body {-webkit-user-select:none; -html-user-select:none; -moz-user-select:none; -ms-user-select:none; user-select:none;}

Tuesday 15 August 2023

पाती किसी के लिए, सीख सब के लिए

मेरे सहभागी पथिक

तुम्हारे भीतर निरंतर अंतर्द्वंद्व चलता रहता है शरीर मन बुद्धि अहंकार और आत्मा के बीच। कभी तुम मनोदैहिक ज़रूरतों से हार जाते हो, कभी बुद्धि और अहंकार से घिर कर अपने मन की नहीं सुनते अपनी आत्मा की नहीं सुनते। जब जिसका पलड़ा भारी होता है तब वैसा फैसला ले लेते हो। यह स्वाभाविक और प्राकृतिक है। बस इस प्रक्रिया में अपने आप को उपयुक्त की ओर ले जाना चाहिए। उपयुक्त यानी जिससे नुक़सान न हो। 

कुछ घटनाक्रम बहुत सूक्ष्म तरीके से होते हैं। हमे पता नहीं चलता क्योंकि उनकी शुरुवात इतनी ज्यादा महत्वहीन होती है कि हम उसे गिनती में नहीं लाते। जैसे जंगल में उठती एक चिंगारी उतनी महत्वपूर्ण नहीं होती। परंतु बाद में वही एक चिंगारी दावानल बन जाती है। 

जोंक जब त्वचा से चिपकती है तो पता नहीं चलता। पता तब चलता है जब वो खून पीना शुरू कर चुकी होती है। कुछ लोग ऐसे ही होते हैं। हमसे जुड़ कर कब हमारा नुकसान करने लगते हैं हमे समझ नहीं आता। बड़ा नुकसान हो जाने के बाद हमें पता चलता है कि नुक़सान हो गया। 

अगर तुम अपनी आत्मा की या अंदरूनी आवाज़ पर ध्यान दो ( जो कि तुम नहीं देते) तो वो शुरू से बताती है कि कुछ तो अजीब सा हो रहा है, कुछ तो गलत हो रहा है, कुछ तो है जो अंदर से हानिकारक है। 

हर व्यक्ति में किसी को लाभ पहुंचाने या नुकसान करने की एक अदृश्य शक्ति होती है। कभी कभी न चाहते हुए भी हमसे किसी का अहित हो जाता है, और कभी कभी इसके कारण हमारा ही अहित हो जाता है। न तो कारण समझ आता है और न परिणाम से उसे उज़ समय जोड़ा जा सकता है। चूंकि बुद्धि कारण और परिणाम के संबंध पर निर्णय लेती है हम अपनी आत्मा की अनुभूति को नज़र अंदाज़ कर देते हैं जो हमें बताती है कि इस बंदे के साथ कुछ तो अपना गलत है। 

कुछ नरभक्षी पौधे बेहद सुंदर फूल वाले होते हैं, उनमें से बेहद आकर्षक और मादक गंध और रंग निकलते हैं। उनसे आकर्षित होकर जब कोई तितली उस फूल पर जाकर बैठती है तो पहले उसके पंख गीले कर देते हैं फिर वो उड़ न पाने के कारण चिपकी रह जाती है और नरभक्षी पौधा तितली को निगल जाता है। ऐसे ही कई लोग होते हैं। 

ऊपर उठ कर देखने से सब समझ आ जाता है। कौन सा काम क्यों बिगड़ रहा है, कौन सी परेशानी क्यों आयी है। जब समस्या आने वाली होती है तो बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है। हम गलत निर्णय लेने लगते हैं और उस समय अपनी आत्मा की आवाज़ को सुनना बंद कर देते हैं। 

जब जागें तब सवेरा। जब समझ मे आ जाये कि जीवन मे कुछ गलत हो रहा है तो सबसे पहले ये सुनिश्चित करो कि क्या गलत हुआ है, फिर पीछे की तरफ लौटते हुए समझो कि क्यों गलत हुआ है। वो कौन सा काम है, कौन सा व्यक्ति है कौन सी चूक या बदमाशी है जिसके कारण मेरे जीवन मे गलत हो रहा है। जब ये सुनिश्चित हो जाये तो उसे तुरंत वहीं का वहीं रोक दो। 

जिस व्यक्ति, काम, चूक के कारण नुकसान हो रहा है उसके रास्ते मे अपना प्रतिरोध खड़ा करो। उससे दूर हो जाओ। उसको अपनी जानकारी न लगने दो। अपनी गलती के कारण जहां जहां जो हानि आगे हो सकती है उसकी भरपाई या तुरपाई करने की कोशिश में जुट जाओ। जब स्थिति पर काबू आ जाये तो धीरे से खुद को अलग कर लो। 

यह जीवन भाग्य भरोसे जीने के लिए नहीं है और न किसी दूसरे के बुरे ग्रहों के प्रभाव स्वयं पर लेने के लिए है। किसी और के दुर्भाग्य, कष्टों, समस्याओं का सोख्ता मत बन जाना। जीवन अपनी पूरी गरिमा और सम्मान के साथ जीने के लिए है। अपनी कीमत पहचानो। अपना मूल्य बढ़ाओ। महंगे बनो। कम क्रय शक्ति वाले तुम्हें महंगा सोचते हैं तो वो तुम्हारी कीमत नहीं अपनी औकात को टटोलते रहते हैं और कोशिश करते हैं कि किसी तरह से तुम्हें अपनी औकात के दायरे में ले आएं।

खुद से लाभ उठाने वाले लोगों के लिए अलभ्य बनो। दुर्लभ बनो। हानि को रोको। जीवन को आगे बढ़ाओ। कर के देखो कुछ दिनों में अच्छा लगने लगेगा। अच्छा महसूस होने लगेगा। अच्छा होने लगेगा। 

तुम्हारा 
मन्यु आत्रेय

2 comments:

  1. Sahi sir ..bahut khoob 💐💐💐

    ReplyDelete
  2. बहुत दीनों बाद तुम्हारा ब्लॉग पढ़ा मनीष खुशी हुई तुमने लिखा सत्य और सटीक संदेश

    ReplyDelete

करीबी लोगों के प्रति हम लापरवाह हो जाते हैं

कुछ लोग जो हमारे करीबी होते हैं, अक्सर हम उनके प्रति लापरवाह हो जाते हैं। पति को पता नहीं चलता कि पत्नी किस शारीरिक समस्या से ज...