसका फायदा उठाने की कोशिश करते हैं 
या मज़ाक बनाने लगते हैं 
दुनिया एक बाज़ार है 
यहां झूठी मुस्कुराहट की कीमत
सच्चे आंसुओं से ज़्यादा लगाई जाती है  
यहाँ भावना को उजागर करने को भी 
एक इश्तेहार संमझा जाता है 
इस बाजार में भावनाओं की नीलामी नहीं करनी,
जो चीज़ बाज़ार में आती है बाज़ारू हो जाती है
इस बाज़ार में जो पेशेवर लोग हैं 
वो जज़्बात की ज़बान नहीं समझते 
भावना सिर्फ उसी के सामने व्यक्त करनी है 
जो उसे वैसे ही धन्य भाव से ग्रहण करे 
जैसे भगवान के प्रसाद को किया जाता है
किसी को भी जांचे परखे बिना अपनी 
गहन और बेहद अहम भावनाएं किसी के सामने
प्रकट करना एक लापरवाही होगी
हालांकि बरसो पुराने लोग भी अपनी भावना 
प्रकट किए जाने लायक नहीं होते
मेरी भावनाएं मेरी पहचान है 
मेरा अस्तित्व है, मेरी शख्सियत है 
लेकिन जो मेरी भावनाओं की कद्र करे 
वो संबंध मेरे लिए सबसे बढ़कर होगा
मेरी भावनाएं मेरे वजूद का अभिन्न भाग है 
जो मेरी भावना को स्वीकार करता है 
वो मेरे वजूद को भी स्वीकार करता है 
जो मुझे स्वीकार करेगा मैं उसे स्वीकार करूंगा !
संभालूंगा, रक्षा करूंगा और आगे बढ़ाऊंगा
क्योंकि वही इंसान मेरे जीवन की असली संपदा है

@मन्यु आत्रेय

Sunday 10 January 2021

कम्फर्ट ज़ोन से बाहर निकलो

नव कल्प
आज के दिन 
मुझे ये समझना है कि 
मैं जिंदगी के किस जोन में जी रहा हूं 
जब मैं अपने आप को सिर्फ उसी स्थिति में रखना चाहता हूं 
जिसमें मैं खुद को पूरी तरह से सुरक्षित और आरामदेह समझूं 
तथा हर बात पर लगभग मेरा नियंत्रण बना रहे 
तो मैं आपने सुविधा के दायरे यानी Comfort Zone में होता हूं 
जब मुझ में आत्मविश्वास कम होता है 
या जब मैं बहाने ढूंढता हूं और 
दूसरों की राय का मुझ पर अधिक प्रभाव पड़ता है
तब मैं डर के दायरे में यानी Fear Zone में होता हूं 
लेकिन जब मैं चुनौतियों, खतरों और समस्याओं का सामना करता हूं 
जब मैं नया कौशल सीखता हूं, ज़ोखिम उठाता हूँ, नई बातें पता करता हूं और 
जब मैं अपने कंफर्ट जोन को बड़ा करता हूं
तो मैं Learning Zone यानी सीखने के दायरे में होता हूं 
और जब मैं अपना मकसद खोज लेता हूं 
जब मैं अपने सपनों को जीता हूं 
अपनी कल्पना को साकार करने में जुट जाता हूं
जब मैं अपने नए लक्ष्य तय करता हूं 
जब मैं अपनी बाधाओं को जीत लेता हूं 
तब मैं Growth Zone में होता हूं यानी प्रगति के दायरे में होता हूं 
यह एक प्रक्रिया है 
हममें से हर कोई अलग-अलग मामलों में
अलग-अलग जोन में जी रहा होता है 
मुझे अपने आप को 
अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकाल कर 
लर्निंग जोन से होते हुए ग्रोथ जोन में पहुंचाना है
सफल जीवन जीने का यही मूल मंत्र है !!
सुविधा का दायरा बड़ा करो, डरो मत,
सीखते जाओ और आगे बढ़ो!!

@मन्यु आत्रेय

Saturday 9 January 2021

क्या मैं बोर करता हूँ

नव कल्प
आज के दिन 
मुझे यह ध्यान रखना है 
कि मुझे किसी को भी बोर नहीं करना है,
जिसकी रुचि मुझसे बात करने में नहीं है 
उससे ज्यादा बात नहीं करनी है
सामने वाले के हाव भाव को समझना होगा 
जो रुचि लेता है उसकी देह भाषा अलग होती है 
जो बोर होता है उसकी देह भाषा और शब्द 
अलग होते हैं 
सामने वाला बोर हो और हम अपनी हांकते रहें
ये कोई अच्छी बात नहीं है, 
कोई यदि मेरी बातों से बोर हो तो इसका हमेशा
ये मतलब नहीं है कि वो मुझे पसंद नहीं करता 
हो सकता है उसका ध्यान कहीं और हो, 
वह उस समय चित्त से कहीं और मौजूद हो
उसकी प्राथमिकता इस समय कुछ और हो,
शायद मेरे शब्द सरल और सही न हों,
मुझे लोगों को आंकना पड़ेगा कि इसकी रुचि है या नहीं 
अगर लंबे समय तक मैं किसी को बोर करूंगा 
तो वो मुझसे कन्नी काटने लगेंगे
मेरी पीठ पीछे ये कहेंगे कि बहुत बोर करता है 
मेरा मकसद चाहे कितना श्रेष्ठ क्यों न हो
लोग अपनी रुचि, अपनी पसंद, अपनी सोच और 
अपनी समझ को ही प्राथमिकता देते हैं
और जो मेरी छोटी छोटी और साधारण सी बात को 
बहुत ध्यान से सुने और प्रतिक्रिया दे, 
वह मुझे महत्व देता है, पसंद करता है
ऐसे लोगों का दिल मुझे कभी नहीं दुखाना है,
कोई भी मेरी बातों में रुचि लेने के लिए बाध्य नहीं 
उनमें कोई कमी नहीं है 
हमेशा कमी मुझमें होगी
मुझे अपने शब्दों और अपनी बातों में सरलता, कीमत और प्रभाव पैदा करना होगा, 
मुझे अपनी बातों को ऐसा बनाना होगा 
ताकि सामने वाला मुझे सुनने के लिए तरसे
किसी को झेलाते रहने और बोर करने से बचना है।

@मन्यु आत्रेय

Friday 8 January 2021

अपनी ऊर्जा बर्बाद मत होने दो।

नव कल्प
मुझे यह बात ध्यान में रखनी है 
कि मेरी ऊर्जा ही मेरी सबसे बड़ी निधि है
यही मेरी वो ताक़त है जिसके दम पर 
बड़े से बड़े पहाड़ को काटा जा सकता है
समंदर को तैर कर पार किया जा सकता है 
ऊर्जा न हो तो नाक पर बैठी मक्खी भी 
नहीं उड़ाई जा सकती 
ऊर्जा अच्छे भोजन, अच्छी नींद, अच्छी श्वास, अच्छे व्यायाम और अच्छे विचारों, अच्छे लोगों के मेल से मिलती है 
और गलत जीवन शैली, असंतुलित आहार, शारीरिक श्रम के अभाव से ऊर्जा बाधित होती है 
संसार में सिर्फ वही व्यक्ति बड़ा काम कर सकता है 
जो अपनी ऊर्जा का सही प्रबंधन कर लेता है, 
जिस काम मे ऊर्जा बर्बाद हो उससे बचना है,
जो व्यक्ति ऊर्जा को निचोड ले, उससे दूर रहना है, 
नकारात्मक ऊर्जा फैलाने वाले लोगों से बचना है,
जो काम गैर ज़रूरी हो, अमहत्वपूर्ण और हानिकारक हो, ऐसे कामों से बचना है,
अपनी जीवन शैली के ऐसे गढ्ढे खोजने हैं 
जिनसे होकर ऊर्जा बह जाती है,
6 घंटे सोना, 4 बार खाना 3 बार ध्यान करना है 
2 बार शारीरिक व्यायाम करना है 
उन आदतों को बदल देना है जो ऊर्जा नष्ट करें, 
अपने सभी व्यसनों को छोड़ देना है 
क्योंकि 1 बार ही तो जीना है 
उन लोगों से जुड़े रहना है जिनसे 
सकारात्मक ऊर्जा मिलती है 
ऐसी नई बातें सीखनी हैं ऐसे हुनर सीखने हैं ऐसे तरीके सीखने हैं जिनसे ऊर्जा बचती और बढ़ती हो, 
हर वो चीज़ करनी है जो मुझे नकारात्मक ऊर्जाओं के चंगुल में फंसने से बचाये
सकारात्मक ऊर्जा अच्छा महसूस कराती है 
नकारात्मक ऊर्जा अच्छा महसूस नहीं कराती और मन मे कुछ न कुछ खटका लग जाता है, 
इन ऊर्जाओं को पहचानना है, 
सकारात्मक ऊर्जा से भर जाना है और 
दूसरों को भी सिर्फ सकारात्मक ऊर्जा देनी है

@मन्यु आत्रेय

Thursday 7 January 2021

हर बात को सम्मान का प्रश्न मत बना लेना


नव कल्प
आज के दिन 
मुझे यह समझ लेना है कि
हर एक मुद्दे को सम्मान का प्रश्न बनाने की जरूरत नहीं है 
जो हर बात को अपने सम्मान से जोड़ देता है 
वह सबसे ज्यादा अपमानित भी होता है 
कोई बात आप के सम्मान का विषय है या नहीं 
यह आपको तय करना है 
दूसरों के नियंत्रण में यह कभी न रखें कि
कौनसा मुद्दा आपके सम्मान से जुड़ा है 
और कौनसा नहीं जुड़ा है
कई बार लोग हमें उकसाते हैं 
और हमें कुछ ऐसे संघर्षों में डाल देते हैं
जिनमें पड़ने की हमें जरूरत ही नहीं होती 
छोटी छोटी सी बातों को अपने सम्मान का प्रश्न बनाकर 
हम रिश्तो को कमजोर करते जाते हैं और 
एक दिन अच्छे रिश्तो को भी खो देते हैं 
सम्मान का प्रश्न संक्रामक होता है 
जैसे ही आप किसी बात को अपने सम्मान का प्रश्न बना लेते हैं 
तो ना चाहते हुए सामने वाला भी 
उसे अपने सम्मान का प्रश्न बनाने के लिए मजबूर हो जाता है 
और इससे आपसी संघर्ष और विवाद बढ़ता जाता है 
क्योंकि दोनों पक्ष अपने आप को सही मानते हैं 
यह लड़ाई लंबी चलने लगती है जीवन की शांति भंग हो जाती है 
किसी भी बात को सम्मान का प्रश्न बनाने से पहले अपनी समीक्षा करनी है 
कि क्या यह मुद्दा मेरे लिए उतना ज़रूरी है? 
क्या इस पर प्रतिक्रिया देने का सिर्फ यही एक तरीका है? 
हर रिश्ते में हमें थोड़ी-थोड़ी मात्रा में अपमान सहना पड़ता है और हम बुरा भी नहीं मान सकते 
इसी से उस रिश्ते की नींव मजबूत होती है
कि आप सामने वाले की बातों को कितना सहन कर पाते हैं 
हालांकि इसकी अपनी एक सीमा होती है 
उसके बाद आपको जवाब देना ही पड़ता है
कोई बात सिर्फ इसलिए मेरे लिए सम्मान का विषय नहीं होनी चाहिए 
कि इससे मेरे अहम, मेरी धारणाओं मेरे पक्ष को चोट पहुंचती है 
जब कोई विषय आपके मन और आपकी बुद्धि को अपमान की बात लगे 
जिसे आपकी आत्मा भी अपमान स्वीकार करे 
सिर्फ उसे ही अपने सम्मान से जोड़िए
क्योंकि सम्मान पर लगी हुई चोट बरसो तक सालती रहती है अगर माकूल जवाब न दिया जा सका

@मन्यु आत्रेय

Wednesday 6 January 2021

अपने दिल दुखाएं तो क्या करें?

नव कल्प

आज के दिन 
मुझे इस बात को समझना है 
कि जीवन भर कोई न कोई 
मेरा दिल दुखाता ही रहेगा
किसी की कोई बात 
तो किसी का व्यवहार मन को व्यथित कर देगा, किसी की आदत, किसी का किरदार दिल दुखायेगा 
कोई स्वार्थ सिद्ध करेगा, कोई विश्वासघात करेगा,
कोई इस्तेमाल करेगा, कोई वक़्त पर साथ नहीं देगा 
कोई झूठ बोलेगा कोई भ्रम पैदा करेगा
लोग हर वो तरीका जानते हैं जिनसे मुझे पीड़ा हो,
जिससे मुझे विचलित किया जा सके
जिनसे मैं सबसे अधिक अपेक्षा रखूंगा
उनमें ही मुझे सबसे अधिक दुख देने की क्षमता होगी
जहां रिश्ते सबसे घनिष्ठ होंगे वहीं सबसे ज़्यादा वेदना मिलेगी
मुझे हमेशा सहते रहने की ज़रूरत नहीं है 
मुझे हर संबंध में सहन करने की एक सीमा तय करनी होगी मुझे अपने अंदर यह तय करना होगा कि इस व्यक्ति को कब तक माफ किया जा सकता है, 
सामने वाले पर मुझे अपनी असहमति, अपनी आपत्ति और अपनी प्रतिक्रिया धीरे धीरे बढाते हुए प्रकट करनी होगी
क्योंकि अगर मैंने ऐतराज़ नहीं किया तो 
वे मुझे कष्ट पहुंचाने को एक सामान्य बात 
या अपना विशेषाधिकार समझ लेंगे
ऐसे रिश्ते निरर्थक हैं जिनमे सिर्फ मुझे ही सहन करना पड़े
मुझे लोगों को उनकी वो हद समझानी पड़ेगी 
जिसके भीतर उन्हें रहना होगा वरना रिश्ता नहीं रहेगा
रिश्ता बचाने सहते रहना कोई हल नहीं है,
खुद को धोखा देने से बड़ा कोई छल नहीं है 
क्योंकि अंत मे सिर्फ दुख ही मिलता है
ये बात समझनी ज़रूरी है

@मन्यु आत्रेय

Tuesday 5 January 2021

देह की उपेक्षा कभी न करो।


नव कल्प
आज के दिन 
मुझे यह स्वीकार करना है कि
शारीरिक संकेतों को हल्के में नहीं लेना है
देह से जुड़ी हर एक बात को
बहुत गंभीरता से लेने की ज़रूरत है
क्योंकि एक लापरवाही, एक चूक,
एक उपेक्षा, एक कमी
जीवन की पूरी दिशा ही बदल सकती है,
एक भूल स्वास्थ्य की गाड़ी को 
पटरी से उतार सकती है
नज़रंदाज़ किया गया छोटा सा दर्द
ब्रेन हेमरेज या हार्ट अटैक का शुरुवाती संकेत भी हो सकता है
साधारण सी समझी जाने वाली सुन्नता
पक्षाघात का इशारा भी कर सकती है 
बड़ी सीधी सी दिखने वाली मरोड़ 
पेट के बड़े रोग का संकेत भी हो सकती है 
ज़ुबान से गायब होता स्वाद, 
और कुछ भी खाने पीने की अरुचि, 
हर वक़्त रहने वाली हरारत, 
हर बार सिर्फ मौसम की शरारत नहीं होती, 
बढ़ रही कमज़ोरी और अनमनापन 
एक इशारा है कि इस रहस्यपूर्ण देह के 
कल पुर्ज़ों में, इसके मैकेनिज्म में 
कुछ तो गड़बड़ है, कुछ तो रुकावट है 
जिसे गम्भीरता से लेने की ज़रूरत है, 
जब तक यह देह सलामत है
तब तक ही इस दुनिया मे जीना संभव है
इसलिए देह के संकेतों को हल्के में लेना 
अपने आप को धोखा देना होगा
इससे बचना है !! 

@मन्यु आत्रेय

Sunday 3 January 2021

खुद को अपडेट रखना होगा

नव कल्प
आज के दिन 
मुझे अद्यतन (Up to date)
रहने का महत्व समझना है 
अद्यतन होने का मतलब है खुद को तैयार करना
पुरानी जानकारी के आधार पर यदि 
आज के निर्णय लिए जाएं तो गलत हो सकते हैं 
जिस बारे में भी आप अपडेट होते हैं 
उस बारे में आप ज़्यादा तथ्यात्मक और 
अधिकारपूर्वक अपनी बात रख सकते हैं 
मुझे खुद को अपडेट रखना चाहिए
अपने काम काज से जुड़ी नई बातों से,
तभी मैं अपनी कार्यक्षमता बढ़ा सकता हूँ 
अपने लिए महत्वपूर्ण लोगों के जीवन मे 
घटित हो रहे महत्वपूर्ण घटनाक्रम से 
अपडेट रहकर मैं एक बेहतर साथी सिद्ध हो सकता हूँ 
और ये जानना मेरा फ़र्ज़ है कि उनकी ज़िंदगी में 
आखिर चल क्या रहा है 
मैं उनको खतरे से आगाह कर सकता हूँ
उन्हें असुविधा से बचा सकता हूँ 
अपने रिश्तों को अच्छे से निभा सकता हूँ 
उन्हें उपेक्षित महसूस करने से रोक सकता हूँ
अपने आसपास घटित हो रही बातों की जानकारी
मुझे मानसिक रूप से सजग और सक्षम बनाती है
और संभावित जोखिमों के प्रति 
मेरा नज़रिया स्पष्ट हो जाता है 
मैं ज़्यादा मज़बूत होकर 
परिस्थितियों का सामना कर पाता हूँ 
मुझे खुद के बारे में अपडेट रहने की भी ज़रूरत है 
मेरे शरीर, मेरे मन, मेरी बुद्धि में क्या चल रहा है, 
मेरे विचार और कर्म किधर जा रहे हैं 
इनके बारे में सबसे नई जानकारी होना 
मेरे लिए बेहद ज़रूरी है तभी मैं अपने आप को 
बेहतर तरीके से समझ सकता हूँ,
खुद को अपडेट रख कर 
दूसरों के धोखे, छल, बदमाशी, गड़बड़ी, 
गलत निर्णयों से बचा जा सकता है
जो इंसान लगातार खुद को अपडेट रखता है 
उसका दिमाग तेज़ी से काम करता है 
मुझे कुछ बातों का सामान्य ज्ञान और कुछ बातों का विशिष्ट ज्ञान ज़रूर हासिल करना चाहिए यह एक सक्षम जीवन के लिए ज़रूरी है
मुझे खुद को मज़बूत करना है 
खुद को अपडेट रखना है !!

@मन्यु आत्रेय

Saturday 2 January 2021

असली चुनौतियों को पहचानो

नव कल्प
आज के दिन 
अपनी असली चुनौतियों को पहचानना है 
हर वो स्थिति जिससे पार पाने के लिए 
मुझेअतिरिक्त प्रयास करने पड़ें, 
अपनी क्षमताओं को आजमाना पड़े 
वो एक चुनौती है 
चुनौतियां किसी अनमोल नेमत को पाने की
मेरी भावना और हौसलों की परख करने का 
एक तरीका भी हो सकती है  
एक चरण हो सकती है 
जिसे पार करके ही लक्ष्य तक पहुँचना संभव होगा
चुनौती क्या है इसके अलावा 
यह भी ध्यान रखना है कि वह 
पैदा कहाँ से हो रही है
वैसे तो चुनौतियां परिस्थितियों और क्षमताओं के बीच की लड़ाई है 
पर किसी के द्वारा खड़ी की गयी चुनौतियां 
मुझे रोकने की साजिश भी हो सकती है 
मेरे प्रतिस्पर्धी और दुश्मन 
चुनौतियों की शक्ल में बाधा खड़ी करते हैं 
ताकि मुझे आगे बढ़ने से रोका जा सके, 
मुझे उन लोगों को पहचानना है 
जो मुझे बेवजह के झमेलों में उलझाते हैं 
बेवजह की चुनौतियों से बचना है 
ये समय, श्रम और साधन खा जाएगी
मुझे सिर्फ उन चुनौतियों पर ध्यान देना है
जो मेरे आगे बढ़ने के लिए ज़रूरी है
सिर्फ अहम के चलते किसी चुनौती को पूरा करने में 
अपनी क्षमताओं को आजमाना नहीं है 
इससे मेरा लक्ष्य भटक जाएगा
मुझे असली चुनौतियों को पहचानना है
असली चुनौतियां वही हैं 
जो मेरे संकल्प, लक्ष्य के रास्ते में आये, 
या पैदा की जाएं, 
मेरी असली चुनौतियां मेरी अपनी कमी, अपनी क्षमता है
मेरा जीवन गैर जरूरी चुनौतियों को पूरा करने में खपाने के लिए नहीं है 
मेरा समय, श्रम और संसाधन तीनों बेशकीमती हैं जिन्हें बर्बाद नहीं करना है
यह मुझे भूलना नहीं है ।

@मन्यु आत्रेय

Friday 1 January 2021

अपनी छवि को लेकर जागरूक रहें।

नव कल्प

आज के दिन 
मुझे अपनी छवि को लेकर सजग रहना है
छवि का मतलब है लोग क्या धारणा रखते हैं 
छवि अच्छी हो तो कीर्ति बढ़ती है 
लोग स्वागत करते हैं, सब कामों में सहायता मिलती है
छवि खराब हो तो बदनामी होती है 
लोग कन्नी काटते हैं कामों में बाधाएं खड़ी होती है
मैं लोगों की धारणाओं को तो नहीं बदल सकता
लेकिन अपनी कुछ गतिविधियों को 
ज़रूर नियंत्रित कर सकता हूँ 
जिसके चलते मेरी छवि बनती बिगड़ती है
मुझे अपने व्यवहार में सुधार करना होगा, 
सभी से सलीके से बात करनी होगी
व्यर्थ की बातें, घटिया मज़ाक, झूठी अफवाहें 
और दूसरो की चुगली से दूर रहना होगा
धूर्त लोगों से कूटनीति से पेश आना होगा 
उन लोगों की पहचान करनी होगी 
जो मेरे बारे में झूठी बातें फैलाते हैं 
अपने आस्तीन के सांपो को पहचानना होगा
खराब छवि वाले लोगों से दूर रहना होगा
कुछ भी जोखिम उठाने से पहले ये ज़रूर सोचना है कि इससे मेरी छवि पर कैसा प्रभाव पड़ेगा
मुझे गेहूं के साथ पिसने वाली घुन नहीं बनना
कुछ लोगों को इससे फर्क पड़ेगा कि मैं असल मे कैसा हूँ तो कुछ लोगों को सिर्फ इससे फर्क पड़ेगा कि मेरी छवि उनकी नज़र में कैसी है
यदि मैं अपनी छवि को अच्छा रखूं तो 
मेरे जीवन से बहुत से संघर्ष कम हो सकते हैं
जीवन में व्यर्थ के संघर्ष नहीं होंगे तो 
मेरी उत्पादकता और रचनात्मकता बढ़ेगी
मैं एक अच्छा जीवन जी सकूंगा
तो अपनी छवि सुधारने में क्या हर्ज है?

@मन्यु आत्रेय

करीबी लोगों के प्रति हम लापरवाह हो जाते हैं

कुछ लोग जो हमारे करीबी होते हैं, अक्सर हम उनके प्रति लापरवाह हो जाते हैं। पति को पता नहीं चलता कि पत्नी किस शारीरिक समस्या से ज...