नव कल्प
यह ज़िन्दगी मेरी है
मैं और यह ज़िन्दगी अभिन्न है
जीवन में अनुकूल और प्रतिकूल परिस्थितियां आती रहेंगी
दुनिया का कोई और शख्स मेरा साथ दे या ना दे
मेरी मदद करे या ना करे
मुझे हमेशा अपना साथ देना है
हमेशा अपनी मदद करनी है क्योंकि
यह जिंदगी मेरी है इसे मुझको ही संभालना है
क्योंकि अगर कोई मेरी सबसे सच्ची मदद कर सकता है तो वह मैं हूं
कुछ लोग मेरी मदद करने का ढोंग करते हैं
अपनी मदद करने का ढोंग नहीं करूंगा मैं
अपनी मदद करने का दिखावा नहीं करूंगा दुनिया में हर एक व्यक्ति की अपनी सीमा होती है
जैसे मेरी सीमा होती है दूसरों की मदद करने की
सिर्फ मैं ही अपने लिए हर सीमा पार कर सकता हूं
सिर्फ मैं ही अपने प्रति निस्वार्थ हो सकता हूं क्योंकि मेरे भले में ही मेरा भला छुपा है
और मेरे बुरे में मेरा बुरा निहित है
दुनिया में सिर्फ वही इंसान विपरीत परिस्थितियों से जीत पाता है
जो अपनी मदद खुद करता है
जो दूसरों की मदद पर पूरी तरह से निर्भर नहीं होता
मुझे कोई भी उस तरह से समझ नहीं सकता जैसा मैं खुद को समझता हूं
मुझे कोई भी उतना महसूस नहीं कर सकता जितना मैं खुद को महसूस करता हूं
इसलिए मेरा सबसे सच्चा साथी अगर कोई हो सकता है तो वह मैं ही हो सकता हूं
इसका मतलब यह नहीं है कि दूसरों की मदद उतनी कारगर नहीं होगी या बेमानी होगी
दूसरों की मदद मेरे लिए शिरोधार्य है
मैं सम्मान करूँगा हर उस शख्स का जो मेरी मदद के लिए सामने आता है,
जो मेरी मदद के लिए हाथ बढ़ाता है,
अपने समय, संसाधन, भावना को दांव पर लगाता है
दरअसल दूसरों की मदद वह चिंगारी है
जिससे मेरे भीतर की मशाल जल तो सकती है
परंतु धधकना तो मुझे खुद को ही होगा
मुझे अपने भीतर की आग को जलाए रखना है
अपने आप को आत्मनिर्भर बनाए रखना है
हर स्थिति परिस्थिति और काल से परे जाकर
अपनी मदद खुद करनी है क्योंकि
यह मेरी जिंदगी है इसे मुझे ही बनाना है
@ मन्यु आत्रेय