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Sunday 6 August 2023

माइंड योर लैंग्वेज

           माइंड योर लैंग्वेज            

मन्यु आत्रेय 

अगर मैं आपसे ये कहूँ कि भाषा की ज़रूरत आपको उतनी ही है जैसी आपको रोटी कपड़ा और मकान की होती है तो क्या आप यकीन करेंगे ? शायद नहीं !! अच्छा चलिए एक कल्पना कर के देखिए।

कल्पना कीजिए कि आप हर एक भाषा भूल गए हैं ! 

एक दिन सुबह आप जागते हैं और पाते हैं कि आपके दिमाग से सारी भाषा गायब हो गई है। हर एक भाषा आप भूल गए हैं  आप देखते हैं कि आप कोई सार्थक शब्द नहीं बोल पा रहे हैं, न कोई बात आप लिख सकते हैं ना संकेत आपको सूझ रहे हैं, आपको भूख - प्यास लग रही है पर आप बता नहीं पा रहे। 

आपके अंदर घबराहट हो रही है कि ये क्या हो गया लेकिन आप के पास इसे बताने के लिए कोई शब्द या इशारा ही नहीं है। अचानक आपके परिवार का कोई सदस्य आपके सामने आ गया और आप के जी मे जी आया लेकिन आप ये नहीं समझ पा रहे हैं कि उनसे प्रेम कैसे प्रदर्शित करें। अखबार में लिखी हुई भाषा आपको रेंगते हुए चित्रों की तरह लग रही है ! 

अचानक मोबाइल पर एक रिंग बजी है किंतु उसके नम्बर और नाम को आप पढ़ नहीं पा रहे हैं, आपके बॉस का  फ़ोन आया है आपका बॉस आपको कुछ कह रहा है लेकिन उसका एक भी शब्द आपको समझ नहीं आ रहा है और आप के दिमाग मे कोई शब्द ही नहीं उभर रहा है कि क्या कहना है या कुछ कहना भी है 

भाषा के बिना आप प्रागैतिहासिक मानव जैसे हो जाते हैं ! शुक्र मनाइए कि ये सिर्फ एक कल्पना है जो किसी बुरे स्वप्न से कम नहीं है।भाषा हमारी अनिवार्य ज़रूरत है 

एक दिन भाषा यदि गायब हो जाये तो हम शायद पागल ही हो जाएं। हम एक बातूनी प्रजाति हैं बिना बोले बिना अभिव्यक्ति किये हमें चैन नहीं मिलता। 

अगर आप कम बोलने वाले हैं और बैलगाड़ी की रफ्तार से भी बोलते हैं तो आप दिन भर में 3000 शब्द से ज़्यादा बोलते होंगे। यदि औसत बोलने वाले हैं तो आप 15000-16000 शब्द प्रति दिन में बोल लेते होंगे। यदि आप ज़्यादा बात करने वाले हैं तो शायद 24000 शब्द प्रतिदिन भी आपके लिए कम पड़ जाए। आपकी भाषा आपकी अनिवार्य आवश्यकता है। यहां तक कि गूंगे बहरे और दृष्टि हीन लोगों के लिए भी उनकी अपनी भाषाएं विकसित की गई है । कंप्यूटर्स के लिए अलग अलग भाषाएं हैं। 

भाषा के बिना न तो इंसान और न ही जीव जगत का काम चलेगा। आप जानते होंगे कि जीव जंतुओं की अपनी अलग अलग भाषा होती है। अधिकांश में ध्वनि स्वर से और देह भाषा से संवाद किया जाता है। इंसान के महान आविष्कारों में भाषा एक प्रमुख आविष्कार है जिसने इंसान को जानवरों से अलग किया,ज्ञान का निर्माण और संचय करने में, ज्ञान के हस्तांतरण में मदद की, आदमी को अपने जटिल मनोभावों, इच्छाओं, सोच आदि को दूसरों तक पहुंचाने में मदद की। 

भाषा ने ही प्रागैतिहासिक काल मे मनुष्य को समुदाय बनाने में, परिवार बनाने में,नीति नियम बनाने में मदद की। पूरी दुनिया मे करीबन 5000 से 7000 तक भाषाएं और बोलियां मौजूद हैं उनमे से कई एकदम आदिम काल से चली आ रही हैं।

अगर आप नहीं जानते तो ये आपके  लिए ही है !!

भाषा आपका एक उपकरण है। आपका उपकरण यदि सही स्थिति में रहेगा और उसका सही इस्तेमाल यदि आप कर पाएंगे तो वो आपको सबसे ज़्यादा लाभ देगा। Mind Your Language श्रृंखला में हम सीखेंगे कि हम भाषा का सबसे अच्छा उपयोग कैसे कर सकते हैं ताकि हमें अधिकतम सफलता मिल सके, हम एक बेहतर वक्ता बन पाएं, हमारी भाषा मे प्रभाव पैदा हो सके। इस श्रृंखला में हम सीखेंगे कि हमारी भाषा में छोटी बड़ी क्या खामियां रह जाती हैं और उन्हें कैसे सुधार सकते हैं. कैसे हम अपनी निजी ज़िन्दगी, प्रोफेशनल लाइफ और सामाजिक दायरे में फायदा उठा सकते हैं. जीवन के विभिन्न अवसरों पर हम किस तरह की भाषा का इस्तेमाल करें ताकि किसी नुकसान बचें और अधिकतम लाभ उठा पाएं, हम कैसी भाषा बी इस्तेमाल करें ताकि हमारे जीवन में शांति आये दुविधा कम हो. हमारी भाषा में ऐसा क्या बदलाव लाएं जिससे हमारे दुश्मन न केवल हतोत्साहित हों बल्कि हमारे साथ समझौता करें या दोस्त बन जाएँ. हम कैसी भाषा का इस्तेमाल करें ताकि हमारे बिगड़ते हुए सम्बन्ध सुधर जाएँ, हमारी भाषा कैसी हो जो हमें भीतर से मज़बूत बनाये. इसलिए जुड़े रहिये
और  माइंड योर लैंग्वेज !!
 
 
 

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