Wednesday 31 March 2021
योजनाओं को गुप्त रखिये
Friday 26 March 2021
थोड़ा डर होना अच्छा है !
Thursday 25 March 2021
आपदा में छिपे अवसर पहचानिये!!
Wednesday 24 March 2021
अपने प्रति ईमानदार कैसे रहें?
Tuesday 23 March 2021
अहम छोड़ो रिश्ते जोड़ो!!!
Monday 22 March 2021
उधार के गड्ढे में गिरने से पहले
Sunday 21 March 2021
सिर्फ अच्छा होने से काम नहीं चलता
Friday 19 March 2021
हमेशा डांटना लताड़ना क्या ठीक है?
Thursday 18 March 2021
मज़ाक़ करो,हंसी न उड़ाओ !!
Wednesday 17 March 2021
आज आपका जन्मदिन है!
Tuesday 16 March 2021
उपहारों की भाषा सीख लीजिये
Monday 15 March 2021
क्या आप भी इस तरीके से सोचते हैं?
Sunday 14 March 2021
साधनों को हमेशा तैयार रखिये
Saturday 13 March 2021
लोग पूरा सच नहीं बताते
Friday 12 March 2021
हम लोगों को क्यों खो देते हैं?
Thursday 11 March 2021
अपने लोगों को ज़िम्मेदार बनाईये
कि आपके साथ के लोग कितने ज़िम्मेदार हैं।
ज़िम्मेदारी उठाना एक अहम बात है।
बहुत से लोग सुविधायें, सफलतायें पूरी पाना चाहते हैं
पूरी सुरक्षा में रहना चाहते हैं लेकिन उसके प्रति अपना दायित्व नहीं निभाते।
जिम्मेदार बनने का सीधा सा अर्थ है
जब जो करना चाहिये उन्हें वो करना होगा
और जब जो नहीं करना चाहिये वो उन्हें नहीं करना होगा।
हर आदमी को अपनी भूमिका को समझते हुए अपना योगदान देना चाहिये,
समय के तक़ाजे़ को समझना ज़रूरी है।
कुछ लोग आदतन लापरवाह होते हैं, या छद्म रूप से गैर ज़िम्मेदार होते हैं
और किसी भी महत्वपूर्ण कार्य के लिये उन पर एकदम से निर्भर नहीं होना चाहिये,
नाव को दिशा देने और खेने वाली पतवार कितनी ही मज़बूत हो,
बड़ी से बड़ी नाव का एक छेद उसे डुबो देता है।
लोग तब तक जिम्मेदार नहीं होते जब तक कि कोई काम खास उन्हें ही सौंपा गया न हो।
लोगों को पहले छोटी छोटी ज़िम्मेदारी सौंपनी चाहिये,
सौंपने से पहले उन्हें अच्छे से समझा देना चाहिये कि उन्हें क्या, कब और कैसे करना है।
उन्हें उनकी भूमिका का महत्व अच्छे से समझा देना चाहिये
ताकि उनके चित्त में वह बात बनी रहे कि इस काम को ऐसे करना है।
बीच बीच में उनसे पूछना चाहिये कि काम की प्रगति कैसी है,
या फिर उन पर गुप्त रूप से निगाह रखनी चाहिये।
यदि उन्हें कोई दिक्क़त हो रही हो तो उसके समाधान में उनकी मदद करनी चाहिये,
परंतु मुख्य काम उन्हीं को करने देना चाहिये,
इससे उनकी क्षमता बढ़ेगी और उनमें ज़िम्मेदारी की भावना पैदा होगी।
लोगों को ज़िम्मेदार बनाने के लिये दंड और पुरस्कार की नीति अपनाई जा सकती है।
जब भी कोई ज़िम्मेदारी से काम करे तो उसकी सराहना कीजिये,
उसके काम में सुधार हेतु मदद और सुझाव कीजिये,
वहीं जब कोई लापरवाही कर दे तो उसे ग़लती सुधारने का मौक़ा दीजिये
और उसे समझाईये कि लापरवाही से हानि हो सकती है।
किसी दूसरे को उसकी हंसी न उड़ाने दीजिये।
बार बार ग़ैर ज़िम्मेदारी प्रदर्शित करने वाले को महत्वपूर्ण कार्य से हटा दीजिये
और उसको दूसरे कामों में ज़िम्मेदारी दीजिये जिसमें उसकी रूचि हो जिसमें वो अच्छा हो।
जब सब लोग अपनी अपनी ज़िम्मेदारी निभाते हैं
जब आपके लोग ज़िम्मेदार होते हैं तो आपके लिये सुविधा बढ़ती है,
आपके घर पर अव्यवस्था नहीं होती, रात को दरवाज़ा खुला नहीं छूट जाता,
गैस पर चढ़ा हुआ दूध उफनकर गिरता नहीं,
ऑफिस में आपके काम समय पर पूरे होते हैं, लोगों के काम में गंभीरता बढ़ती है,
चूकें कम होती हैं, माहौल अच्छा होता है और काम में गति आती है।
लोगों को ज़िम्मेदार बनाना उनकी क्षमता बढ़ाना है,
आपके लोगों की क्षमता बढ़ने का अर्थ है आपकी खुद की क्षमता बढ़ना।
@मन्यु आत्रेय
Wednesday 10 March 2021
शिवजी से सीखें जीवन के 21 नियम
भगवान शिव हमें ज़िंदगी के कई नियम सिखाते हैं। ऐसी कई बातें हैं जो हम सिर्फ़ और सिर्फ़ भगवान शिव से सीख सकते हैं। भगवान शिव स्वयंभू हैं यानी उन्हें किसी ने नहीं बनाया। आदमी को स्वयं अपना निर्माण करना चाहिये। भगवान शिव में अपरिमित शक्ति है परंतु वे उसका कभी अनावश्यक प्रदर्शन नहीं करते हैं। हमें अपनी क्षमताओं, अपने गुणों और अपनी शक्तियों का कभी अनावश्यक प्रदर्शन नहीं करना चाहिये।
भगवान शिव बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाने के कारण आशुतोष कहलाते हैं, आदमी को थोड़े में खुश हो जाना चाहिये। शिव निरंतर आत्म लीन रहते हैं। व्यक्ति को शिखर पर पहुंचकर अपने आप को नहीं भूलना चाहिये। शिव का क्रोध कल्याणकारी है और अपने क्रोध से उत्पन्न परिणाम को बदलने की भी उनकी क्षमता है। आदमी का क्रोध रचनात्मक और सार्थक होना चाहिये, किसी का भला करने वाला होना चाहिये। शिव अभयदान देने वाले हैं। शरणागत वत्सल हैं। अपने प्रिय भक्तों की रक्षा के लिये वे यमराज तक से लड़ सकते हैं। इंसान को किसी के लिये पूरी सच्चाई और अपनी पूरी क्षमता से प्रयास करने चाहिये।
शिव निष्ठावान हैं। शिव का चरित्र अत्यंत उज्ज्वल है। साक्षात कामदेव और रति भी उनके मन को विचलित नहीं कर पाये। आदमी को अपने चरित्र पर दृढ़ रहना चाहिये, सांसारिक आकर्षणों में घिर कर अपनी साधना, अपने संकल्प को भंग नहीं करना चाहिये, फ़िसलना नहीं चाहिये।
शिव ने अत्यंत वेगवती गंगा को अपनी जटाओं में और चंद्रमा को अपने शीश पर स्थान दिया है, इंसान को सभी को यथोचित सम्मान और स्थान देना चाहिये। शिव ने बैल को अपना वाहन बनाया है, भूत प्रेत उनके अनुचर हैं, विषधर सर्प को अपने गले में धारण रखते हैं, समाज के वंचित, शोषित और उपेक्षित लोगों को अपने साथ लीजिये। आलोचना करने वालों को भी अपने गले लगाईये क्योंकि वे आपको शक्ति पाने के लिये तैयार करते हैं।
शिव श्मशान में रहते हैं और चिता की राख को अपनी देह में लपेटे रहते हैं। इंसान को यह मानना चाहिये कि सारी दुनिया मृत्यु शैया है, हम सब क्षण क्षण में मरते जा रहे हैं, इसलिये हर एक क्षण को आनंद में जीना चाहिये, मृत्यु से डरना नहीं चाहिये तभी अपने अमर स्वरूप को जाना जा सकता है।
शिव मितभाषी हैं, उनकी वाणी गंभीर और प्रभावोत्पादक है। आदमी को कम बोलना चाहिये परंतु सार्थक और प्रभावशाली बोलना चाहिये। समुद्र मंथन में निकले हलाहल को जब कोई और ग्रहण नहीं कर पाया तो भगवान शिव ने उसे स्वयं अपने कंठ में स्थान दिया और नीलकंठ महादेव बन गये। जीवन में कई बार आपको परिस्थितियों का विष झेलना पड़ेगा। उसे उगलना नहीं है उसे निगलना नहीं है, तभी वही आपकी महानता का प्रमाण और गंभीरता का स्रोत बनेगा। शिव वैद्यनाथ हैं वे हर एक जड़ी बूटी की क्षमताओं से परिचित हैं, इंसान को पता होना चाहिये कि उसके परितः जो कुछ भी है वह किसी न किसी काम का है।
शिव तांडव नृत्य जानते हैं और डमरू भी बजाते हैं, आदमी को कलाओं में भी प्रवीण होना चाहिए।
सारे संसार के स्वामी भगवान शिव परिवार को बहुत महत्व देते हैं। आदमी को अपने परिवार को पर्याप्त समय और ध्यान देना चाहिये। सर्वश्रेष्ठ प्रेमी शिव अपनी शक्ति को अर्धांंग में धारण करते हैं। व्यक्ति को अपने जीवन साथी के साथ अनन्यता स्थापित करनी चाहिये। शिव परिवार में विरोधाभासों का बेहतरीन मेल है। व्याघ्र और बैल, मोर और चूहा, सर्प आदि परस्पर शत्रु होने के बावजूद शांतिपूर्ण सह अस्तित्व रखते हैं। अपने परिवार और कार्यस्थल में परस्पर विरोधी विचारधाराओं के बीच तालमेल और सह अस्तित्व बनाये रखने से ही शांति रहती है।शिव काली का क्रोध शांत करने उनके चरणों तले भी आ जाते हैं। शांति की स्थापना के लिए स्वयं को प्रस्तुत कर देना चाहिए।
भगवान शिव बहुत सरल हैं इसीलिये तो उन्हें भोले बाबा कहा जाता है। सरलता में ईश्वर निवास करते हैं। इंसान को ज़्यादा जटिल नहीं होना चाहिये, सरल ज़िंदगी जीना सबसे अच्छा है। इसलिये शिवं भूत्वा शिवं यजेत् को हमेशा याद रखें यानी शिव जैसे बनकर ही शिव की उपासना कीजिये।
@ मन्यु आत्रेय
Tuesday 9 March 2021
सार्थकता अधिकतम उपयोग में है
Monday 8 March 2021
साधनों की कमी का रोना ना रोओ!
Sunday 7 March 2021
स्त्री शक्ति: वे हैं तो हम हैं !!
Saturday 6 March 2021
फंदे, शिकंजे और जाल पहचानिये
Friday 5 March 2021
कौशल में दक्षता बढ़ाइए!!
Thursday 4 March 2021
न समस्याएं खत्म होंगी न समाधान!!
Wednesday 3 March 2021
रिश्ते मज़बूत करने वास्ता बढ़ाइए!!
Tuesday 2 March 2021
प्रेम को कभी खोना नहीं !!
Monday 1 March 2021
आपकी निष्ठा किसके प्रति है?
करीबी लोगों के प्रति हम लापरवाह हो जाते हैं
कुछ लोग जो हमारे करीबी होते हैं, अक्सर हम उनके प्रति लापरवाह हो जाते हैं। पति को पता नहीं चलता कि पत्नी किस शारीरिक समस्या से ज...
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आपके जीवन में कैसे लोग है इसका बहुत बड़ा प्रभाव आप पर पड़ता है। अगर आपकी सफलता और उपलब्धि के पीछे किसी और की भूमिका भी होती है तो...
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एक शेर मुझे बड़ा सटीक लगता है- " दिल मेरा लेने की ख़ातिर मिन्नतें क्या क्या न कीं कैसे नज़रें फेर लीं, मतलब निकल जाने के बाद&...
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अपनी ग़लतियों का अचार डालिये। दुनिया का कोई भी इंसान हमेशा सही सही नहीं कर सकता उससे गलतियां होनी स्वाभाविक है। गलतियां किससे नही...